आरक्षण बिल पर साइन करने को लेकर आखिर क्यों पेसोपेश में हैं राज्यपाल उइके!
By : madhukar dubey, Last Updated : December 10, 2022 | 7:49 pm
धमतरी पहुंची राज्यपाल अनुसूईया उइके ने रेस्ट हाउस में मीडिया से बात की। आरक्षण विधेयक को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा, हाईकोर्ट ने 2012 के विधेयक में 58 प्रतिशत आरक्षण के प्रावधान को अवैधानिक कर दिया था। इससे प्रदेश में असंतोष का वातावरण था। आदिवासियों का आरक्षण 32 से घटकर 20 प्रतिशत पर आ गया। सर्व आदिवासी समाज ने पूरे प्रदेश में जन आंदोलन शुरू कर दिया। सामाजिक संगठनों, राजनीतिक दलों ने आवेदन दिया। तब मैंने सीएम साहब को एक पत्र लिखा था। मैं व्यक्तिगत तौर पर भी जानकारी ले रही थी। मैंने केवल जनजातीय समाज के लिए ही सत्र बुलाने की मांग की थी।
मैंने सुझाव के तौर पर कहा था कि अध्यादेश लाना हो तो अध्यादेश लाइए, विशेष सत्र बुलाना हो तो वह बुलाइए। अब इस विधेयक में ओबीसी समाज का 27 प्रतिशत, अन्य समाज का 4 प्रतिशत और एससी समाज का 1 प्रतिशत बढ़ा दिया गया। अब मेरे सामने सवाल यह आ गया कि जब कोर्ट 58 प्रतिशत को अवैधानिक घोषित करता है तो यह बढ़कर 76 प्रतिशत हो गया। राज्यपाल ने कहा, केवल आदिवासी का आरक्षण बढ़ा होता तो मुझे कोई दिक्कत नहीं होती। अब मुझे यह देखना है कि यह क्वांटिफायबल डाटा कैसा है। दूसरे वर्गों का आरक्षण कैसे तय हुआ है। रोस्टर की तैयारी क्या है। एससी, एसटी, ओबीसी और जनरल वर्ग के संगठनों ने मुझे आवेदन देकर विधेयक की जांच करने को कहा है। उन आवेदनों का भी मैं परीक्षण कर रही हूं। एकदम से बिना सोचे-समझे हस्ताक्षर करना ठीक नहीं होगा।
उनकी चिंता केवल ५८ प्रतिशत बचाने की थी
राज्यपाल ने बताया, विशेष सत्र तक उनकी चिंता केवल 2018 के अधिनियम में दिए गए 58 प्रतिशत आरक्षण को बचाने की थी। उन्होंने कहा, अगर 58 प्रतिशत वाले को ही बचा लेते तो समाधान हो जाता। अब सरकार ने और शामिल कर लिया तो वह आधार तो मुझे जानना है ना 58 प्रतिशत वाली स्थिति रहती तो मुझे कोई दिक्कत नहीं होती। अगर मुझे लगता है कि इस मामले में सरकार के पास सही डाटा है। उसकी तैयारी पूरी है तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है। अभी तो जनरल वालों ने भी मुझे आवेदन दिया है कि इसपर हस्ताक्षर नहीं करना। इसमें हमारे १०त्न को ४त्न कर दिया गया है।
बोली, आज मैं साइन कर दूं, कल कोई कोर्ट चला गया तो
राज्यपाल ने कहा, यह मामला पक्का कोर्ट में जाएगा। इसलिए सरकार की क्या तैयारी होनी चाहिए। हाईकोर्ट ने पहले ही कहा था, कि आपने किस आधार पर २०१२ में आरक्षण बढ़ाया था। किस वजह से एससी का आरक्षण कम किया, एसटी का बढ़ाया। ओबीसी का बढ़ाया। पदों पर इन वर्गों की क्या स्थिति है। इन सब पहलुओं और हाईकोर्ट के जजमेंट को ध्यान में रखकर सरकार से इन सारी चीजों की जानकारी इकट्ठा की जा रही है। मेरा प्रश्न यह है कि जब 58 प्रतिशत आरक्षण को हाईकोर्ट ने असंवैधानिक बता दिया तो ७६त्न के लिए क्या कर सकती है सरकार। मैं तकनीकी तौर पर पूरी तरह समझ लूं कि सरकार की क्या तैयारी है। आज मैं साइन कर दूं, कल को कोई कोर्ट चला गया तो।