प्रवक्ता अभय और विकल्प ने प्रेस नोट में कहा कि हाल ही में मीडिया में जो बयान वायरल हुआ वह पोलित ब्यूरो सदस्य सोनू का व्यक्तिगत निर्णय है और पार्टी से उसका कोई संबंध नहीं है। उन्होंने साफ किया कि अभय के नाम से जो प्रेस नोट और ऑडियो जारी किया गया वह न तो पार्टी की नीति है और न ही संगठन की ओर से अधिकृत है।
प्रेस नोट में नक्सलियों ने यह भी कहा कि शहीद महासचिव बसवा राजू की शांति वार्ता की कोशिशों को तोड़मरोड़ कर पेश किया जा रहा है। उनके अनुसार इस प्रकार की बातें संगठन में भ्रम और विभाजन फैलाने की साजिश है। तीन पन्नों के इस प्रेस नोट में यह भी लिखा गया कि हथियारबंद संघर्ष को छोड़ना संगठन की क्रांतिकारी विचारधारा से समझौता होगा और इससे पार्टी एक संशोधनवादी रास्ते पर चली जाएगी जो वे स्वीकार नहीं कर सकते।
नक्सली संगठनों ने कहा कि सोनू का बयान पूरी तरह से व्यक्तिगत है और पार्टी की केंद्रीय समिति, पोलित ब्यूरो और सभी यूनिट इसका कड़ा विरोध करते हैं। वे किसी भी हाल में आत्मसमर्पण या वार्ता के लिए तैयार नहीं हैं। उन्होंने दावा किया कि सरकार और सुरक्षा बलों के बीच चल रहे संघर्ष में अब तक दोनों पक्षों को नुकसान हुआ है लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि वे संघर्ष का रास्ता छोड़ देंगे।
गौरतलब है कि 17 सितंबर को अभय के नाम से एक प्रेस नोट और एक ऑडियो वायरल हुआ था जिसमें कहा गया था कि माओवादी संगठन अस्थायी तौर पर संघर्ष रोककर शांति वार्ता के लिए तैयार है और सरकार से गंभीर पहल की उम्मीद कर रहा है। इस बयान में यह भी दावा किया गया था कि यह निर्णय बसवा राजू की शांति वार्ता की कोशिशों का हिस्सा है।
अब नक्सलियों ने इस पूरे बयान को खारिज करते हुए कहा कि यह किसी व्यक्ति विशेष का निजी प्रयास है और पार्टी उससे पूरी तरह असहमत है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पहले ही कह चुके हैं कि मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा।
