नक्सलियों का घातक हथियार: 40 साल से चुनौती बनी IED
By : hashtagu, Last Updated : June 11, 2025 | 12:14 pm

By : hashtagu, Last Updated : June 11, 2025 | 12:14 pm
बस्तर: छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में नक्सल प्रभावित (naxal affected) इलाकों में कमांड वायर और प्रेशर आईईडी (बारूदी सुरंगें) नक्सलियों का सबसे बड़ा हथियार बनी हुई हैं। ये विस्फोटक सुरक्षा बलों के लिए बीते चार दशकों से सबसे बड़ी चुनौती साबित हो रहे हैं, जिनका कोई स्थायी समाधान आज तक नहीं निकाला जा सका है।
नक्सली गश्त वाले रास्तों और जंगल-पहाड़ी इलाकों में बारूदी सुरंगें बिछाते हैं। जब जवान इन रास्तों से गुजरते हैं, तब या तो प्रेशर IED खुद ही वजन पड़ते ही फट जाती है, या फिर कमांड वायर से बैठे-बैठे नक्सली विस्फोट कर देते हैं। इन विस्फोटों के बाद वे अंधाधुंध गोलीबारी करते हैं।
सलवा जुडूम अभियान के समय हो या हालिया ऑपरेशन—नक्सलियों ने हमेशा इन सुरंगों का इस्तेमाल करके पुलिस पर पीछे से हमला किया है। चिंगावरम में बस विस्फोट, दरभागुड़ा में ट्रक हमला, पालोड़ी में एंटी लैंडमाइन वाहन पर हमला—हर जगह यही रणनीति देखने को मिली है।
दंतेवाड़ा और बीजापुर जिलों में हाल ही में हुए हमलों में भी लैंडमाइंस का इस्तेमाल हुआ है। अरनपुर और कुट्टरू जैसी जगहों पर ये घातक ब्लास्ट जानलेवा साबित हुए हैं।
ढोंडरा (कोंटा) में सोमवार को एएसपी आकाश राव गिरपूंजे प्रेशर IED की चपेट में आ गए। घटना के बाद मौके पर जांच करने पहुंचे अधिकारी के पहुंचने से पहले ही नक्सली 3-3 किलो की दो प्रेशर माइन पहले से वहां प्लांट कर चुके थे।
अब तक बस्तर में 1500 से ज्यादा IED बरामद की जा चुकी हैं। बस्तर IG के अनुसार, नक्सली आमने-सामने की लड़ाई में कमजोर रहे हैं, इसलिए वे धोखे और षड्यंत्र से वार करते हैं। वर्ष 2023-24 में 750 से अधिक IED बरामद हुईं, जबकि हाल ही में बीजापुर के कर्रेगुट्टा इलाके में 800 से ज्यादा विस्फोटक सामग्रियां पकड़ी गईं।
IED नक्सलियों की पुरानी और बेहद खतरनाक साजिश है, जिसका असर आज भी सुरक्षाबलों को झेलना पड़ रहा है।