शराब घोटाला : कैसे चला ‘नकली होलोग्राम’ का खेल! नोएडा से जुड़े ‘अनवर-अरुणपति’ के तार
By : hashtagu, Last Updated : June 2, 2024 | 1:23 pm
जुलाई 2023 को नकली होलोग्राम मामले में ED के डिप्टी डायरेक्टर ने नोएडा के कासना थाने में FIR दर्ज कराई थी। 12 जून को यूपी STF के आवेदन में सुनवाई होनी है। बताया जा रहा है कि सुनवाई के दौरान यूपी STF दोनों आरोपियों को ले जाने की अनुमति मिल सकती है।
कौन है विधू गुप्ता
कासना गौतमबुद्व नगर के रहने वाले विधू गुप्ता प्रिज्म होलोग्राफी एवं सिक्योरिटी फिल्म प्राइवेट लिमिटेड का डायरेक्टर हैं। छत्तीसगढ़ के शराब माफिया और सरकार के ऊंचे पदों पर बैठे अधिकारियों के साथ मिलकर उसने फर्जी नकली होलोग्राम बनाकर सरकारी दुकानों पर शराब की अवैध बिक्री कराई।
प्रति होलोग्राम 8 पैसे का कमीशन
दर्ज FIR के मुताबिक नोएडा स्थित प्रिज्म होलोग्राफी सिक्योरिटी फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी को एक टेंडर मिला था। यह टेंडर छत्तीसगढ़ के एक्साइज डिपार्टमेंट ने होलोग्राम की आपूर्ति करने के लिए अवैध रूप से दिया था।
कंपनी निविदा प्रक्रिया में भाग लेने के लिए पात्र नहीं थी लेकिन कंपनी के मालिकों की मिलीभगत से उसे पात्र बनाया गया। यह काम छत्तीसगढ़ आबकारी विभाग के विशेष सचिव अरुण पति त्रिपाठी, तत्कालीन आबकारी कमिश्नर निरंजन दास, रिटायर्ड IAS अनिल टुटेजा ने निविदा शर्तों को संशोधित कर किया।
इसके बाद प्रिज्म होलोग्राफी सिक्योरिटी फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड नोएडा को अवैध रूप से निविदा आवंटित की। बदले में कंपनी के मालिक को विधू गुप्ता से प्रति होलोग्राम 8 पैसे का कमीशन लिया गया। छत्तीसगढ़ में सरकारी दुकानों से अवैध देशी शराब की बोतलें बेचने के लिए बेहिसाब डूप्लीकेट होलोग्राम लिए गए।
फर्जी ट्रांजिट पास से होती थी सप्लाई
टेंडर मिलने के बाद विधू गुप्ता डुप्लीकेट होलोग्राम की सप्लाई छत्तीसगढ़ सक्रिय गैंग को करने लगा। यह सप्लाई छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड (सीएसएमसीएल) के एमडी अरूण पति त्रिपाठी के निर्देश पर हुई। गैंग के सदस्य डूप्लीकेट होलोग्राम को विधू गुप्ता से लेकर सीधे मेसर्स वेलकम डिस्टलरीज, छत्तीसगढ डिस्टलरीज लिमिटेड, भाटिया वाइन एण्ड मर्चेंट प्राइवेट लिमिटेड को पहुंचा देते थे।
इन डिस्टलरीज में होलोग्राम को अवैध शराब की बोतलों पर चिपकाया जाता था। इसके बाद अवैध बोतलों को फर्जी ट्रांजिट पास के साथ दुकानों में पहुंचाया जाता था। फर्जी ट्रांजिट पास का काम छत्तीसगढ़ के 15 जिलों के आबकारी विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की ओर से होता था।
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