रायपुर। छत्तीसगढ़ की सियासत में इस समय धान खरीदी के सवाल पर कांग्रेस-बीजेपी (Congress) में सियासी रार मची है। दोनों पार्टियों में जुबानी जंग तेज हाे रही है। इसके पीछे वजह है आगामी विधानसभा चुनाव है। क्योंकि कांग्रेस 2500 समर्थन मूल्य पर धान खरीदी (Paddy Purchased at Support Price) पर श्रेय लेने रही है तो बीजेपी इसे कांग्रेस की नहीं केंद्र सरकार की देन बता रही है। BJP का कहना है कि केंद्र के पैसे ही धान की खरीदी कांग्रेस सरकार कर रही है। ऐसे में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव के कांग्रेस पर धान खरीदी पर भ्रम फैलाने के आरोप पर मंत्री मोहम्मद अकबर ने पलटवार किया है।
उन्होंने कहा कि धान खरीदी की सारी व्यवस्था राज्य सरकार करती है, केन्द्र सरकार इसके लिए 1 रुपए भी नहीं देती। मोहम्मद अकबर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि धान खरीदी राज्य सरकार के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण योजना है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य सरकार प्रदेश के पंजीकृत किसानों से धान खरीदी करती है और बैंकों से ऋण लेकर भुगतान करती है।केंद्र सरकार द्वारा धान खरीदी के लिए कोई अनुदान, सहायता या लोन नहीं दिया जाता।
धान खरीदी का एक सिस्टम है, राज्य सरकार किसानों से धान खरीदी करती है फिर कस्टम मिलिंग के बाद सेन्ट्रल पूल में चावल जमा किया जाता है। उसके बाद केन्द्र सरकार द्वारा जमा चावल के एवज में निर्धारित दर पर भुगतान किया जाता है । साल 2023-24 में 125 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का अनुमान है। उन्होंने बताया कि किसानों से अब तक 15 क्विंटल प्रति एकड़ की दर से धान खरीदी की जा रही थी, जिसे राज्य सरकार ने बढ़ाकर 20 क्विंटल प्रति एकड़ धान खरीदने का फैसला लिया है।
मंत्री अकबर ने बताया कि समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के बारे में बताया कि धान खरीदी राज्य सरकार की सबसे बड़ी योजना है। धान खरीदी के लिए राज्य सरकार प्रतिवर्ष 20 से 25 हजार करोड़ रूपए का ऋण लेती है. यह ऋण छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी विपणन संघ (मार्कफेड) के माध्यम से बैंको और नाबार्ड इत्यादि से लिया जाता है। धान खरीदी के लिए केन्द्र सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ सरकार को कोई सहायता नहीं दी जाती और न ही कोई अनुदान या ऋण दिया जाता है। बैंकों एवं नाबार्ड से ऋण राज्य सरकार की गारंटी पर दिया जाता है।
धान खरीदी के बारे में राज्य सरकार की ओर से जानकारी देते हुए मंत्री मोहम्मद अकबर ने बताया कि राज्य सरकार की नीति और फैसलों से छत्तीसगढ़ के किसानों का जीवन खुशहाल हो रहा है. हमने किसानों को 2500 रुपए प्रति क्विंटल धान का मूल्य देने का जो वादा किया था, उसे निभाकर अपने वायदे के अनुरूप किसानों को राज्य सरकार राशि प्रदान कर रही है। सहकारी समितियों में धान बेचने वाले किसानों को समर्थन मूल्य के अलावा 9000 रुपए प्रति एकड़ की दर से 4 किस्तों में दिया जा रहा है।
किसानों को पहली किस्त के रूप में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पुण्यतिथि 21 मई, उनकी जयंती 20 अगस्त को दूसरी और छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस 01 नवंबर को तीसरी किस्त दी गयी। इसी तरह वित्तीय वर्ष की समाप्ति में 31 मार्च को किसानों को किसान न्याय योजना की चौथी किस्त की राशि दी जाती है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2022-23 में समर्थन मूल्य पर धान बेचने वाले किसानों को राजीव गांधी किसान न्याय योजना की राशि मिलाकर प्रति क्विंटल 2640 रुपए की दर से भुगतान किया गया है।
मंत्री मोहम्मद अकबर ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा धान उत्पादक किसानों को दिये जा रहे प्रोत्साहन के फलस्वरूप धान बेचने वाले पंजीकृत किसानों की संख्या और धान का रकबा लगातार बढ़ता जा रहा है। किसानों द्वारा बेचे जाने वाले धान की मात्रा भी लगातार बढ़ती जा रही है।उन्होंने बताया कि धान बेचने वाले पंजीकृत किसानों की संख्या 1896 लाख से बढ़कर 2997 लाख हो गई है। धान का रकबा 24 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 32 लाख हो गया है।
उन्होंने बताया कि साल 2021-22 में 92 लाख मीट्रिक टन् साल 2022-23 में 107 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की गई। साल 2023-24 में 125 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का अनुमान है. मंत्री मोहम्मद अकबर ने बताया कि किसानों से अब तक 15 क्विंटल प्रति एकड़ की दर से धान खरीदी की जा रही थी जिसे राज्य सरकार ने बढ़ाकर 20 क्विंटल प्रति एकड़ धान खरीदने का फैसला लिया है।
धान खरीदी के मामले में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने कहा था कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर केंद्र सरकार की ओर से किए जाने वाले भुगतान को लेकर राज्य सरकार ने आंकड़े जारी करने की चुनौती स्वीकार नहीं की। क्योंकि राज्य सरकार ने भ्रामक जानकारी दी थी। उन्होंने कहा था कि आंकड़े जारी किए तो मालूम हो जाएगा कि धान खरीदी के सोलह आने में से मात्र 1 आना राज्य सरकार दे रही है। केंद्र सरकार धान खरीदी के लिए बारदाने से लेकर परिवहन तक सभी व्यय वहन करती है।
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