रायपुर, (आईएएनएस)| छत्तीसगढ़ में गोबर रोजगार पर एक बड़ा जरिया बन गया है। एक तरफ जहां पशुपालकों को अच्छी-खासी आमदनी हो रही है तो वहीं स्व सहायता समूह के जरिए महिलाओं को रोजगार मिल रहा है।
छत्तीसगढ़ सरकार ने दो साल पहले गोधन न्याय योजना को अमलीजामा पहनाया गया, छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना देश-दुनिया के लिए नजीर बन गई है। देश के कृषि क्षेत्र में छत्तीसगढ़ की गोधन न्याय योजना को एक सफल और मजबूत योजना के रूप में सराहा जा रहा है। गांव-गांव में की जा रही गोबर खरीदी और जैविक खाद के सतत निर्माण एवं उपयोग से राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा मिला है।
गोधन न्याय योजना के तहत बीते सवा दो सालों में 87.28 लाख क्विंटल गोबर की खरीदी पशुपालकों ग्रामीणों एवं किसानों से की गई है, जिससे जैविक खाद सहित अन्य सामग्री का निर्माण महिला स्व-सहायता समूह द्वारा गौठानों में अनवरत रूप से किया जा रहा है। गोबर खरीदी के एवज में अब तक 174.56 करोड़ रूपए का भुगतान गोबर विक्रेताओं को किया जा चुका है। क्रय किए गए गोबर से गौठानों में महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा लगभग 24 लाख क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट एवं सुपर कम्पोस्ट प्लस का निर्माण किया गया है। जिसमें से 20 लाख क्विंटल कम्पोस्ट खाद का उपयोग किसानों ने अपने खेतों में किया है। इससे राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा मिला है।
छत्तीसगढ़ में गोधन न्याय योजना की शुरूआत 20 जुलाई 2020 को हरेली पर्व के दिन से हुई थी।
गोधन न्याय योजना के तहत राज्य में अब तक गोबर विक्रेता पशुपालक किसानों सहित गौठान समितियों एवं महिला स्व-सहायता समूहों को 356 करोड 14 लाख रूपए का भुगतान किया जा चुका है, जिसमें 18 करोड़ रूपए की बोनस राशि भी शामिल है। गोधन न्याय योजना के तहत छत्तीसगढ़ राज्य के गौठानों में 2 रूपए किलो की दर से गोबर की खरीदी की जा रही है। गौठानों में 15 अक्टूबर तक खरीदे गए 87.28 लाख क्विंटल गोबर के एवज में गोबर विक्रेताओं को 174.56 करोड़ रूपए का भुगतान भी किया जा चुका है। गौठान समितियों एवं महिला स्व-सहायता समूहों को अब तक 159.41 करोड़ रूपए राशि की भुगतान किया जा चुका है। गौठान समितियों तथा स्व-सहायता समूह को 163.58 करोड़ लाभांश राशि का वितरण किया गया है। स्वावलंबी गौठानों में स्वयं की राशि से 21.78 करोड़ रूपए का गोबर क्रय किया है।
दूसरी ओर राज्य में गोमूत्र की भी खरीदी शुरू की गई है।अभी राज्य के 78 गौठानों में चार रूपए लीटर की दर से गोमूत्र की खरीदी की जा रही है। गौठानों में अब तक 70 हजार 889 लीटर क्रय किए गए गौमूत्र से 24,547 लीटर कीट नियंत्रक ब्रम्हास्त्र और 16,722 लीटर जीवामृत तैयार किया गया है, जिसमें से 34,085 लीटर ब्रम्हास्त्र और जीवमृत की बिक्री से 14.75 लाख रूपए की आय हुई है।
गौठानों में महिला समूहों द्वारा 18.61 लाख क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट तथा 5.37 लाख क्विंटल से अधिक सुपर कम्पोस्ट एवं 18,924 क्विंटल सुपर कम्पोस्ट प्लस खाद का निर्माण किया जा चुका है, जिसे सोसायटियों के माध्यम से क्रमश: 10 रूपए, 6 रूपए तथा 6.50 रूपए प्रतिकिलो की दर पर विक्रय किया जा रहा है। महिला समूह गोबर से खाद के अलावा गो-कास्ट, दीया, अगरबत्ती, मूर्तियां एवं अन्य सामग्री का निर्माण एवं विक्रय कर लाभ अर्जित कर रही हैं। गौठानों में महिला समूहों द्वारा इसके अलावा सब्जी एवं मशरूम का उत्पादन, मुर्गी, बकरी, मछली पालन एवं पशुपालन के साथ-साथ अन्य आय मूलक विभिन्न गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है, जिससे महिला समूहों को अब तक 84.55 करोड़ रूपए की आय हो चुकी हैं। राज्य में गौठानों से 11,187 महिला स्व-सहायता समूह सीधे जुड़े हैं, जिनकी सदस्य संख्या 83,874 है। गौठानों में क्रय गोबर से विद्युत उत्पादन की शुरूआत की जा चुकी है।
राज्य में गोधन के संरक्षण और संर्वधन के लिए गांवों में गौठानों का निर्माण तेजी से कराया जा रहा है। गौठानों में पशुधन देख-रेख, उपचार एवं चारे-पानी का नि:शुल्क बेहतर प्रबंध है। राज्य में अब तक 10,624 गांवों में गौठानों के निर्माण की स्वीकृति दी गई है, जिसमें से 8408 गौठान निर्मित एवं 1758 गौठान निमार्णाधीन है। गोधन न्याय योजना से 2 लाख 93 हजार से अधिक ग्रामीण, पशुपालक किसान लाभान्वित हो रहे हैं। गोबर बेचकर अतिरिक्त आय अर्जित करने वालों में 46 प्रतिशत महिलाएं हैं।
इस योजना है कई परिवारों की जिंदगी बदलने का काम कर दिया है क्योंकि कई हजार परिवारों ने गोबर से हुई आय से जहां बच्चों की पढ़ाई लिखाई के साधन सुलभ कराए हैं तो दूसरी ओर उनकी घरेलू जिंदगी भी बदल गई है।