इसी क्रम में एक सुझाव यह है कि गेहूं के आटे में काले चने का आटा मिलाकर रोटी खाई जाए। काले चने का आटा ग्लूटेन-फ्री माना जाता है और इसमें फाइबर की मात्रा अधिक होती है, जो भोजन को धीरे-धीरे पचने में मदद कर सकता है। इससे ब्लड शुगर तेजी से बढ़ने की संभावना कम हो सकती है और पेट भी लंबे समय तक भरा रह सकता है।
काले चने के आटे का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम माना जाता है, इसलिए गेहूं और काले चने के मिलेजुले आटे से बनी रोटियां वजन नियंत्रित रखने में भी सहायक हो सकती हैं। इसे तैयार करने के लिए गेहूं के आटे में लगभग एक चौथाई हिस्सा काले चने का आटा मिलाकर सामान्य तरीके से गूंथा जाता है और वहीं तरह से रोटियां बनाई जाती हैं।
विशेषज्ञ मानते हैं कि आहार में इस तरह के मिश्रण को शामिल करना कई लोगों के लिए उपयोगी हो सकता है, हालांकि इसका प्रभाव व्यक्ति-विशेष की स्थिति के अनुसार बदल सकता है।
यह जानकारी केवल सामान्य स्वास्थ्य जागरूकता हेतु है। इसे किसी भी तरह से चिकित्सीय सलाह के रूप में न लें। डायबिटीज या किसी अन्य बीमारी के उपचार के लिए हमेशा डॉक्टर, डायटीशियन या विशेषज्ञ की सलाह अनिवार्य है। इलाज या आहार में बदलाव केवल विशेषज्ञ की अनुमति से ही करें।