उम्र (Age) बढ़ने में कुछ शारीरिक समस्या (physical problem) होना आम बात है। आयु के साथ जीवनशैली संबंधी (lifestyle related) शिकायत बढ़ने लगती है। अक्सर लोगों को कमर दर्द(back ache)या जोड़ो के दर्द(joint pain) की समस्या रहती है, जो रोजाना की जीवनशैली को प्रभावित करती है। उठने-बैठने में दर्द महसूस होता है। गठिया की समस्या तो पिछले दो दशकों में तेजी से बढ़ी है। गठिया या आर्थराइटिस की समस्या केवल उम्रदराज लोगों को ही नहीं, बल्कि कम उम्र के लोगों में भी देखने को मिल रही है। आर्थराइटिस की समस्या से निजात पाने के लिए स्वास्थ्य विशेषज्ञ जीवनशैली में सुधार की सलाह देते हैं। वहीं कमर, पीठ या जोड़ो में दर्द से राहत पाने के लिए योग को एक असरदार तरीका माना गया है। कुछ योगासन आर्थराइटिस की समस्या को कम करने में सहायक हैं। गठिया के लिए भले ही कई योगासन फायदेमंद होते हैं लेकिन कुछ योग ऐसे भी हैं जो आर्थराइटिस के मरीजों को नहीं करना चाहिए। कुछ योगासन करने से जोड़ों का दर्द बढ़ जाता है। आइए जानते हैं आर्थराइटिस की समस्या में कौन सा योग करना चाहिए और किस योगासन से परहेज करना चाहिए।
आर्थराइटिस में न करें ये योग
विन्यास
योगाभ्यास में सूर्य नमस्कार को छोटे रूप में किया जाता है। विन्यास के अंतर्गत फलकासन, अष्टांग नमस्कार आसन किए जाते हैं। यह अन्य योग की तुलना में कुछ हद तक अरेबिक स्टाइल में होता है। यह आसन गतिशील होता है, जिसकी तेज क्रियाएं आर्थराइटिस मरीजों को आसन बदलने के लिए अधिक समय देने में परेशानी करता है। इस आसन से कलाई और ज्वाइंट पर दबाव पड़ता है।
बिक्रम योग
बिक्रम योग को हाॅट योगा भी कहते हैं। इस योग में कई शैली शामिल हैं। बिक्रम योग का एक सेशन लगभग 90 मिनट को हो सकता है। हर सेशन में 26 आसन और दो श्वसन एक्सरसाइज होती हैं। इस योग को करते समय कमरे का तापमान 85 डिग्री होना चाहिए। हालांकि आर्थराइटिस से पीड़ित लोग को भी इस योग को करने से बचना चाहिए।
आर्थराइटिस के लिए फायदेमंद योग
वीरभद्रासन योग
वीरभद्रासन को योद्धा पोज भी कहते हैं। यह आसन जोड़ों में दर्द, कमर दर्द की समस्या से राहत दिलाता है। इस आसन को करते समय शरीर की मुद्रा पहाड़ों जैसी बनती है।
सेतुबंधासन
इस योग को करने के लिए पेट के बल लेटकर पैरों को कंधे की चौड़ाई से थोड़ा अलग करके घुटनों को मोड़ लें। अब हथेलियों को खोले और हाथ को बिल्कुल सीधा जमीन पर रखते हुए सांस लें। कमर के हिस्से को ऊपर की ओर उठाएं और सांस को छोड़ते हुए दोबारा पुरानी अवस्था में आ जाएं।
नोट: यह लेख योग विशेषज्ञों के सुझावों के आधार पर तैयार किया गया है। आसन की सही स्थिति के बारे में जानने के लिए किसी योगगुरु से संपर्क कर सकते हैं।