रायपुर। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव (BJP State spokesperson Sanjay Srivastava) ने कांग्रेस पार्टी पर कटाक्ष किया है कि प्रयास लगने पर कुआं खोदा जाता है, लेकिन कांग्रेस (Congress) वह पार्टी है जहां प्यास से मरने की स्थिति निर्मित हो गई तब कुआं खोदने की सुध पार्टी के नेताओं नें ली है । भाजपा प्रवक्ता श्रीवास्तव ने लोकसभा चुनाव के लिए मतदान होने के चंद दिनों पूर्व प्रदेश कांग्रेस की ओर से गठित की गई 14 सदस्यीय संवाद एव संपर्क समिति के गठन के औचित्य पर प्रश्नचिह्न लगाते हुए कांग्रेसियों से सवाल किया है। उन्होंंने पूछा है कि देश के सबसे बड़ा चुनाव में हारने की कगार पर पहुंच चुकी पार्टी को अचानक अब यह सुध कैसे आ गई।
भाजपा प्रवक्ता श्रीवास्तव ने कहा कि कांग्रेस में इस समिति के गठन की जरूरत तो पांच वर्ष पूर्व से थी, जब बड़े बहुमत से राज्य मेंं सरकार बनाने के बावजूद कुछ महीने में ही पार्टी में तकरार शुरू हो गई थी। कांग्रेस के जय और वीरू व उनके समर्थकों के बीच चुन-चुनकर निपटाने का खेल शुरू हो गया था। इसी का परिणाम रहा कि कांग्रेस सरकार के ढाई वर्ष पूर्ण होने के पूर्व ही उनका एक विधायक बृहस्पत सिंह वरिष्ठ नेता टीएस सिंहदेव के खिलाफ विधानसभा के भीतर हत्या करवाने का आरोप लगा देता है, भरी सभा में खुद पर लगे दाग को धोने के बाद ही विधानसभा में लौटने की बात कहकर सिंहदेव को जाना पड़ता है।
विधानसभा चुनाव के वक्त का घमासान किसी से छुपा नहीं है। 22 विधायको ने बगैर किसी आधार के टिकट काटने का आरोप लगाकर तत्कालीन प्रदेश कमेटी और वरिष्ठ नेताओं की विश्वसनीयता पर सवाल खडे कर दिए थे। हार के बाद उनके राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने हार के लिए खुले तौर पर पूर्व सीएम भूपेश बघेल को जिम्मेदार ठहरा दिया था।
भाजपा प्रवक्ता श्रीवास्तव ने सवाल उठाया है कि पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हुए बडे उद्योगपति नवीन जिंदल सहित अन्य को जूते से मारने की सोच रखने वाले नेताओं से भरी इस पार्टी में संवादहीनता वैमनस्यता के स्तर पर घर कर चुकी है। इसी का परिणाम है कि जो समझदार हैं, उन्होंने देश और दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा का दामन थाम लिया और वहां उनकी उपेक्षा नहीं हुई बल्कि सम्मान मे इजाफा हुआ है।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस ने अपनी 14 सदस्यी संवाद एवं संपर्क समिति में जिन चेहरों को शामिल किया है उनके बीच ही समन्वय स्थापित हो जाए तो बड़ी बात होगी। टीम में तीन पूर्व अध्यक्ष, छह पूर्व मंत्री सहित अलग-अलग मत के लोग शामिल हैं। इनके बीच पहले संवाद स्थापित हो पाएगा इसी बात पर में संदेह है।
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