आरक्षण बिल अब सुप्रीम कोर्ट में!, जानें, कब होगी सुनवाई

By : madhukar dubey, Last Updated : December 15, 2022 | 7:23 pm

छत्तीसगढ़। आरक्षण बिल अब सियासत के चंगुल से निकलकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। सूत्रों के हवाले से पता चला है कि एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अर्जेंट सुनवाई की मंजूरी दी है। इसकी पहली सुनवाई कल यानी शुक्रवार को होगी। बताया जा रहा है कि यह याचिका सामाजिक कार्यकर्ता बीके मनीष ने दायर की है।

जिसे सुप्रीम कोर्ट के मंजूर कर लेने की अभी प्राथमिक सूचना मिल रही है। बता दें, विधानसभा में आरक्षण बिल को मंजूरी मिली चुकी है। लेकिन इस विधेयक पर राज्यपाल ने अभी तक साइन किए हैं। जिस पर उन्होंने आपत्ति जताई है कि इसमें सिर्फ आदिवासी आरक्षण को बढ़ाया जाना चाहिए था। लेकिन सरकार ने विधानसभा में सभी वर्गों के आरक्षण को बढ़ा दिया है। ऐसे में आरक्षण का प्रतिशत 76 तक पहुंच गया है। कुल मिलाकर इसी वजह से राज्यपाल ने भूपेश सरकार से राजभवन की ओर से 10 सवालों को पूछा है। जिसके जवाब आने के बाद ही कोई फैसला लेगीं। लेकिन इस अभी तक वैधानिक कार्रवाई शुरू नहीं हो पाई।

हां, इतना है कि इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस और बीजेपी में सियासत तेज हो गई है। दोनों पार्टियों के नेता इसका अपने-अपने तरीके से बयानबाजी कर रहे हैं। अब देखने वाली बात है कि विधानसभा में परित आरक्षण बिल के विधेयक को लेकर सुप्रीम कोर्ट में क्या फैसला होता है। ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

राज्यपाल ने बुधवार को सरकार से पूछे थे 10 सवाल

सूत्रों के मुताबिक राजभवन ने पूछा है कि क्या इस विधेयक को पारित करने से पहले अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति का कोई डाटा जुटाया गया था? अगर जुटाया गया था तो उसका विवरण। सन 1992 में आये इंद्रा साहनी बनाम भारत संघ मामले में उच्चतम न्यायालय ने आरक्षित वर्गों के लिए आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक करने के लिए विशेष एवं बाध्यकारी परिस्थितियों की शर्त लगाई थी। उस विशेष और बाध्यकारी परिस्थितियों से संबंधित विवरण क्या है। उच्च न्यायालय में चल रहे मामले में सरकार ने आठ सारणी दी थी। उनको देखने के बाद न्यायालय का कहना था, ऐसा कोई विशेष प्रकरण निर्मित नहीं किया गया है जिससे आरक्षण की सीमा को 50 प्रतिशत से अधिक किया जाए। ऐसे में अब राज्य के सामने ऐसी क्या परिस्थिति पैदा हो गई जिससे आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक की जा रही है। राजभवन ने यह भी पूछा है कि सरकार यह भी बताये कि प्रदेश के अनुसूचित जाति और जनजाति के लोग किस प्रकार से समाज के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ों की श्रेणी में आते हैं। इस तरह के 10 सवाल पूछे गए हैं।