जातिगत जनगणना पर सियासत गरम: बघेल बोले- राहुल गांधी की पहल के आगे केंद्र झुका, भाजपा का पलटवार- सत्ता में रहते क्यों नहीं किया ये काम?

By : ira saxena, Last Updated : May 1, 2025 | 11:57 pm

रायपुर। जातिगत जनगणना को लेकर छत्तीसगढ़ की सियासत में बयानबाजी तेज हो गई है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा कि राहुल गांधी की पहल और कांग्रेस के आंदोलन के कारण आखिरकार केंद्र को झुकना पड़ा और अब जातिगत जनगणना कराने का निर्णय लिया गया है।

बघेल ने कहा, “राहुल गांधी ने 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले हर मंच से जातिगत जनगणना की मांग उठाई। यह केवल एक आंकड़ा नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय की दिशा में बड़ा कदम है। इससे यह जानने में मदद मिलेगी कि किस जाति की आबादी कितनी है, उनकी सामाजिक, आर्थिक स्थिति क्या है और राजनीति में उनकी भागीदारी कितनी है।”

उन्होंने कहा कि “निजी क्षेत्र में भी आरक्षण की बात होनी चाहिए। नीति निर्धारक पदों पर एससी, एसटी और ओबीसी की भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए। मोदी जी कहते थे कि देश में केवल चार जातियां हैं, लेकिन राहुल गांधी के निरंतर अभियान ने उन्हें भी अपना रुख बदलने पर मजबूर कर दिया।”

भाजपा का पलटवार: कांग्रेस के पास अब बोलने का कोई अधिकार नहीं

वहीं, उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा, “जिस पार्टी ने सत्ता में रहते इस जनगणना का लगातार विरोध किया, वह अब श्रेय लेने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस को अब इस मुद्दे पर बोलने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।”

साव ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने दशकों तक शासन किया, लेकिन पिछड़े वर्गों, दलितों और वंचितों की उपेक्षा की। “वो केवल वोट बैंक के तौर पर इन वर्गों को देखते रहे। जब जनगणना का सही समय था, तब उन्होंने इसे नजरअंदाज किया और आज जब मोदी सरकार ने यह क्रांतिकारी निर्णय लिया है, तो कांग्रेस इसे राजनीतिक रूप देने में लगी है।”

चंद्राकर का तंज: आजादी के बाद पहली बार लिया गया साहसिक निर्णय

पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने कांग्रेस पर तीखा तंज कसते हुए कहा कि, “1941 में आज़ादी से पहले आखिरी बार जातिगत जनगणना हुई थी। आज़ाद भारत में पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में यह ऐतिहासिक निर्णय लिया गया है।”

उन्होंने कहा, “कांग्रेस ने इतने वर्षों तक सत्ता में रहने के बावजूद इस पर कोई कदम नहीं उठाया। अब जब केंद्र सरकार ने साहसिक फैसला लिया है, तो कांग्रेस इसमें भी श्रेय लेने की होड़ में है। यदि उन्हें सच में पिछड़ों की चिंता होती, तो यह काम बहुत पहले हो जाना चाहिए था।”