महेश बाबू की ‘वाराणसी’ झलक में छिपे 5 डिटेल्स, जिन्हें देखकर आप वीडियो फिर चलाएंगे

टाइटल में बना घुमाव धनुष जैसा दिखता है और उसके बीच की सीधी रेखा इसे घड़ी या कम्पास जैसा रूप देती है। यानी फिल्म में समय और दिशा, दोनों का महत्वपूर्ण रोल है।

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  • Publish Date - November 16, 2025 / 05:50 PM IST

Vaaranaasi: महेश बाबू और एसएस राजामौली की फिल्म Varanasi का पहला लुक शनिवार शाम हैदराबाद में रिलीज किया गया। 3 मिनट 40 सेकंड की इस झलक में महेश बाबू का रुध्र अवतार सामने आया और वीडियो में समय, स्थान और माइथोलॉजी का अनोखा मिश्रण देखने को मिला। कहानी Vaaranaasi 512 CE से लेकर Asteroid Shambhavi 2027 CE, Antarctica, Africa, Trethayuga Lanka 7200 BCE और Manikarnika Ghat तक फैलती दिखती है। यहां वे पाँच डिटेल्स हैं, जो शायद आपसे छूट गई हों—

1. ‘Vaaranaasi’ नाम के पीछे छुपा राज

राजामौली ने पहली बार आधिकारिक रूप से बताया कि फिल्म का नाम Varanasi ही है। लेकिन टाइटल डिज़ाइन ध्यान से देखने पर कई संकेत देता है—

  • Vaaranaasi में आ (ā) दो जगह दिखता है, जिससे इसकी उच्चारण शैली स्पष्ट होती है।

  • टाइटल में बना घुमाव धनुष जैसा दिखता है और उसके बीच की सीधी रेखा इसे घड़ी या कम्पास जैसा रूप देती है। यानी फिल्म में समय और दिशा, दोनों का महत्वपूर्ण रोल है।

2. रुध्र सिर्फ दुनिया नहीं, समय भी पार कर रहा है

वीडियो से साफ होता है कि रुध्र टाइम-ट्रैवल कर रहा है।

  • कभी वह अंटार्कटिका की बर्फीली चट्टानों पर चढ़ता दिखता है।

  • कभी अफ्रीका में पैरासेलिंग करता है।

  • तो कभी त्रेतायुग में हनुमान की पूंछ पर रथ चलाता नजर आता है।
    हर समय-काल में किसी न किसी फ्रेम के कोने में रुध्र मौजूद है।

3. उग्रभट्टी गुफा का रहस्य—छिन्नमस्ता की मूर्ति

वनाांचल की Ugrabhatti Cave में एक रोमांचक दृश्य है—

  • रुध्र चट्टान से लटका हुआ है।

  • ऊपर से लाल साड़ी वाली एक महिला गिरती दिखती है, ठीक उसी तरह जैसे प्रियंका चोपड़ा अपने पहले लुक में मंडाकिनी के रूप में दिखी थीं।

  • गुफा में मौजूद मूर्ति देवी छिन्नमस्ता की है—एक देवी जो अपने कटे हुए सिर को हाथ में रखती हैं और उनके सेवक उनके रक्त का पान करते हैं।
    यह दृश्य संकेत देता है कि फिल्म के माइथोलॉजिकल हिस्से में शक्ति तत्त्व की बड़ी भूमिका होगी।

4. त्रेतायुग के दृश्य में सिर्फ राम–रावण नहीं, बल्कि राम–कुंभकर्ण युद्ध का संकेत

कई दर्शकों ने सोचा कि यह झलक राम–रावण युद्ध का प्रतीक है, क्योंकि दृश्य लंका का है।
लेकिन फ्रेम्स बताते हैं कि यह दरअसल राम और कुंभकर्ण का युद्ध है—

  • विशाल कुंभकर्ण को जगाया जाता है।

  • वानर सेना के साथ उसका संघर्ष दिखता है।

  • राम द्वारा इंद्रास्त्र चलाने के संकेत मिलते हैं।
    इसी युद्ध की तर्ज पर रुध्र और कुंभ का आमना-सामना दिखाया गया है।

5. हर टाइमलाइन में रुध्र और कुंभ की टकराहट—मुख्य संघर्ष तय

जहां-जहां रुध्र नजर आता है, वहीं कुंभ (प्रिथ्वीराज सुकुमारन) भी मौजूद दिखता है।
अंटार्कटिका से लेकर त्रेतायुग की लंका तक दोनों का आमना-सामना फिल्म की कहानी का मुख्य संघर्ष दर्शाता है।
रुध्र का हर फ्रेम यह बताता है कि यह सिर्फ एक एडवेंचर नहीं, बल्कि युगों को पार करने वाला युद्ध है।