नई दिल्ली | 24 अगस्त 2025: 16 घंटे के इंटरमिटेंट फास्टिंग (intermitten fasting) को लेकर एक नया अध्ययन सामने आया है, जिसने इस ट्रेंडिंग डाइट को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, रोज़ाना 8 घंटे की सीमित समयावधि में खाना खाने वाले लोगों में हृदय रोग से मौत का खतरा दोगुना तक बढ़ सकता है।
क्या है इंटरमिटेंट फास्टिंग?
इंटरमिटेंट फास्टिंग (IF) एक डाइट ट्रेंड है, जिसमें लोग दिनभर में केवल एक सीमित समय के भीतर भोजन करते हैं। सबसे लोकप्रिय तरीका है “16:8 फास्टिंग”, जिसमें 16 घंटे उपवास और 8 घंटे भोजन का समय निर्धारित किया जाता है। वजन घटाने, ब्लड शुगर नियंत्रण और चयापचय सुधार जैसे फायदों के चलते यह ट्रेंड दुनियाभर में लोकप्रिय हुआ है।
क्या कहता है नया अध्ययन?
शोधकर्ताओं ने पाया कि जो लोग हर दिन केवल 8 घंटे के भीतर खाना खाते हैं, उनमें हृदय संबंधी कारणों से मरने का खतरा लगभग 91%–135% तक अधिक होता है। ये निष्कर्ष हजारों वयस्कों पर किए गए दीर्घकालिक अध्ययन के आधार पर सामने आए हैं।
विशेष रूप से उन लोगों में यह खतरा ज्यादा देखा गया, जिन्हें पहले से हृदय रोग, मधुमेह या अन्य गंभीर बीमारियां थीं। इसके अतिरिक्त, इंटरमिटेंट फास्टिंग अपनाने वाले कई लोग भोजन की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं देते, जिससे पोषण की कमी और अन्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
चिकित्सकों की चेतावनी
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि यह एक पर्यवेक्षण आधारित अध्ययन है, जिससे कारण और प्रभाव की पुष्टि नहीं होती। हालांकि, इसके नतीजे यह जरूर संकेत करते हैं कि इंटरमिटेंट फास्टिंग को आंख मूंदकर अपनाना खतरनाक साबित हो सकता है।
डॉक्टरों की सलाह है कि कोई भी डाइट शुरू करने से पहले व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थिति को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिया जाए। विशेष रूप से, यदि किसी को हृदय रोग, ब्लड प्रेशर या डायबिटीज जैसी समस्या है, तो यह डाइट और भी जोखिमपूर्ण हो सकती है।
वजन घटाने या फिटनेस के मकसद से इंटरमिटेंट फास्टिंग अपनाने से पहले यह जरूरी है कि इसके दीर्घकालिक प्रभावों को भी समझा जाए। यह नई रिपोर्ट एक स्पष्ट चेतावनी है कि सभी लोकप्रिय डाइट ट्रेंड, हर व्यक्ति के लिए सुरक्षित नहीं होते।
