‘बागेश्वर धाम’ की ‘अलौलिक’ शक्ति की ‘अग्नि परीक्षा’!, बजा विश्व में डंका

By : madhukar dubey, Last Updated : January 22, 2023 | 1:23 pm

छत्तीसगढ़। (Dhirendra Krishna Shastri of Bageshwar Dham) बागेश्वर धाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) आये तो उनको कुछ लोग चुनौती देने लगे। फिर क्या था, उन्होंने अपने आराध्य और साधना के बलबूते उनको मुंहतोड़ जवाब दिया। हाल ही में एक साेशल मीडिया पर जमकर विडियो भी वायरल हो रहा है। जहां वे एक पत्रकार के सवालों का जवाब देते दिखाई दे रहे हैं। इन सबके बावजूद जब मीडिया उन्हें नहीं घेर पाई तो अब एक संतों का वर्ग भी उनको चुनौती देने पर उतर आया हैं। कोई अपने मठ की दीवार जोड़वाने की चुनौती दे रहा। वहीं कई ऐसे यूटूबर है, जो उन्हें ढोगी तक बताने से गुरेज नहीं कर रहे हैं।

बहरहाल, चाहे जो भी शक्ति पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री में हो। लेकिन वे बार-बार कहते हैं कि हम एक आम इंसान हैं, अपने आराध्य श्रीहनुमान जी की कृपा और सन्यासी बाबा की कृपा से जो महसूस करते हैं, वहीं बताते हैं। यानी हर व्यक्ति के जीवन में एक रहस्य छिपा रहता है, जिसे मात्र उजागर करने का काम करते हैं। जिसे आत्मसात कर व्यक्ति की दुरूह समस्याएं खत्म हो जाती हैं।

इतना ही पंडित जी ध्यान योग और साधना को अपनाने पर बल देते हैं। ताकि व्यक्ति के जीवन में शांति और सुख आए। इनका विरोध होना एक संत या महात्मा के लिए कोई नई बात नहीं है। क्योंकि एक वह भी वक्ता था, जब रामचरित्र मानस के रचियता संत गोस्वामी श्री तुलसीदास को भी विरोध झेलना पड़ा था। आखिरकार लोगों ने उनकी उपयोगिता को अपनाया आज उनका महाकाव्य हमारे सनातन धर्म की धरोहर है। आज श्री बागेश्वर धाम के प्रति लाखों नहीं करोड़ों लोगों की आस्था है। क्योंकि उनके दरबार में श्रीहनुमान की भक्ति और शक्ति का अलौलिक समागम दिखता है।

कौन हैं पंडित धीरेंद्र शास्त्री

मध्यप्रदेश में बागेश्वर धाम एक चंदेलकालीन प्राचीन सिद्ध पीठ है। १९८६ में ग्रामवासियों द्वारा मंदिर का जीर्णोद्धार कराया गया था। उसके बाद सन १९८७ के बीच में ग्राम गढ़ा के बाबा सेतुलाल महाराज उर्फ भगवानदास महाराज निर्मोही अखड़ा चित्रकूट से दीक्षा प्राप्त करके बागेश्वर धाम पहुंचे थे। इसके बाद सन १९८९ में एक विशाल यज्ञ का आयोजन करवाया गया था। २६ साल के धीरेंद्र शास्त्री बताते हैं कि ये उनके दादा के जमाने से चला आ रहा है। यहां उनके पूर्वज दरबार लगाकर लोगों को उनकी समस्या समाधान बताते थे।

रायपुर में चल रही है धीरेंद्र शास्त्री की कथा

रायपुर में चल रही बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री की कथा के दौरान फिर नागपुर में उन्हें मिले चैलेंज का जिक्र हुआ था। पंडित शास्त्री ने कहा कि लोग उन्हें पाखंडी और अंधविश्वास को बढ़ावा देने वाला कहते हैं। मैंने ऐसे लोगों को रायपुर आने का चैलेंज दिया था, अगर वे आए हों तो सामने आए। इसके बाद उन्होंने मीडियाकर्मियों से भीड़ में से किसी महिला को लाने को कहा। इस महिला की समस्या का पर्चा उन्होंने पहले से लिख रखा था। दरअसल, नागपुर के सामाजिक कार्यकर्ता श्याम मानव ने कहा था कि धीरेंद्र शास्त्री अंधविश्वास को बढ़ावा देते हैं, अगर उनकी टीम से जुड़े लोगों के सवालों के जवाब वो दे पाए तो ३० लाख का ईनाम देंगे। खबर आई कि इस चैलेंज के बाद धीरेंद्र शास्त्री नागपुर से भाग गए थे। इसी के जवाब में शुक्रवार को धीरेंद्र शास्त्री ने रायपुर में दरबार लगाया था। खुला चैलेंज किया कि श्याम मानव रायपुर आएं और देख लें कि वो कैसे लोगों की समस्या का समाधान बताते हैं।

जोशी मठ की दरार जोड़कर चमत्कार करने दी चुनौती

ज्योतिष पीठ के प्रमुख शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने बागेश्वर धाम वाले बाबा के नाम से चर्चित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का नाम लिए बगैर उनके चमत्कार को चुनौती दी है। उन्होंने कहा कि ऐसा कोई चमत्कार करने वाले हैं तो जोशी मठ में दरार आ गई है उसे जोड़ दें, हम उन पर फूल बरसाएंगे। सारी जनता चाहती है कि कोई चमत्कार हो जाए।

नारियल से चुनरी निकाल कर गोला निकाल दे या सोना भी निकल जाए तो उससे जनता का क्या भला होगा। जो भी चमत्कार हो रहा है उससे जनता की भलाई हो तो हम उनका जय जयकार करेंगे, नहीं तो यह चमत्कार नहीं छलावा है और कुछ नहीं।

चैलेंज देने वाले श्याम मानव नहीं आए रायपुर

चैलेंज के साथ पंडित धीरेंद्र कृष्ण ने दरबार लगाया। धीरेंद्र कृष्ण ने कहा कि नागपुर वालों को मैंने रायपुर आने को कहा था। अगर यहां आ गए हो तो सामने आओ, तुम्हारी ठठरी बांध देंगे और तुम्हें गीला करके भेजेंगे। नागपुर के सामाजिक कार्यकर्ता श्याम मानव ने धीरेंद्र कृष्ण पर अंध विश्वास फैलाने का आरोप लगाया था उन्हें चैलेंज करते हुए बाबा ने रायपुर बुलाया था मगर श्याम मानव नहीं आए। पं धीरेंद्र कृष्ण कहते हैं बजरंग बली की कृपा से भीड़ में से किसी को भी उठाकर वो उसकी समस्या और समाधान बता देते हैं। इसके लिए कोई पैसा नहीं लेते। न ही खुद को संत बताते हैं और न ही किसी को अपने कार्यक्रम में आमंत्रित करते हैं। लेकिन, श्याम मानव उनके दरबार में रायपुर नहीं आए।