Political Review : विस में ‘सत्ता पक्ष-विपक्ष’ की धमा-चौकड़ी… मारक क्षमता किसकी घटी !

By : hashtagu, Last Updated : March 5, 2025 | 8:59 am

रायपुर। (Budget in cg assembly) इस वक्त विधानसभा में बजट पर चर्चाएं चल रही हैं। मंगलवार को भी हुई और बुधवार तक जारी रहेगी। इसमें सत्ता और विपक्ष के सदस्य (Members of power and opposition) अपने-अपने विचार व्यक्त कर रहे हैं। एक लाख 65 हजार 100 करोड़ रुपए का बजट वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने पेश किया है। जहां सत्ता पक्ष विकास की तीव्र गति वाला बता रहा है तो विपक्ष इसकी खामियों को गिनाने के साथ ही सुझाव भी दे रहा है। लेकिन पूरी चर्चा के दौरान जैसे ही विपक्ष बजट की आलोचनाएं करते-करते आरोप भी जड़ दे रहा है। जिस पर सत्ता पक्ष उनकी पूर्ववर्ती सरकारों के दौरान हुए भ्रष्टाचार और गड़बडिय़ों के सवालों में घेर लेते हैं। यदकदा सत्ता पक्ष के फायरब्रांड बन चुके राजेश मूणत और अजय चंद्राकार सहित अन्य सदस्य विपक्ष की धार को कुंद करते नजर आ रहे हैं। वैसे भी छत्तीसगढ़ राज्य का पहला हस्तलिखित बजट का दस्तावेज एक समावेशी और विकासपरक है। लेकिन अगर विपक्ष उसमें क्या और बेहतर हो सकता है, इसका धर्म निभाता भी विपक्ष दिख रहा है। इस भूमिका में कांग्रेस विधायक उमेश पटेल, राघवेंद्र सिंह सहित कई सदस्य हैं। पर जनहित के मुद्दों को उठाते-उठाते उन्हें अपनी पूर्ववर्ती सरकार के पांच साल के कामकाज के सवालों से भी जूझना पड़ रहा है। सत्ता पक्ष के सदस्य कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार के दौरान हुए भ्रष्टाचार पर निशाना साधने लगते हैं। ये दीगर है कि अभी सभी प्रकरण जांच की प्रक्रिया में है। लेकिन ये तो राजनीति का एक ज्वलंत पहलू भी है आरोप और प्रत्यारोप। जिन भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सरकार बनी है, उसे अगले चुनाव तक जीवंत रखना।

एक उदाहरण के तौर पर सेक्स सीडी कांड के जरिए कैसे कांग्रेस ने 2018 के विधानसभा के चुनाव में भाजपा के खिलाफ माहौल बनाया। सीबीआई कोर्ट में अब सात साल बाद सुनवाई शुरू हुई है। कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार ने स्कॉईवॉक की जांच एसआईटी से कराया लेकिन हर बार इसमें किसी भी प्रकार की अनियमितता नहीं होने का क्लीनचिट मिला। सवाल उठाता है कि 15 साल रमन सरकार के दौरान जितने काम हुए वह ही आज भी है, इस काम को आगे बढ़ाने में विष्णुदेव साय की सरकार जुटी हुई है। रही बात कांग्रेस के पूर्ववर्ती सरकार की तो पांच साल में सिर्फ धान के समर्थन मूल्य और नरवा-गुरूवा-बाड़ी को छोड़ दिया जाए तो कोई भी अधोसरंचना जैसे बड़े काम प्रदेश में नहीं हुए, बल्कि रमन सरकार के दौरान हुए कामों की खस्ताहाल किसी से छुपा नहीं है। यही वो सबसे बड़ी वजह थी कि भाजपा की प्रदेश में ट्रिपल इंजन की सरकार बनी। इसके पीछे कारण था, कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार का था, जहां कोयला लेवी ही नहीं तमाम काम को ऑनलाइन से ऑफलाइन कर दिया गया था, बाद में घोटाले और भ्रष्टाचार की लंबी फेहरिस्त निकलकर सामने आई। सवाल उठता है कि कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार के दौरान शुरू हुई गुटबाजी आज तक नहीं रूकी। यही कारण है कि है कांग्रेस के विधायक विधानसभा में एक मजबूत विपक्ष की भूमिका कहां तक निभा पाते हैं, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा ये तो सच है कि बिना विपक्ष के अंकुश और स्वस्थ्य आलोचनाएं ही लोकतंत्र की खूबसूरती है।

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