रेडियो जॉकी की नौकरी छोड़ साइकिल से निकल पड़े संपूर्ण शुक्ला, इसकी ये वजह

कहते हैं कि जब जागो, तब सबेरा। कुछ ऐसी ही कहानी यूपी के संपूर्ण शुक्ला की है, जिन्होंने रोडियो जॉकी की नौकरी अचानक इसलिए छोड़ दी, क्योंकि

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  • Updated On - December 19, 2024 / 07:02 PM IST

  • यूपी से निकले और नाप दी 19 हजार किमी की दूरी
  • बिलासपुर में सफर के पड़ाव पर बताई खुद की कहानी
  • कहा-मेरा भले ही छोटा कदम है, कम से लोगों का ध्यान पर्यावरण के प्रति आकर्षित करेगा

बिलासपुर। कहते हैं कि जब जागो, तब सबेरा। कुछ ऐसी ही कहानी यूपी के संपूर्ण शुक्ला(Sampoorna Shukla of UP) की है, जिन्होंने रोडियो जॉकी की नौकरी अचानक इसलिए छोड़ दी, क्योंकि उन्हें लगा कि पर्यावरण संरक्षण(environmental protection) के प्रति लोगों को जागरूक करना चाहिए। फिर क्या था, वे साइकिल से पर्यावरण संरक्षण की अलख जगाने निकल पड़े। उन्होंने अब तक 19 हजार 235 किमी का सफर पूरा कर लिया है। इनके सफर के पड़ाव में छत्तीसगढ़ का बिलासपुर भी आया, जहां उन्होंने मीडिया से अपने उद्देश्यों के बारे में बताया। जिसे सुनकर सभी ने उनके हौंसले की प्रशंसा की।

अब तक 28 राज्यों में साइकिल चलाकर पहुंच चुके हैं

उन्होंने बताया कि वे अब तक 28 राज्यों में साइकिल से यात्रा कर चुके हैं। इसी क्रम में वे जल संरक्षण और ह्यूमैनिटी के संदेश के साथ वह छत्तीसगढ़ राज्य में यात्रा पर हैं। जहां अपने सफर के दौरान लोगों को पर्यावरण सरंक्षण के प्रति जागरूक कर रहे हैं। उन्होंने कहा साइकिल को अपने सफर का जरिया बनाया, ताकि यह एक प्रतीकात्मक संदेश दे सके। उनकी इस यात्रा का मकसद लोगों को जागरूक करना और जीवन को समझाना है।

समाज में सकारात्मक बदलाव करना भी उद्देश्य

जल संरक्षण और हूमैनिटी के मैसेज के साथ, संपूर्ण शुक्ला देशभर में लोगों से मिल रहे हैं। वह पानी के महत्व और मानवता के प्रति संवेदनशीलता के महत्व को समझाते हुए, समाज में पॉजिटिव बदलाव की पहल कर रहे हैं।

12 ज्योतिर्लिंग और 4 धामों का दर्शन तक भी पहुंचे

बीते एक साल में संपूर्ण शुक्ला ने साइकिल से 28 राज्यों में 19,235 किलोमीटर की दूरी तय की। इस यात्रा में 12 ज्योतिर्लिंग और 4 धामों का दर्शन भी शामिल है। हर राज्य में वह स्थानीय लोगों से संवाद कर उन्हें जागरूक कर रहे हैं।

इस यात्रा के दौरान अपने अनुभव पर लिखेंगे किताब

संपूर्ण शुक्ला ने बताया कि जब उनकी यह यात्रा उत्तर प्रदेश में समाप्त होगी, तब वह इस अनुभव पर एक किताब लिखेंगे। यह किताब पर्यावरण संरक्षण, मानवीय कहानियों और यात्रा के दौरान सीखे गए पाठों को दुनिया के सामने लाएगी। संपूर्ण शुक्ला की यह प्रेरणादायक यात्रा न केवल पर्यावरण बचाने की दिशा में एक प्रयास है, बल्कि यह मानवता और समाज के प्रति उनके गहरे समर्पण को भी दर्शाती है। उनकी साइकिल यात्रा हर व्यक्ति को सोचने पर मजबूर करती है कि छोटे कदम भी बड़े बदलाव ला सकते हैं।

 

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