‘मुद्दों’ की खेती पर ‘कमल-पंजे’ का ‘मलयुद्ध’!, पढ़ें, सियासी दांवपेंच

By : madhukar dubey, Last Updated : January 23, 2023 | 9:13 pm

सार (Summary)–अब लोकसभा और विधानसभा के चुनावी दंगल की तैयारी में कांग्रेस और BJP जुट गई है। वैसे छत्तीसगढ़ में दोनों पार्टियों के लिए मुद्दों की कोई कमी नहीं। बहरहाल, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा, जनता किसके साथ होती है। लेकिन अभी से जनता के बीच पैठ बैठाने के लिए बीजेपी और कांग्रेस युद्ध स्तर पर जुट गई है। इसके मद्देनजर BJP के प्रदेश अध्यक्ष अरूण साव (Arun S0w) जनसम्पर्क पर निकल पड़े। वहीं कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी अपने पदाधिकारियों के भारत जोड़ो अभियान की तर्ज पर हाथ से हाथ जोड़ो अभियान में जुटे हैं। वे केंद्र की मोदी सरकार को जनता के बीच घेरने के लिए कमर कस चुके हैं। आइए कुछ सियासी हलचलों के जरिए बताने की कोशिश करते हैं, किस-किस मुद्दे पर कांग्रेस और बीजेपी चुनावी समर में सक्रिय रहेगी।

छत्तीसगढ़। प्रदेश भाजपा की कमान अरुण साव के हाथ में हैं। ऐसे में उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा चुनाव में BJP को बढ़त दिलाना। लेकिन इसके पहले उन्हें अपने ही लोकसभा क्षेत्र रायगढ़ से करनी पड़ रही है। ताकि उनका यह कदम छत्तीसगढ़ के सभी सांसदों के लिए प्रेरणा बन सके। वैसे उन्होंने सभी सांसदों और पार्टी के कार्यकर्ताओं से अपनी बैठकों में यह संदेश दिया है कि जनता के बीच जाएं और अपनत्व हासिल करें। इसके साथ ही उनके सुख और दुख में शामिल हों। वहीं पीएम मोदी की योजनाओं के बारे में भी जनता को विस्तार से बताए। यह भी बताएं, कैसे केंद्र की योजनाओं का लाभ यहां छत्तीसगढ़ की जनता को मिल रहा है। क्योंकि अधिकांश ऐसी योजनाएं हैं, जो राज्य सरकार के साथ मिलकर चलाई जा रही है। लेकिन पीएम आवास की योजना को कांग्रेस ने बंद कर दिया है।

ऐसे में यहां करीब 8 लाख गरीबों को आवास नहीं मिल पाया है। इस मुद्दे को लेकर बीजेपी पूरी तरह से सक्रिय है ताकि आने वाले चुनाव में कांग्रेस को घेरा जा सके। इसके लिए अभी से ही रणनीति बनाने में बीजेपी जुटी हुई है। बीजेपी के रणनीतिकारों के मुताबिक पार्टी आदिवासी क्षेत्रों में मतांतरण के मुद्दे पर भी कांग्रेस को घेरेगी। वहीं भ्रष्टाचार के मामले में भी BJP ईडी और सीडी को लेकर जनता के बीच जाएगी। इन सबके बीच बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव अभी से एक्शन में आ गए हैं। वे इसकी शुरूआत अपने संसदीय क्षेत्र रायगढ़ के दौरे से की है। इधर बीच, वे अपने परिचितों और लोगों के घर जमीन पर बैठकर खाना खा रहे हैं। ऐसी तस्वीरें भी जमकर वायरल हो रही है। वैसे ये तो साफ है कि चुनाव नजदीक आने पर ऐसी तस्वीरें सामने आएंगी।

ग्रामीण अंचल में कांग्रेस से बीजेपी को बड़ी चुनौती

बीजेपी के लिए शहरों की अपेक्षा ग्रामीण अंचलों में सबसे बड़ी चुनौती है। क्योंकि भूपेश सरकार के कामकाज की लोकप्रियता भी है। इसके पीछे दो कारण है कि किसानों को धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य 2500 रुपए का वादे को पूरा करना। वहीं बोनस और कर्जमाफी से किसानों में भूपेश सरकार के प्रति सहानुभूति है। इस वजह से इसके तिलिस्म को तोड़ पाना बीजेपी के लिए चुनौती है। वहीं भूपेश के गोधन न्याय योजना का मिल रहा किसानों को लाभ। बहरहाल, बीजेपी इन सबको लेकर सरकार पर आराेप लगाती रहती है। गौरतलब है कि इन सब सियासी दांवपेंचों के बावजूद भूपेश की छवि अब प्रदेश में एक सर्वमान्य नेता के रूप में स्थापित हो चुकी है। यही वजह भी है हिमाचल में भूपेश बघेल के चुनावी वादे लागू हुए। जिससे वहां प्रचंड बहुमत से कांग्रेस की सरकार बनी। वहीं आरक्षण के मुद्दे पर भी कांग्रेस बीजेपी पर भारी पड़ती दिख रही है।

कांग्रेस की भी पूरी तैयारी, हर मोर्चे पर मजबूत बनने की कोशिश

देखा जाए तो बीजेपी के मुकाबले कांग्रेस की भी तैयारी मुक्कमल है। इसके मद्देनजर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम भी अपने पार्टी के हर ढीले पेंच को कसने में जुटे हैं। इसी कड़ी में वे पार्टी को बूथ स्तर पर मजबूत करने के लिए खाका बना चुके हैं। उन्होंने हर पार्टी के पदाधिकारी को आईकार्ड देने का वादा किया है। इसके साथ ही विधायक और पदाधिकारियों को भूपेश सरकार की योजनाओं को लेकर जनता के बीच जाने को कहा है।

ये दीगर बात है कि एक सर्वे में कांग्रेस के 30 प्रतिशत विधायकों के परफार्मेंस की खराब रिपोर्ट आई थी। जिस पर भूपेश बघेल ने कहा था कि एक बार मौका दिया जाएगा, ताकि वह जनता के बीच जाएं। वहीं कांग्रेस आरक्षण बिल पर बीजेपी को घेरेगी। बता दें, हाथ से हाथ जोड़ो अभियान से कांग्रेस जनता के बीच पहुंचने की कोशिश में जुटेगी। देखा जाए तो ग्रामीण अंचल में कांग्रेस तो शहरी इलाकों में बीजेपी का पलड़ा भारी दिख रहा है, जैसा कि राजनीतिक जानकार बता रहे हैं।