एनआरडीए जमीन आवंटन मामला : क्यों हाईकोर्ट में मांगी माफी और ये कहा
By : hashtagu, Last Updated : January 24, 2025 | 11:00 pm
बिलासपुर। नवा रायपुर विकास प्राधिकरण के जमीन आवंटन मामले (Land allotment cases of development authority)में आईएएस सौरभ कुमार ने हाईकोर्ट में माफी मांगी(IAS Saurabh Kumar apologized in the High Court) और कहा कि आदेश को समझ नहीं पाया था। कोर्ट ने आदेशों का उल्लंघन करने और लंबित याचिका के बावजूद जमीन आवंटित करने पर अलॉटमेंट कमेटी के सदस्यों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं।
हाईकोर्ट ने लगाई कड़ी फटकार
सुनवाई के दौरान एनआरडीए के सीईओ और आईएएस अधिकारी सौरव कुमार व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित हुए। कोर्ट ने पूछा कि जब मामला विचाराधीन था, तब जमीन का आवंटन किस आधार पर किया गया। सौरव कुमार ने कहा कि उन्हें आदेश समझ नहीं आया, जिस पर कोर्ट ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा, क्या हम यह लिख दें कि आईएएस अधिकारी को हाईकोर्ट के आदेश समझ में नहीं आया?।
सीईओ द्वारा माफी मांगने और गलत शब्दों के इस्तेमाल की बात स्वीकार करने के बावजूद कोर्ट ने कहा कि आदेश की अवहेलना गंभीर मामला है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। गलत जानकारी देने पर असिस्टेंट मैनेजर की खिंचाई
कोर्ट ने हलफनामा पेश करने वाले असिस्टेंट मैनेजर को भी तलब किया और हलफनामे में गलत जानकारी देने पर नाराजगी जाहिर की। कोर्ट ने पूछा कि हलफनामा तैयार करने में लापरवाही क्यों बरती गई और चेतावनी दी कि उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जा सकती है। कोर्ट ने कहा कि असिस्टेंट मैनेजर इस पद के योग्य नहीं हैं।
लंबित याचिका के बावजूद जमीन आवंटन पर सवाल
कोर्ट ने पूछा कि जब याचिका लंबित थी, तब जमीन का आवंटन क्यों किया गया। सौरभ कुमार ने बताया कि यह निर्णय अलॉटमेंट कमेटी की अनुशंसा के आधार पर लिया गया। इस पर कोर्ट ने कमेटी के गठन और इसके सदस्यों के बारे में जानकारी मांगी।
कमेटी के खिलाफ एफआईआर के आदेश
कोर्ट ने आदेश दिया कि जमीन आवंटन प्रक्रिया में शामिल अलॉटमेंट कमेटी के सभी सदस्यों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए। कोर्ट ने कहा कि यदि याचिका पर निर्णय आने का इंतजार कर लिया जाता, तो यह समस्या नहीं होती। न्यू टैक ग्रुप को हुआ था आवंटन
जानकारी के अनुसार, 27 सितंबर 2021 को कमेटी की अनुशंसा पर न्यू टैक ग्रुप को जमीन आवंटित की गई थी। यह आवंटन वर्ष 2023 में याचिका पर अंतिम निर्णय से पहले ही कर दिया गया, जो कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है।
हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि आदेशों का पालन नहीं करने वाले अधिकारियों और संबंधित कमेटी के सदस्यों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। कोर्ट की इस सख्ती से राज्य में सरकारी कार्यप्रणाली और पारदर्शिता को लेकर एक मजबूत संदेश गया है।
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