RSS का ‘राष्ट्र चेतना समागम’, ‘विहंगम’ कुटुम्ब मिलन

(Rashtriya Swayamsevak Sangh Raipur) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ रायपुर महानगर द्वारा मंडी मैदान देवेंद्र नगर में राष्ट्र चेतना संगम में स्वयंसेवकों का एकत्रीकरण व कुटुम्ब मिलन के कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

  • Written By:
  • Publish Date - January 22, 2023 / 10:15 PM IST

रायपुर। (Rashtriya Swayamsevak Sangh Raipur) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ रायपुर महानगर द्वारा मंडी मैदान देवेंद्र नगर में राष्ट्र चेतना संगम में स्वयंसेवकों का एकत्रीकरण व कुटुम्ब मिलन के कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता अखिल भारतीय गोंड महासभा के अध्यक्ष मंगल दास ठाकुर ने की।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि एवं वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह मुकुंद जी ने कहा, परंपराओं की रक्षा करना भी हम सबकी जिम्मेदारी है। हमारी परंपरा में सेवा निःस्वार्थ भाव से की जाती है। ऐसी परंपराएं हर समाज, पंथ, संप्रदाय में है। समाज में जीवनमूल्य के मायने हैं, नियम बदल सकते हैं किन्तु मूल्य नहीं बदल सकते। पूजा पद्धति अलग हो सकती है, किन्तु जीवन मूल्य नहीं बदलते। जनजातीय परंपरा वैदिक या अवैदिक हो सकता है, मत पंथ, संप्रदाय अलग हो सकते हैं किन्तु मूल्य तो पूरे भारत का एक ही है।

संघ के सह सरकार्यवाह मुकुंद जी ने कहा कि लाखों हजारों वर्षों से समाज की रचना हुई उसमें कुछ बातें समान हैं। जीवन दृष्टि सभी की एक है। धरती को मातृ समान मानना। हम पानी, नदी और गौ को माता समान मानते है। हम पेड़, पौधे, पक्षी की पूजा करते हैं, यह हमारे मूल्य हैं। यह हमारे पूर्वजों ने हजारों साल से अपने अनुभव से बनाया है। भगवान को न मानने वाले का भी स्थान है, पहले भी था आज भी है। सभी को सम्मान देने वाला हिंदू समाज है क्योंकि हमारा मूल एक है। जड़ एक है। संघ यही मूल्य की बात करता है, इससे पूरे हिंदू समाज को एकजुट करना हमारा उद्देश्य है। यह कुटुंबों में सीखते हैं।

परंपराओं की रक्षा करना हम सबकी जिम्मेदारी: मुकुंद

चिंता का विषय है कि, शिक्षा में परिवर्तन होना चाहिए। संघ की दृष्टि केवल स्कूल कॉलेज की शिक्षा नहीं है, वह महत्व का है, गणित, विज्ञान सीखते हैं लेकिन बड़ी शिक्षा परिवार और समाज से भी मिलती है। परिवार सिखाता है संस्कार, समुदाय में वातावरण भी सिखाता है। संघ ने कुटुंब प्रबोधन के क्षेत्र में भी प्रयास शुरू किया है। पूर्वजों से मिले मूल्यों का पालन करना चाहिए, यह बताया जाता है। अस्पृश्यता को छोड़ना है, समरसता को बढ़ाना है, कुटुंब में यह चर्चा हो। मातृ शक्ति की बड़ी भूमिका है। कुरीतियों को छोड़ना है, बड़े समाज का निर्माण करना है तो कुछ जोड़ना पड़ता है, कुछ छोड़ना पड़ता है। स्वयंसेवकों के प्रयास से एक परिवर्तन समाज में हो रहा है। परंपराओं की रक्षा करना हम सबकी जिम्मेदारी।

नीति और कानून बनाने का काम, व्यवस्था परिवर्तन के लिए समाज परिवर्तन करना पहले जरूरी है। व्यवस्था परिवर्तन के प्रयास हो रहे हैं, अभी कई काम बाकी है। हिंदू संस्कृति की अभिव्यक्ति, अस्मिता के लिए प्रयास करेंगे, सभी अपने तन मन धन से प्रयास करेंगे, इससे परिवर्तन होगा। संघ को जानना है तो संघ में आकर देखिए, अंदर आ कर देखिए, अनुभव कीजिए। मिलकर आगे बढ़ेंगे, संरक्षण और संगठन का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं।

संघ की स्थापना हिंदू समाज के संरक्षण और संगठित करने के लिए हुआ, अभी सौ साल होने जा रहा है। यह कार्यकर्ता आधारित संगठन है, संघ का आधार प्रचार और पैसा नहीं है। संघ की शाखा में जो संस्कार मिलता है उससे अनुशासन मिलता है, समरसता का भाव मिलता है, देशभक्ति की भावना मिलती है। जीवन में इन गुणों को उतरना, आसपास इस भावना का प्रसार करना है। समाज क्षेत्र में परिवर्तन लाने का कार्य है, यह कार्य संघ कर रहा है। आज शिक्षा, सुरक्षा, वैचारिक, गौसेवा, पर्यावरण, आर्थिक क्षेत्र में स्वयंसेवक कार्य कर रहे हैं। परिवर्तन लाने का प्रयास कर रहे हैं। समाज में संगठन और परिवर्तन लाने में सफल हो रहे हैं, सनातन मूल्यों की रक्षा करने में समाज जागृत हुआ है। आत्मविस्मृत और आत्मकेंद्रित समाज आज बाहर आकर सुसंगठित हो कर दुनिया को मार्गदर्शन करने के लिए सामने आ रहे हैं।

धर्म की रक्षा से समाज सुरक्षित – मंगलदास ठाकुर

अध्यक्षता कर रहे मंगलदास ठाकुर ने कहा, भारत के कण-कण, रग- रग में भगवान का वास होता है। कुछ लोग पिछले कुछ वर्षों से भारत के वातावरण को बिगाड़ने का काम कर रहे हैं। इस देश में अनेक विदेशी ताकतें आयी, इन्होंने प्राचीन मार्ग को छोड़कर अपना प्रचार किया। विदेशी धर्म प्रचार किया, हिंदुओं की संख्या कम होने लगा। जनजातीय राजाओं ने भी पूरे देश में अनेक क्षेत्रों में शासन किया, विदेशी ताकतों से मुकाबला किया। रानी दुर्गावती ने बलिदान दिया, उनसे प्रेरणा लेने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि बस्तर में जगह जगह धर्मांतरण हो रहा है, पैसे के बल पर, पिछड़े समाज में भी मतांतरण हो रहा है। भारत में हिन्दू धर्म को कमजोर करने का षड्यंत्र रच रहा हैं। आज हम सबको जागरूक रहने की आवश्यकता है।

मंच पर पूज्य संतों की उपस्थिति व विभिन्न मत संप्रदायों के प्रमुखों की उपस्थिति तथा अलग अलग समाजों के प्रमुखों की उपस्थिति कार्यक्रम की गरिमा को शोभायमान कर रही थी। कार्यक्रम के आरंभ में स्वयंसेवकों ने शारीरिक व्यायामयोग का घोष के ताल पर प्रदर्शन किया। सांघिक गीत व वैयक्तिक गीत हुआ। कार्यक्रम में बड़ी संख्या आए सभी कुटुंब जनों तथा गणमान्य नागरिकों का आभार व्यक्त किया गया।