रायपुर। छत्तीसगढ़ भाजपा प्रदेश महामंत्री ओपी चौधरी (BJP State General Secretary OP Chowdhary) ने कांग्रेस संगठन में बड़े बदलाव पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) ने पंख कुतर दिया जाना करार देते हुए कहा कि जिन महामंत्री अमरजीत चावला की शिकायत भूपेश बघेल ने कांग्रेस अधिवेशन के पूर्व एआईसीसी से की थी, उनको राजधानी रायपुर की जिम्मेदारी दी गई है। चावला के पास यूथ कांग्रेस, एनएसयूआई और सदस्यता का प्रभार भी रहेगा। वो अब और मजबूत होकर, वह भी राजधानी के प्रभारी बनकर भूपेश बघेल की छाती पर मूंग दलने तैनात हो गए हैं। या कांग्रेस की संस्कृति के अनुसार कलेजे पर लोटने के लिए तैयार कर दिए गए हैं।
भाजपा प्रदेश महामंत्री ओपी चौधरी ने कहा कि यह फेरबदल बता रहा है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के शिकंजे से मरकाम ने कांग्रेस संगठन को मुक्त कर लिया है। यह सब कांग्रेस की प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा औऱ मरकाम की जुगलबंदी से ही सम्भव हुआ है। भूपेश बघेल तो मरकाम का शिकार करने चले थे लेकिन वे खुद कांग्रेस की राजनीति के शिकार हो गए।
भाजपा प्रदेश महामंत्री ओपी चौधरी ने कहा कि इस फेरबदल का मतलब सीधे तौर पर यही है कि संगठन के मामलों में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को करारी हार मिली है। अब कांग्रेस प्रभारी सैलजा, टीएस सिंहदेव, चरणदास महंत, मरकाम की चौकड़ी संगठन का काम कर रही है। पार्टी संगठन में भूपेश बघेल की धमाचौकड़ी को दरकिनार कर दिया गया है। वे सत्ता और संगठन दोनों जगह तानाशाही चला रहे थे। उनके लोग प्रदेश अध्यक्ष को लगातार अपमानित कर रहे थे। संगठन के अध्यक्ष को संगठन का काम नहीं करने दिया जा रहा था।
भाजपा प्रदेश महामंत्री ओपी चौधरी ने कहा कि कांग्रेस की सत्ता और संगठन में अंतर्कलह किसी से छुपी नहीं है। कांग्रेस के फंड मैनेजर छत्तीसगढ़ को लूटकर आला दरबार की सेवा कर करके अपनी कुर्सी बचाये रखने में भले ही कामयाब हो गए लेकिन आखिरकार कांग्रेस के उच्च नेतृत्व को यह समझ में आ गया कि कांग्रेस को चुनाव में उतरना है तो भूपेश बघेल की बेजा दखलंदाजी से छुटकारा पाना जरूरी है। वैसे भी भूपेश बघेल की भ्रष्ट, निरंकुश, तानाशाही सल्तनत से छत्तीसगढ़ की जनता भारी आक्रोश में है।कांग्रेस को उखाड़ फेंकने के लिए चुनाव का इंतजार कर रही है। कांग्रेस ने अपने पूरे सफाये से बचने के लिए संगठन को ऑक्सीजन देने की कोशिश इस बदलाव के जरिये की है, मगर अब चिड़िया खेत चुग चुकी है।
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