रायपुर। शासन की योजनाओं की वास्तविक सफलता तभी मानी जाती है जब उनकी पहुंच और क्रियान्वयन समाज के सबसे निचले तबके तक सुनिश्चित हो। प्रदेश में निवासरत पांच विशेष पिछड़ी जनजातियों (Special backward tribes) में से एक कमार जनजाति भी है, जिसमें अभी भी शिक्षा और जागरूकता का अभाव है। अपनी लोक संस्कृति और पारम्परिक विरासत एवं मूल्यों के साथ जीवन-यापन करने वाली यह जनजाति कई मायनों में आज भी पिछड़ी हुई है। कांकेर जिले के नरहरपुर ब्लॉक के 13 ग्रामों में इस जनजाति के 72 परिवार निवासरत हैं, जिनकी जनसंख्या 283 है। इन्हीं में से एक ग्राम मावलीपारा में कमार जनजाति की बहुलता है, लेकिन शासन की योजनाओं का लाभ लेने के मामले में इनकी बात औरों से जुदा है। प्रधानमंत्री जनमन योजना (Pradhan Mantri Janman Yojana) से इनके जीवन में बड़ा बदलाव आ रहा है।
पेशे से बांस की टोकरी और दैनंदिनी के अन्य पारम्परिक सामान बनाकर बेचने वाली यह जनजाति भी अब शासन की योजनाओं का लाभ लेने में पीछे नहीं है। प्रायः कमार जनजाति के लोग घुमंतू और खानाबदोश प्रवृत्ति के होते हैं लेकिन यहां के कमारजन जो प्रायः घासफूस, खदर और मिट्टी से निर्मित अस्थायी घरों में रहते थे, उनको एक तरह से स्थायित्व मिल गया है, क्योंकि स्थायी ठौर के तौर पर अब उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्के आवास मिल चुके हैं। विशेष पिछड़ी जनजाति के कमार लोगों को इसका सबसे बड़ा फायदा यह हुआ। पक्के मकान मिलने से उन लोगों में स्थायी तौर पर निवास करने की रुचि पैदा हुई है। परिणामस्वरूप, ये अब घर छोड़कर कहीं जाने के मूड में नहीं हैं। एक तरह से उनकी घुमंतू व खानाबदोशी जीवन शैली पर विराम लग गया है।
ग्राम पंचायत मावलीपारा के कमारों के मुखिया हीराराम नेताम ने बताया कि आज से लगभग 10-15 साल पहले उनकी जनजाति के ज्यादातर लोग गांवों के बाहर अस्थायी निवास बनाकर रहते थे। यानी घासफूस और लकड़ी के घर बनाकर कुछ दिनों तक रहते, फिर मौसम परिवर्तन के साथ ही रोजगार की तलाश में वे अक्सर अपना निवास बदल देते थे। श्री नेताम ने बताया कि उनका मुख्य व्यवसाय बांस की टोकरी व सूपा, बिजना जैसी घरेलू उपयोग की चीजें बनाने का रहा है। जब से कम कीमत पर प्लास्टिक और कृत्रिम उत्पाद बाजार में आए, तब से उनका यह धंधा भी मंदा हो चला है। आत्मविश्वास से लबरेज श्री नेताम ने बताया कि अब ऐसा नहीं है। यहां निवासरत ज्यादातर परिवारों के पास राशन कार्ड, आयुष्मान कार्ड, आधार कार्ड, मनरेगा जॉब कार्ड सहित प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर, स्वच्छ भारत मिशन से बने शौचालय हैं, जिसका वे नियमित उपयोग करते हैं।
नेताम ने बताया कि उनकी जनजाति के लोग स्थायी रूप से निवास करना फायदेमंद और बेहतर है। इसी तरह ग्रामीण श्री पनकूराम कमार (नेताम) ने बताया कि पहले आजीविका के तौर पर मछली का शिकार करके, शहद इकट्ठा करके बेचने सहित अन्य लघु वनोत्पादों को शहर जाकर बेचने का काम किया जाता था। उसी से परिवार का जीवनयापन होता था। अब पीडीएस से मुफ्त राशन के अलावा बीपीएल कार्ड व आधार आदि बनाए जा चुके हैं। घर पहुंच सेवाएं मुहैया कराने के लिए उन्होंने शासन को धन्यवाद दिया।
स्वभाव से लजीले, शर्मीले और दुनियावी भागमभाग से दूर अपने आप में मस्त व मशगूल रहने वाले लोगों तक शासन की योजनाओं की पहुंच, उनके गांव और घर तक सुनिश्चित करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने विशेष पिछड़ी जनजातियों के विकास को दृष्टिगत करते हुए हाल ही में पीएम जनमन योजना प्रारंभ की। इसके तहत समाज की विशेष पिछड़ी जनजातियों को मुख्यधारा में शामिल कर आमजनों की तरह उन्हें शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं का शत-प्रतिशत लाभ दिलाना है।
इसी क्रम में जिला प्रशासन की पहल पर जिले के 13 ग्रामों में निवासरत 72 परिवारों के 283 कमार जनजाति के लोगों तक योजना की पहुंच सुनिश्चित करने स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा, समाज कल्याण, ग्रामीण विकास विभाग सहित विभिन्न विभागों के द्वारा गांवों में कैम्प लगाकर तथा उनके घर जाकर आवश्यक दस्तावेज तैयार किए जा रहे हैं। इसके अलावा आधार अपडेशन जैसे कार्य भी गांव में कैम्प लगाकर युद्ध स्तर पर किए जा रहे हैं। कांकेर कलेक्टर श्री अभिजीत सिंह ने जल्द से जल्द विशेष पिछड़ी जनजाति के शत-प्रतिशत परिवारों को शासन की योजनाओं का लाभ दिलाने के निर्देश जिला अधिकारियों को दिए हैं।
शासन की योजनाओं से विशेष पिछड़ी जनजाति के लोगों की न सिर्फ जीवनचर्या में सकारात्मक बदलाव आ रहा है, अपितु वे अपने पारम्परिक मूल्यों को संरक्षित रखने के साथ शासन की योजनाओं का लाभ लेकर समाज की मुख्यधारा से भी जुड़ रहे हैं। मनुष्य की मौलिक आवश्यकताएं रोटी, कपड़ा और मकान जैसी सुविधाएं अब उनसे दूर नहीं हैं। अपने बच्चों को बचपन से ही तीर-कमान से शिकार करना, मधुमक्खी के बर्रे से शहद निकालना और स्कूल के बजाय वनोत्पादों का संग्रहण करना सिखाने वाले कमार अब उन्हें रोजाना स्कूल भेज रहे हैं। यहां तक कि गांव के दो शिक्षित कमार युवक शासकीय नौकरी में सेवारत हैं। पक्के मकान से निवास का स्थायी जरिया मिलने के साथ-साथ राशन, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी अन्य आधारभूत सेवाओं का लाभ लेने में भी अब वे किसी से कमतर नहीं हैं। वास्तव में यह शासन के प्रयासों से सकारात्मक परिवर्तन की बयार है, जिसके आने वाले दिनों में और भी सुखद परिणाम आएंगे।
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ताराशंकर सिन्हा (जनसंपर्क विभाग)