सामान्य लोगों की तरह हम सभी वजन घटाने के आसान रास्ते ढूंढ़ते हैं, लेकिन असली सवाल यह है कि कौन-सी डाइट वाकई काम करती है? क्या आप 5 किलो वजन घटाने के बाद 7 किलो वापस बढ़ाना चाहते हैं? क्या आप पोहा जैसे अपने पसंदीदा ब्रेकफास्ट से खुद को दूर रख पाएंगे?
आजकल किटो, नो‑कार्ब और इंटरमिटेंट फास्टिंग जैसी कई डाइट्स मशहूर हैं, जिन्हें एक्सपर्ट्स और रिसर्चर्स ने खूब स्टडी किया है। सभी वजन घटाने का वादा करती हैं, लेकिन सवाल यह है कि इनमें से सच में आपके लिए कौन-सी बेस्ट है?
तमन्ना भाटिया के फिटनेस ट्रेनर सिद्धार्थ सिंह ने इस पर इंस्टाग्राम पर एक वीडियो में बड़ी ही सीधी और जरूरी बात कही है — डाइट वही काम करती है जो आप लंबे समय तक निभा सकें। आइए, इन तीनों डाइट्स को थोड़ा विस्तार से समझते हैं:
क्या है:
किटो डाइट एक लो-कार्ब और हाई-फैट डाइट है जिसमें शरीर को ‘केटोसिस’ नाम की स्थिति में पहुंचाया जाता है। इस दौरान शरीर फैट को ऊर्जा में बदलने लगता है क्योंकि कार्बोहाइड्रेट्स की मात्रा बेहद कम हो जाती है।
कैसे वजन घटाती है:
जब शरीर को ग्लूकोज़ नहीं मिलता, तो वह जमा फैट को ब्रेक करके केटोन बनाता है जो ऊर्जा का काम करता है। इससे तेजी से फैट बर्न होता है और भूख भी कम हो जाती है।
क्या खा सकते हैं:
हेल्दी फैट: घी, मक्खन, नारियल तेल, जैतून तेल
प्रोटीन: अंडे, चिकन, मछली, पनीर, टोफू
लो‑कार्ब सब्जियां: पालक, ब्रोकली, फूलगोभी, ज़ूकीनी
ड्राय फ्रूट्स, चीज़, फुल-फैट डेयरी
क्या नहीं खा सकते:
अनाज: चावल, गेहूं, जई
चीनी, मिठाई, जूस
आलू, मक्का, मटर जैसी स्टार्च वाली सब्ज़ियाँ
ज़्यादातर फल (केवल थोड़े बेरीज़)
प्रोसेस्ड फूड: ब्रेड, बिस्किट, पास्ता
क्या है:
नो-कार्ब डाइट एक एक्सट्रीम लो-कार्ब डाइट है जिसमें कार्बोहाइड्रेट्स लगभग पूरी तरह से हटा दिए जाते हैं। यह डाइट मुख्य रूप से फैट और प्रोटीन पर आधारित होती है।
कैसे वजन घटाती है:
जब कार्ब नहीं मिलते, तो शरीर फैट और प्रोटीन से ऊर्जा लेना शुरू करता है। इससे जल्दी वजन घट सकता है, लेकिन इसे लम्बे समय तक फॉलो करना मुश्किल होता है और पोषण की कमी हो सकती है।
क्या खा सकते हैं:
मांस, मछली, अंडे
फुल-फैट डेयरी, चीज़
घी, तेल, मक्खन
थोड़ी मात्रा में बिना स्टार्च वाली सब्जियाँ
क्या नहीं खा सकते:
सभी कार्ब स्रोत: चावल, रोटी, फल, दाल, अनाज
आलू, शकरकंद जैसी सब्जियाँ
मिठाई, शुगर ड्रिंक्स
प्रोसेस्ड और पैकेज्ड फूड्स
क्या है:
यह एक डाइट नहीं बल्कि खाने का तरीका है जिसमें आप खाने और उपवास के बीच समय का पालन करते हैं। सबसे सामान्य पैटर्न है 16:8 — यानी 16 घंटे उपवास और 8 घंटे खाने का समय।
कैसे वजन घटाती है:
उपवास के दौरान इंसुलिन का स्तर घटता है, जिससे शरीर स्टोर्ड फैट को ऊर्जा के रूप में इस्तेमाल करता है। साथ ही खाने का समय कम होने से कुल कैलोरी इनटेक भी घटती है।
क्या खा सकते हैं:
खाने के समय में संतुलित खाना: प्रोटीन, हेल्दी फैट्स, फाइबर और कॉम्प्लेक्स कार्ब्स
उपवास के दौरान: पानी, ब्लैक कॉफी, ग्रीन टी (बिना शक्कर या दूध के)
क्या नहीं खा सकते:
फास्टिंग टाइम में कोई ठोस खाना, दूध, जूस या कैलोरी वाली चीजें
खाने के समय प्रोसेस्ड, फैटी या शुगर युक्त फूड से बचना चाहिए
“Keto काम करता है — जब तक सैंडविच की craving न हो।
No-carb भी काम करता है — जब तक कार्ब के बिना मन न घबराए।
Intermittent fasting भी असरदार है — जब तक सुबह उठते ही नाश्ते की तलब न लगे।”
हर डाइट का अपना फायदा है, लेकिन कोई भी तब तक असरदार है जब तक आप उसे लंबे समय तक बिना तनाव के अपना सकें। इसलिए ऐसी डाइट चुनें जो आपके रूटीन, पसंद और शरीर के अनुकूल हो। फिटनेस में कंसिस्टेंसी ही सबसे बड़ी कुंजी है, डाइट नहीं।