सुकमा: कभी जिन हाथों में बंदूकें थीं, आज उन्हीं हाथों में औजार हैं और जिन रास्तों पर डर और हिंसा का साया था, वहीं अब विकास की नींव रखी जा रही है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय (Vishnu Deo Sai) की पहल पर सुकमा जिले में आत्मसमर्पित नक्सलियों के पुनर्वास की एक नई और सकारात्मक तस्वीर सामने आई है। जिले के पुनर्वास केंद्र में रह रहे 35 आत्मसमर्पित नक्सलियों को राजमिस्त्री का व्यावसायिक प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाया गया है।
यह प्रशिक्षण जिला प्रशासन और एसबीआई आरसेटी के संयुक्त सहयोग से संचालित किया जा रहा है। प्रशिक्षण कार्यक्रम में 15 महिलाएं और 20 पुरुष शामिल हैं। इन्हें भवन निर्माण से जुड़ी सभी जरूरी तकनीकी और व्यावहारिक जानकारियां दी जा रही हैं, जिनमें नींव निर्माण, ईंट चिनाई, प्लास्टर कार्य, छत ढलाई और गुणवत्ता मानकों का चरणबद्ध प्रशिक्षण शामिल है, ताकि वे किसी भी निर्माण कार्य में दक्षता के साथ काम कर सकें।
यह पहल केवल रोजगार प्रशिक्षण तक सीमित नहीं है, बल्कि आत्मसमर्पित युवाओं के जीवन को नई दिशा देने का माध्यम बन रही है। प्रशिक्षण पूरा होने के बाद ये युवा प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत जिले में अधूरे और नए आवासों के निर्माण में काम करेंगे। इससे उन्हें स्थायी और सम्मानजनक रोजगार मिलेगा और साथ ही नक्सल प्रभावित व दुर्गम इलाकों में लंबे समय से चली आ रही कुशल राजमिस्त्रियों की कमी भी दूर होगी।
कलेक्टर देवेश ध्रुव ने कहा कि आत्मसमर्पण का वास्तविक अर्थ केवल हथियार छोड़ना नहीं है, बल्कि आत्मनिर्भर बनकर समाज की मुख्यधारा में सम्मान के साथ लौटना है। जिला प्रशासन का प्रयास है कि पुनर्वास केंद्र में रह रहे युवाओं को कौशल, रोजगार और सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं, ताकि वे सामान्य जीवन जी सकें।
जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी मुकुन्द ठाकुर ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण सहित विभिन्न शासकीय निर्माण कार्यों के सफल क्रियान्वयन के लिए कुशल मानव संसाधन जरूरी है। यह प्रशिक्षण आत्मसमर्पित युवाओं को रोजगार और सामाजिक सरोकार से जोड़ेगा।
पोलमपल्ली निवासी पुनर्वासित पोड़ियम भीमा ने बताया कि वे करीब 30 वर्षों तक संगठन से जुड़े रहे, लेकिन आत्मसमर्पण के बाद उनका जीवन पूरी तरह बदल गया है। उन्होंने कहा कि पुनर्वास केंद्र में रहने और खाने की अच्छी व्यवस्था है। पहले उन्हें इलेक्ट्रिशियन मैकेनिक का प्रशिक्षण मिला और अब राजमिस्त्री का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिससे वे सम्मान के साथ काम कर सकेंगे।
पुवर्ती निवासी मुचाकी रनवती ने बताया कि वे 24 वर्षों तक संगठन से जुड़ी रहीं। पुनर्वास के बाद उन्हें सिलाई का प्रशिक्षण मिला और अब राजमिस्त्री का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उन्होंने अपने परिवार से दोबारा मुलाकात की, बस्तर ओलंपिक में भाग लिया और प्रथम पुरस्कार भी जीता। शासन की योजनाओं का पूरा लाभ उन्हें मिल रहा है।
डब्बमरका निवासी गंगा वेट्टी ने कहा कि पुनर्वास के बाद उनका जीवन पूरी तरह बदल गया है। जिला प्रशासन की ओर से उन्हें मोबाइल और राजमिस्त्री किट दी गई है। शिविर लगाकर आधार कार्ड, आयुष्मान कार्ड, राशन कार्ड और जॉब कार्ड बनाए गए हैं। किसी भी समस्या पर कलेक्टर और एसपी तत्काल सुनवाई करते हैं।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार संवाद, संवेदना और विकास के माध्यम से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में स्थायी शांति स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है। आत्मसमर्पित युवाओं को हुनर, रोजगार और सम्मान देकर समाज की मुख्यधारा से जोड़ना राज्य की पुनर्वास नीति का मूल उद्देश्य है।
सुकमा जिले में आत्मसमर्पित युवाओं को रोजगारमूलक कार्यों से जोड़ने का यह प्रयास साबित करता है कि संवेदनशील प्रशासन, भरोसे और विकासपरक योजनाओं के जरिए हिंसा के रास्ते से लौटे युवाओं को नई पहचान और बेहतर भविष्य दिया जा सकता है। यही पुनर्वास की असली सफलता है और यही स्थायी शांति की मजबूत नींव है।