सौरभ चंद्राकर की ‘काली कमाई’ खपाने वाला ‘भिलाई नगर निगम’ का ठेकेदार! ED की छापेमारी

(ED) ने ऑनलाइन सट्टा ऐप कारोबार से जुड़े मास्टरमाइंड सौरभ चंद्राकर के 7 करीबियों के ठिकानों पर दबिश दी है।

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  • Updated On - October 16, 2023 / 12:29 PM IST

रायपुर। दुर्ग जिले के भिलाई में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने ऑनलाइन सट्टा ऐप कारोबार से जुड़े मास्टरमाइंड सौरभ चंद्राकर (Mastermind Saurabh Chandrakar) के 7 करीबियों के ठिकानों पर दबिश दी है। सोमवार सुबह 7 बजे ईडी की चार सदस्यीय टीम भिलाई पहुंची। जहां नेहरू नगर में दीपक सावलानी (बदला हुआ नया नाम जयदीप) के घर पर छापेमार की। दीपक सावलानी भिलाई नगर निगम में ठेकेदारी करता है। उसका यहां के एक वरिष्ठ पार्षद से काफी करीबी संबंध है। पार्षद की राजनीतिक पहुंच के चलते ही नगर निगम में जितना भी झूला, कुर्सी सप्लाई का काम आता है, वो दीपक ही देखता है।

ईडी की टीम ने जहां छापा मारा है, उसमें विकास बत्रा बाबा दीपसिंह नगर निवासी सत्यम जींस, दूल्हे साहेब शॉप का संचालक, भरत रवानी ईओएस 205 वैशाली नगर, भारत मेडिकल स्टोर संचालक, सुरेश कुकरेजा चावल व्यापारी उत्सव भवन सुन्दर नगर, सुरेश ढिंगानी पदुम नगर पटाखा व्यापारी, सौरभ जायसवाल राजनांदगाव और नेहरू नगर में दीपक सावलानी शामिल है।

सौरभ का बिजनेस पार्टनर है दीपक

दीपक सावलानी सौरभ चंद्राकर का बिजनेस पार्टनर है। उसने सौरभ के साथ पार्टनरशिप में जूस फैक्ट्री का कारोबार शुरू किया था। इसके बाद नेहरू नगर में चौपाटी खोली। जब सौरभ दुबई जाकर ऑनलाइन सट्टा कारोबार से जुड़ा, तो दीवक एक साल के लिए वहां गया था।

सौरभ की काली कमाई इनवेस्ट करता है दीपक

एक साल दुबई में रहने के बाद दीपक भिलाई वापस आ गया। बताया जा रहा है कि सौरभ की काली कमाई को वह इनवेस्ट करता है। इसके सौरभ से काफी करीबी संबंध होने के चलते ही ईडी की टीम ने छापेमारी की है।

घर इतना आलीशान की दो मंजिल के लिए लिफ्ट लगी है

दीपक सावलानी का नेहरू नगर भिलाई में बेहद आलीशान मकान है। उस घर में लग्जरी होटल जैसी हर सुविधा है। दीपक ने घर में सिर्फ दो मंजिल ऊपर-नीचे जाने के लिए लिफ्ट भी लगवा रखी है।

ईडी से बचने के लिए बदला अपना नाम

दीपक को पहले से पता था कि वो एक न एक दिन ईडी की रडार में आएगा। इसलिए उसने बचने के लिए पूरा प्लान बना लिया था। उसने गजट में नया नाम प्रकाशन कर जयदीप कर लिया। उसके पासपोर्ट से लेकर अन्य दस्तावेजों में जयदीप नाम ही दर्ज है। बताया जा रहा है कि उसने ऐसा इसलिए किया कि अगर ईडी उसके दुबई आने-जाने के कनेक्शन को खंगालेगी, तो दीपक सावलानी नाम से खोजेगी। जबकि उस नाम से कोई डिटेल्स मिलेगा ही नहीं।

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