रायपुर। अगर हकीकत में सही दलीलें और तर्क से अपने दावों को रखा जाए तो जाहिर है कि किसी भी भ्रष्टाचार को रोका जा सकता है। इसी अंदाज में बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता गौरी शंकर श्रीवास (Gauri Shankar Srivas) ने भी प्रधानमंत्री पोषण योजना के तहत मिलेट मील योजना (Millet Meal Scheme) का मुद्दा उठाया। उनके तर्कपूर्ण सियासी शोर से मिलेट मीड सप्लाई के 30 करोड़ रुपए भ्रष्टाचार के शिकार होने से बच गए। इनमें कुछ ठेकेदार और फर्म अफसरों के मिलीभगत कर सप्लाई करने की तैयारी में थे। लेनिक इसकी भनक जैसे ही श्रीवास को लगी तो उन्होंने ट्विटर से लेकर मीडिया में इस मुद्दे को तर्कपूर्ण दलीलों से उठाने लगे। आखिकार शासन ने इसे संज्ञान में लिया और ‘मिलेट मील सप्लाई’ (मोटे अनाज) के 30 करोड़ रुपए के टेंडर निरस्त कर दिए। श्रीवास ने कहा, जाहिर है कि राज्य और केंद्रांश की एक बड़ी राशि ‘भ्रष्टाचारी गिद्ध’ से बच गई। वैसे इसके कौन जिम्मेदार था, उसके जांच का विषय का सवाल खड़ा है।
गौरतलब है कि मिलेट मील सप्लाई का 30करोड़ आदेश भाजपा नेता के भारी विरोध के बाद निरस्त हुआ। केंद्र सरकार द्वारा पोषण आहार में शामिल मिलेट मील योजना में छत्तीसगढ़ के अधिकारियों ने राज्य सरकार की फजिहत करवाई दिलचस्प पहलू यह है कि क्रियान्वयन हेतु एक तो साल भर कार्यशाला में शामिल होते रहे और शाला बंद होने के बाद कई ज़िला के स्कूलों 30 करोड़ रुपए की मिलेट मील सप्लाई का आदेश जारी हुआ था। जिसे लेकर भाजपा नेता गौरी शंकर श्रीवास ने मोर्चा खोलते हुए सीधा कमीशनखोरी का आरोप लगाया और इसकी लिखित शिकायत पीएमओ तथा प्रवर्तन निर्देशक के पास किया गया साथ ही साथ मुख्य सचिव और anti curupttion में भी आमद दी गई। नतीजा आज शिक्षा विभाग को प्रेस रिलीज़ जारी कर आदेश निरस्त करना पड़ा
गौरीशंकर श्रीवास ने कहा, जनता की गाढ़ी कमाई से ही सरकारें योजनाएं बनाती हैं। अगर जनता के लिए किसी विकास योजना या पोषण पर पैसा खर्चा किया जा रहा है। उसमें पूरी पारर्दिशता बरतनी चाहिए। लेकिन कांग्रेस सरकार में पूरा सिस्टम भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है। लेकिन हम किसी भी हालत में कहीं भी कोई भ्रष्टाचार नहीं होने देंगे। क्योंकि छत्तीसगढ़ के राजकोष पर जनता को हक है। क्योंकि इससे खर्च हाेने वाले एक-एक पाई का हिसाब जनता को देना होगा। मेरी यह लड़ाई जनता के लिए थी, आगे भी रहेगी।
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