‘एक लाख’ स्थानों पर पहुंचेगा ‘राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ’
By : madhukar dubey, Last Updated : March 18, 2023 | 6:25 pm
डॉ. पूर्णेन्दु सक्सेना ने कहा कि, राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक 12, 13 एवं 14 मार्च 2023 को सेवा साधना एवं ग्राम विकास केंद्र पट्टीकल्याणा, समालखा (पानीपत, हरियाणा) में संपंन हुई।
रविवार 12 मार्च को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के परम पूजनीय सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत और सरकार्यवाहक दत्तात्रेय होसबाले ने भारतमाता के चित्र पर पुष्पार्पित कर अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा का शुभारंभ किया। अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में देशभर से 34 संगठनों के 1474 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
प्रतिनिधि सभा में राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ की अखिल भारतीय स्तर पर कार्य स्थिति भी प्रतिनिधियों के सम्मुख रखी गई। देश के प्रत्येक भाग में संघ कार्य में वृद्धि हो रही है। 2025 में संघ अपने स्थापना के 100 वर्ष पूरे करने जा रहा है। वर्तमान में संघ 71355 स्थानों पर प्रत्यक्ष तौर पर कार्य कर समाज परिर्वतन के महत्वपूर्ण कार्य में अपनी भूमिका निर्वाह कर रहा है। अगले एक वर्ष तक एक लाख स्थानों तक पहुंचना संघ का लक्ष्य है।
वर्ष 2020 में आयी कोरोना आपदा के बाद भी संघ कार्य बढ़ा है। वर्ष 2020 में 38913 स्थानों पर 62491 शाखा, 20303 स्थानों पर साप्ताहिक मिलन व 8732 स्थानों पर मासिक मंडली चल रही थीं। 2023 में यह संख्या बढक़र 42613 स्थानों पर 68651 शाखाएं, 26877 स्थानों पर साप्ताहिक मिलन व 10412 स्थानों पर मासिक मंडली तक पहुंच गई है।
संघ दृष्टि से देशभर में 911 जिले हैं। जिनमें से 901 जिलों में संघ का प्रत्यक्ष कार्य चलता है। 6663 खंडों में से 88 प्रतिशत खंडों में, 59326 मंडलों में से 26498 मंडलों में संघ की प्रत्यक्ष शाखाएं लगती हैं। शताब्दी वर्ष में संघ कार्य को बढ़ाने के लिए संघ के नियमित प्रचारकों व विस्तारकों के अतिरिक्त 1300 कार्यकर्ता दो वर्ष के लिए शताब्दी विस्तारक निकले हैं।
छत्तीसगढ़ प्रान्त में वर्तमान में संघ की शाखाएं 1142 व साप्ताहिक मिलन 515 चल रहे हैं। आगामी मई माह में शुरू होनेवाले संघ के औपचारिक प्रशिक्षण संघ शिक्षा वर्ग प्रथम वर्ष में 500, द्वितीय वर्ष में 100 व तृतीय वर्ष में 20 शिक्षार्थी भाग लेने का अनुमान है। अपने प्रान्त में गत मार्च 2022 के बाद हुए प्राथमिक शिक्षा वर्ग कुल 34 स्थानों पर सम्पन्न हुए जिसमें कुल 3192 शिक्षार्थियों ने भाग लिया।
आज संघ के प्रति लोगों की रुचि बढ़ रही है। देशभर में लोग संघ को ढूंढते हुए डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से संघ के साथ जुड़ने के लिए निवेदन कर रहे हैं। वर्ष 2017 से 2022 तक ज्वाइन आरएसएस के माध्यम से संघ के पास देशभर से 7,25,000 निवेदन आए हैं। इनमें से अधिकांश 20 से 35 आयु वर्ग के युवक हैं, जो समाज सेवा के लिए संघ से जुड़ना चाहते हैं।
दैनिक शाखाओं में भी युवाओं की रुचि बढ़ रही है। संघ की 60 प्रतिशत शाखाएं विद्यार्थी शाखाएं हैं। पिछले एक वर्ष में 121137 युवाओं ने संघ का प्राथमिक शिक्षण प्राप्त किया है। आगामी वर्ष की योजना में देशभर में संघ शिक्षण के 109 शिक्षण वर्ग लगेंगे, जिसमें लगभग 20 हजार स्वयंसेवकों के शिक्षण प्राप्त करने का अनुमान है।
छत्तीसगढ़ प्रांत में कार्यकर्ता प्रशिक्षण एवं गुणवत्ता विकास वर्गों के माध्यम से नए कार्यकर्ताओं की संख्या बढ़ रही है। संघ के स्वयंसेवकों द्वारा गतिविधियों के माध्यम से कुटुम्ब प्रबोधन, सामाजिक समरसता, पर्यावरण तथा नागरिक कर्तव्यबोध इन विषयों पर योजनाबद्ध रूप से कार्य हो रहा है। क्षेत्र का सामाजिक अध्ययन शाखाओं के द्वारा हो रहा है।
रायपुर महानगर में सेवाकार्य हेतु 83 सेवाबस्ती चिन्हित कर उनसे से 32 सेवा बस्ती में सेवाकार्य प्रारम्भ हुए हैं। प्रान्त के अन्य 33 जिलों में सेवाकार्य हेतु 147 सेवाबस्ती चिन्हित कर उनमें से 125 सेवाबस्ती में सेवा कार्य प्रारम्भ हुए हैं। इन सेवा बस्तियों में संघ स्वयंसेवकों के सम्पर्क माध्यम से व समाज के सहयोग से अभावग्रस्त लोगों के बीच सेवा कार्य संचालित किया जा रहा है।
पूरे देश में जिस प्रकार संघ कार्य बढ़ा है उसी प्रकार छत्तीसगढ़ प्रांत में भी कार्य विस्तार तेज गति से हो रहा है। सामाजिक सदभाव व समरसता के लिए कार्यकर्ताओं ने स्थानीय सामाजिक चुनौती समरसता को केंद्रित कर गावों में, बस्तियों में समरसता सर्वेक्षण व सामाजिक अध्ययन कराया। कुछ चिन्हित स्थानों पर समन्वय व सदभाव बैठकों का आयोजन भी किया गया है। समाज जागरण हेतु संकल्प कार्यक्रम विद्यालय, महाविद्यालय, विभिन्न सामाजिक एवं सार्वजनिक संस्थानों में सम्पन्न हुए।
स्वावलंबी भारत अभियान के अंतर्गत उद्यमिता प्रोत्साहन सम्मेलनों के साथ 22 जिलों में जिला रोजगार सृजन केंद्रों का शुभारंभ किया गया जिसमें 426 वॉलिंटियर्स जुड़े हैं। ये रोजगार सृजन केंद्र उद्यम एवं रोजगार के लिए मार्गदर्शन देने का कार्य कर रहे हैं। स्वंयसेवकों ने ऐसे मंदिर चिन्हित किए जहां लोगों का आना कम होता है। इन मंदिरों में प्रति मंगलवार और शनिवार को आरती एवं हनुमान चालीसा पाठ प्रारंभ किया गया। कार्यकर्ता प्रशिक्षण एवं गुणवत्ता विकास की दृष्टि से महाविद्यालयीन विद्यार्थियों के बीच कार्य बढ़ाने एवं प्रत्येक इकाई में टोली खड़ी करने के उद्देश्य से प्रांत स्तर पर विद्यार्थियों का ‘सृजन शिविर’ भी आयोजित हुए हैं।
वर्तमान परिदृश्य
वर्तमान समय देश को सभी मोर्चों पर आगे बढ़ते देखना आनंद का विषय है। देश के साथ ही विदेशों में रह रहे भारतीयों ने स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव मनाया है। राष्ट्रीय नवोत्थान का प्रारंभ हर ओर अनुभव में आ रहा है। भारत की शक्ति, सामर्थ्य एवं प्रतिष्ठा में वृद्धि हो रही है। कोरोना महामारी के चुनौतीपूर्ण काल में भी देश की आत्मनिर्भरता का संकल्प सुफल देने की स्थिति में आया है। कई प्रमुख आर्थिक विशेषज्ञों के वक्तव्य हैं कि वर्तमान शताब्दी भारत की शताब्दी होगी। संकट के काल में भी देश की अर्थव्यवस्था न केवल सुधरी है बल्कि विश्व में पांचवें स्थान पर पहुंच गई है।
इस समय में औपनिवेशिक दासता की मानसिकता को त्यागकर स्वत्व का जागरण हो रहा है। बाढ़, भूकंप, दुर्घटनाओं जैसी आपदा के समय राहत कार्यों में समाज और संगठन आगे आते हैं। स्वच्छता, समरसता, रोजगार सृजन की दिशा में समाज का उल्लेखनीय कार्य देखने में आ रहा है। राष्ट्र को समृद्ध, स्वाभिमानी एवं सुसंस्कारित बनाने में मात्र सरकार की नीति एवं प्रयत्नों पर निर्भर न होकर समाज को भी अपना कर्तव्य बखूबी निभाना चाहिए यही संघ की दृष्टि है।
देश के स्वाधीनता के अमृतकाल में भी कई गंभीर चुनौतियां हैं। इतिहास की परिस्थितियों से उत्पन्न विकृत एवं स्वार्थी मानसिकता वाले राष्ट्र घातक तत्वों की कुटिलता के कारण कई सामाजिक एवं राष्ट्रीय चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। मतांतरण के षड्यंत्रों से भी समाज संघर्ष कर रहा है।
समाज संगठन, समाज जागृति एवं राष्ट्र निर्माण की अपनी साधना में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ शीघ्र ही शत वर्ष पूर्ण करने जा रहा है। संघ कार्य में समाज की जनता भी स्वयं सहभागी हो रही है तथा अपार सहयोग भी दे रही है। अतः हमें कार्य को तीव्र गति देनी ही होगी।
शताब्दी वर्ष के लक्ष्य के निमित्त कार्य विस्तार एवं गुणवत्ता के सार्थक प्रयासों के साथ साथ समरसता, परिवार प्रबोधन, पर्यावरण संरक्षण, स्वदेशी जीवन शैली, नागरिक कर्तव्य का जागरण जैसे समाज परिवर्तन के विविध आयामों को प्रभावी बनाना, वैचारिक विमर्श को राष्ट्रीय दिशा देना और समाज की सज्जन शक्ति का सही संचालन करना इन कार्यों में भी सफलता प्राप्त करना, इस लक्ष्य को लेकर हम बढ़ रहे हैं।
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में एक प्रस्ताव ‘स्व’ के आधारित राष्ट्र के नवोत्थान का संकल्प लें व माननीय सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी द्वारा तीन वक्तव्य जारी हुए हैं।
1. महर्षि दयानंद सरस्वती की 200 वीं जन्मजयंती के अवसर पर वक्तव्य
2. महावीर स्वामी के निर्वाण के 2550 वर्ष पूर्ण होने पर वक्तव्य
3. छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्यारोहण के 350वें वर्ष के उपलक्ष्य में
जिसमें छत्रपति शिवाजी महाराज के स्मृति व उनके पराक्रम निमित्त उनके राज्याभिषेक को संघ हिन्दू साम्राज्य दिनोत्सव के रूप में प्रति वर्ष मनाता ही है। एक स्वाभिमानी, समृद्धशाली, सुशील संपन्न, संगठित एवं समरस भारत के समग्र तथा सुंदर प्रारूप को लेकर संघ कार्य अग्रसर हो रहा है।