इन्फ्लेमेशन का कारण बन सकती हैं डायबिटीज, हृदय रोग और मोटापा जैसी बीमरियां

By : hashtagu, Last Updated : September 1, 2024 | 4:55 pm

नई दिल्ली, 1 सितंबर (आईएएनएस)। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, डायबिटीज, हृदय रोग और मोटापा जैसी बीमारियां शरीर में इन्फ्लेमेशन का स्तर बढ़ा (Increased levels of inflammation) सकती हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, इन्फ्लेमेशन चोट, रोग, जलन या ऑक्सीडेटिव तनाव शरीर (Oxidative stress body) की स्वाभाविक प्रतिक्रिया है। यह चेतना में कमी या दिमाग के कम काम करने का महत्वपूर्ण कारक बन सकते हैं। जानकारी के मुताबिक, इन्फ्लेमेशन के दौरान शरीर की कोशिकाएं आपस में लड़ती हैं और संक्रमण का घर बनती हैं। इससे कुछ रसायन निकलते हैं, जो आसपास की कोशिकाओं में प्रतिक्रिया उत्पन्न करते हैं। इससे इन्फ्लेमेशन पैदा होती है, जो अक्सर दर्द या सूजन का कारण बनते हैं।

सर गंगा राम अस्पताल के मेडिसिन विभाग के कंसल्टेंट डॉ. विनस तनेजा ने आईएएनएस को बताया, “शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली के ज्यादा सक्रिय होने या लंबे समय तक संक्रमण के कारण दिमाग की कोशिकाओं में इन्फ्लेमेशन होता है। इससे तंत्रिका तंत्र कमजोर होती है और चेतना में कमी आती है।” तनेजा ने कहा, “बुजुर्गों में इसका जोखिम अधिक होता है। इसके अलावा डायबिटीज, हृदय रोग और मोटापा जैसी बीमारियों के शिकार लोगों में भी चेतना की कमी का जोखिम ज्यादा होता है।” गुरुग्राम के न्यूरोइंटरवेंशन पारस हॉस्पिटल के समूह निदेशक डॉ. विपुल गुप्ता ने कहा, “जीवनशैली के कारक भी इन्फ्लेमेशन में योगदान दे सकते हैं। इसमें कम शारीरिक गतिविधि का स्तर, तनाव, मोटापा, अस्वस्थ खाने की आदतें जैसे – तैलीय, जंक फूड या खाद्य पदार्थों का सेवन, नींद की गड़बड़ी, वायु प्रदूषण धूम्रपान और शराब का सेवन शरीर पर बुरा प्रभाव डालता है।”

उन्होंने कहा, “इनफ्लेमेशन तब होता है जब किसी को बुखार या संक्रमण होता है, जो बार-बार आता-जाता रहता है। हालांकि, कुछ स्थितियों में लंबे समय तक बना रहने वाला इन्फ्लेमेशन भी हो सकता है। अध्ययनों से पता चला है कि गठिया से पीड़ित रोगियों में, खासकर जो मोटे होते हैं, चेतना में कमी या दिमाग के कम काम करने का जोखिम अधिक होता है।” गुप्ता ने कहा, “इसे रोकने के लिए रोजाना शारीरिक गतिविधि और व्यायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल करना चाहिए। धूम्रपान और शराब से बचने और फल तथा सब्जियां खाने से लाभ मिलता है।” डॉ. तनेजा का कहना है कि पुराना तनाव भी इन्फ्लेमेशन का कारण बन सकता है। उन्होंने इससे बचने के लिए ध्यान और रिलैक्सेशन जैसे उपाय अपनाने की सलाह दी।