अनाथ बच्चों के रहनुमा और ‘सलवा जुडुम’ के नेता ‘मधुकर राव’ नहीं रहे
By : madhukar dubey, Last Updated : February 8, 2023 | 3:22 pm
दरअसल, मधुकर राव सलवा जुडूम के प्रमुख नेता थे। नक्सलियों के खिलाफ उन्होंने लोगों को खड़ा किया था। नक्सलियों के जुल्म से लोगों को झुटकारा दिलाने के लिए इन्होंने लड़ाई लड़ी थी। हालांकि, माओवादियों ने कई बार इन्हें जान से मारने की भी कोशिश की थी। लेकिन, ये बच निकले थे। इनके परिवार के सदस्यों ने बताया कि, मधुकर राव किसी भी राजनीतिक पार्टी से नहीं जुड़े थे। वे समाज सेवक के रूप में जिले में काम कर रहे थे। लोगों की और नक्सल पीड़ितों की सेवा करना ही उनका मुख्य उद्देश्य था। इसी वजह से उन्होंने शादी भी नहीं की थी।
पुलिस थाना में सोते थे
परिवार के सदस्यों ने बताया कि, सलवा जुडूम के दौर में नक्सलियों ने मधुकर राव को मारने की पूरी रणनीति बनाई थी। करीब 200 नक्सलियों ने गांव को घेर लिया था। उनके घर में भी घुसे थे। लेकिन, वे उन्हें मिले नहीं। उन्होंने बताया कि, मधुकर राव अपने घर की बजाए पुलिस थाना में सोते थे। इसकी वजह थी कि उन्हें आभास हो गया था माओवादी उन्हें मार देंगे।
अनाथ बच्चों के लिए चलाते थे आश्रम
मधुकर राव सलवा जुड़ूम के बाद से गांव में ही रहते थे। उन्होंने नक्सल हिंसा पीड़ित अनाथ बच्चों के पालन पोषण करने के लिए साल 2008 में अनाथालय खोला था। अनाथालय अपने खर्च पर चलाते थे। हालांकि अब प्रशासन का सहयोग जरूर मिलता है। अनाथालय में करीब 50 बालक हैं। कुटरू से जैसे-जैसे नक्सली थोड़े बैकफुट होने हुए तो मधुकर राव अनाथालय में ही बच्चों के साथ रहने लगे। हालांकि, उन्हें प्रोटेक्शन भी मिला था।