शराब घोटाला: सस्पेंड आबकारी अधिकारियों से EOW करेगी पूछताछ, 88 करोड़ की कमाई में थी उनकी हिस्सेदारी

जांच अधिकारियों का कहना है कि डिस्टलरी संचालकों और मैनपावर सप्लाई करने वाले कारोबारियों से पहले ही पूछताछ की जा चुकी है, जिनसे महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल हुई हैं।

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  • Publish Date - August 18, 2025 / 11:33 AM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस शासन (Congress government) के दौरान हुए 3200 करोड़ रुपए के शराब घोटाले में अब तक कई बड़े खुलासे हुए हैं। इस घोटाले में शामिल रहे आबकारी विभाग के सस्पेंड अधिकारियों से आर्थिक अपराध शाखा (EOW) जल्द पूछताछ करेगी। EOW के अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की है और बताया है कि जांच का दायरा अब और बढ़ा दिया गया है।

जांच अधिकारियों का कहना है कि डिस्टलरी संचालकों और मैनपावर सप्लाई करने वाले कारोबारियों से पहले ही पूछताछ की जा चुकी है, जिनसे महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल हुई हैं। इन जानकारियों के आधार पर अब सस्पेंड आबकारी अधिकारियों से भी पूछताछ की जाएगी। EOW ने इन अधिकारियों को नोटिस भी भेजे हैं, जिससे विभाग में हलचल मच गई है।

22 अधिकारियों पर एफआईआर, 88 करोड़ की राशि का खुलासा

शराब घोटाले में अब तक EOW ने 22 आबकारी अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। इन अधिकारियों को राज्य सरकार ने सस्पेंड भी कर दिया है। इन पर आरोप है कि वे शराब सिंडिकेट में शामिल थे और इस घोटाले में 88 करोड़ से अधिक की रकम उनकी हिस्सेदारी थी।

200 से अधिक लोगों से पूछताछ, महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल

EOW ने अब तक 200 से अधिक लोगों से पूछताछ की है, जिनमें कारोबारी, हवाला कारोबारी, आबकारी विभाग के अधिकारी और अन्य एजेंट शामिल हैं। इन सभी के बयान दर्ज किए गए हैं और मामले के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां सामने आई हैं।

सरकारी रिकॉर्ड से छेड़छाड़, अवैध शराब आपूर्ति

जांच में यह भी सामने आया है कि शराब दुकान संचालकों को सरकारी रिकॉर्ड में खपत का विवरण दर्ज करने से मना किया गया था। इसके अलावा, बिना टैक्स चुकाए डुप्लीकेट होलोग्राम वाली शराब की आपूर्ति की जाती थी। आरोपों के मुताबिक, यह भ्रष्टाचार फरवरी 2019 से शुरू हुआ था।

शुरुआत में, डिस्टलरी से हर महीने करीब 200 ट्रक शराब की आपूर्ति की जाती थी, जिसमें 800 पेटी शराब होती थी। बाद में यह आपूर्ति बढ़कर 400 ट्रक प्रति महीने तक पहुंच गई और शराब की कीमत भी 2,840 रुपए से बढ़कर 3,880 रुपए प्रति पेटी हो गई। EOW की जांच के अनुसार, तीन सालों में 60 लाख से अधिक पेटियां अवैध रूप से बेची गईं।