रायपुर दक्षिण उपचुनाव: कम वोटिंग से बीजेपी को नुकसान की चर्चा

रायपुर दक्षिण उपचुनाव में कुल 50.50 प्रतिशत वोटिंग हुई है, जबकि 2023 के सामान्य चुनाव में यहां 61.73 प्रतिशत मतदान हुआ था। 2023 के चुनाव में बीजेपी के बृजमोहन अग्रवाल ने कांग्रेस के रामसुंदर दास महंत को 68 हजार वोटों से भारी मतों से हराया था।

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  • Publish Date - November 19, 2024 / 12:07 PM IST

रायपुर: रायपुर दक्षिण उपचुनाव (Raipur south bye elections) में कम वोटिंग को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि इससे बीजेपी को नुकसान हो सकता है, लेकिन छत्तीसगढ़ में हुए पिछले उपचुनावों के परिणाम कुछ और ही कहानी बयां करते हैं। इन उपचुनावों में 7 फीसदी तक कम वोटिंग के बावजूद सत्ता पक्ष को ही जीत हासिल हुई है।

रायपुर दक्षिण उपचुनाव में कुल 50.50 प्रतिशत वोटिंग हुई है, जबकि 2023 के सामान्य चुनाव में यहां 61.73 प्रतिशत मतदान हुआ था। 2023 के चुनाव में बीजेपी के बृजमोहन अग्रवाल ने कांग्रेस के रामसुंदर दास महंत को 68 हजार वोटों से भारी मतों से हराया था। उनके सांसद बनने के बाद इस सीट पर उपचुनाव हुआ और इस बार वोटिंग में 11.23% की गिरावट आई है।

रायपुर दक्षिण विधानसभा के सिविल लाइन क्षेत्र में, जहां राज्य के कई प्रमुख अधिकारी और मंत्री रहते हैं, सबसे कम मतदान हुआ। इस क्षेत्र में 11,754 मतदाता थे, लेकिन केवल 2,650 मतदाताओं ने ही मतदान किया। यहां के पॉश इलाकों में लोग घर से कम निकले, जिससे मतदान प्रतिशत में गिरावट आई।

चुनाव से पहले यह अनुमान था कि मुस्लिम इलाकों में इस बार उच्च मतदान होगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। बैजनाथ पारा, छोटापारा, संजय नगर, संतोषी नगर और अन्य मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में भी मतदान कम हुआ। बैजनाथ पारा के 3189 वोटरों में से केवल 1331 ने मतदान किया, जबकि संतोषी नगर के 10,779 वोटरों में से 5177 ने वोट डाले।

कांग्रेस इस कम मतदान को सत्ता के खिलाफ बता रही है, जबकि बीजेपी का कहना है कि चाहे मतदान प्रतिशत कम हो, नतीजे उनके पक्ष में ही आएंगे। बीजेपी इस बात को लेकर आश्वस्त है कि वोटिंग का प्रतिशत घटने से उसे कोई खास नुकसान नहीं होगा।

छत्तीसगढ़ में पिछले छह उपचुनावों में से पांच उपचुनावों में कम से कम 5 से 7 प्रतिशत तक मतदान में गिरावट आई थी, लेकिन सत्ता पक्ष को ही जीत मिली थी। हालांकि, रायपुर दक्षिण उपचुनाव में 11.23% की गिरावट आई है, जो बीजेपी के लिए चिंता का विषय बन सकती है।

2014 के अंतागढ़ उपचुनाव में सबसे ज्यादा 18% की गिरावट देखी गई थी, लेकिन उस समय कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार नाम वापस ले लिया था, जिससे इसे आम चुनाव के रूप में नहीं माना जा सकता था।

अब तक केवल दो उपचुनावों को छोड़कर, हर उपचुनाव में सत्ता पक्ष को ही जीत मिली है। भले ही कांग्रेस ने पिछले 5 उपचुनावों में जीत हासिल की है, लेकिन तब कांग्रेस सरकार में थी। इस बार मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में यह बीजेपी का पहला उपचुनाव है, और यही कारण है कि कांग्रेस अब ट्रेंड के खिलाफ बैकफुट पर नजर आ रही है।