छत्तीसगढ़ कोल घोटाले में CA राकेश जैन गिरफ्तार, फर्जी कंपनियों से 50 करोड़ हवाला कर मास्टरमाइंड तक पहुंचाए

करीब 50 करोड़ रुपए को फर्जी खर्च दिखाकर कैश बनाया गया और हवाला के जरिए आरोपी तिवारी को भेजा गया। बदले में वह मोटा कमीशन लेता था।

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  • Updated On - December 12, 2025 / 11:06 PM IST

रायपुर, छत्तीसगढ़: छत्तीसगढ़ कोयला घोटाला (Coal Scam) मामले में पांच साल से फरार चल रहे चार्टर्ड अकाउंटेंट राकेश कुमार जैन को EOW ने शुक्रवार को रायपुर कोर्ट के बाहर गिरफ्तार कर लिया। जैन के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी था। गिरफ्तारी के बाद उसे स्पेशल कोर्ट में न्यायाधीश नीरज शर्मा के समक्ष पेश किया गया, जहां से उसे 19 दिसंबर तक पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया।

जांच में सामने आया कि जैन ने अपने और अपने साले के नाम पर 12 से ज्यादा फर्जी कंपनियां बनाईं और इन कंपनियों के जरिए अवैध कोल वसूली की करोड़ों की रकम हवाला से कोल घोटाले के मुख्य आरोपी सूर्यकांत तिवारी तक पहुंचाई। करीब 50 करोड़ रुपए को फर्जी खर्च दिखाकर कैश बनाया गया और हवाला के जरिए आरोपी तिवारी को भेजा गया। बदले में वह मोटा कमीशन लेता था।

जांच में यह भी खुलासा हुआ कि जैन ने शराब घोटाले के आरोपी अनवर ढेबर के लिए भी काले धन को सफेद करने का काम किया। इसके लिए उसने फर्जी एंट्री और नकली दस्तावेजों का इस्तेमाल किया। राकेश जैन लोगों को शेयर मार्केट में 10% से 10 गुना तक मुनाफे का झांसा देकर धोखा देता था। उस पर 50 करोड़ रुपए से ज्यादा की ठगी का आरोप है। डॉक्टर, अधिकारी और व्यापारियों सहित दर्जनों लोग उसके जाल में फंसे। एक डॉक्टर से 92.45 लाख और एक व्यापारी से 1.10 करोड़ की ठगी की गई।

उसने कई लोगों के आधार और PAN कार्ड लेकर विभिन्न बैंकों से 5 से अधिक लोन भी निकलवाए। जैन बड़ी पार्टियों में विग लगाकर स्मार्ट लुक में जाता था और खुद को शेयर मार्केट एक्सपर्ट बताकर लोगों का भरोसा जीतता था। CA होने के कारण लोग उस पर आसानी से विश्वास कर लेते थे। रायपुर के कोतवाली, मौदहापारा, टिकरापारा समेत कई थानों में 4 FIR, वहीं दुर्ग–राजनांदगांव सहित कई जिलों में 12 FIR दर्ज हैं। ACB/EOW में भी मामला दर्ज है। पुलिस उसकी लोकेशन पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र तक ट्रेस कर चुकी है।

570 करोड़ से ज्यादा का कोल स्कैम क्या है?
ED के मुताबिक छत्तीसगढ़ में कोल परिवहन और ऑनलाइन परमिट को ऑफलाइन करने सहित कई तरीकों से 570 करोड़ रुपए से ज्यादा की अवैध वसूली की गई। ED ने 36 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की है। आरोप है कि 15 जुलाई 2020 को खनिज विभाग के तत्कालीन संचालक IAS समीर विश्नोई ने ऑनलाइन परमिट प्रक्रिया को ऑफलाइन कर दिया था, जिसके बाद बड़े पैमाने पर वसूली का खेल शुरू हुआ।