दिल की सेहत के लिए रोज़ाना 20 मिनट की तेज़ चाल काफी: कार्डियोलॉजिस्ट की चेतावनी
By : dineshakula, Last Updated : September 19, 2025 | 6:09 am
नई दिल्ली: दिल की बीमारियां (heart diseases) अब केवल बुजुर्गों की समस्या नहीं रहीं। देश में युवाओं में हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, और ये घटनाएं अब 30-40 साल की उम्र में भी देखने को मिल रही हैं। इस चिंता के बीच, चाइल्ड हार्ट फाउंडेशन के संस्थापक और पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. विकास कोहली ने दिल की सेहत को लेकर जरूरी चेतावनी और आसान सुझाव साझा किए हैं।
डॉ. कोहली के अनुसार, दिन में सिर्फ 20 मिनट की तेज़ चाल से चलना भी दिल के लिए काफी फायदेमंद हो सकता है। लेकिन इसके साथ ही उन्होंने कुछ जरूरी चेतावनियों पर भी ध्यान दिलाया है।
ये संकेत न करें नजरअंदाज:
आज हर तीसरे वयस्क को हाई ब्लड प्रेशर है, और कई लोगों को इसका पता तक नहीं होता। खासकर महिलाओं में यह खतरा अधिक होता है, जहां बिना लक्षण के शुरुआत गंभीर स्थिति में बदल सकती है। डायबिटीज और हाई बीपी जब एक साथ होते हैं, तो इसे “ट्विन एपिडेमिक” कहा जाता है।
भारत में करीब हर चौथा व्यक्ति ओवरवेट या मोटापे से जूझ रहा है, लेकिन सिर्फ वजन ही कारण नहीं है। असली खतरा हमारी दिनचर्या में है — लंबे समय तक बैठकर काम करना, देर रात तक मोबाइल या टीवी देखना, अनियमित खानपान और लगातार बना रहने वाला तनाव। यहां तक कि वायु प्रदूषण को भी अब दिल की बीमारी का एक कारण माना जा रहा है, और डॉक्टर सुबह टहलने से पहले AQI जांचने की सलाह देते हैं।
डॉ. कोहली ने यह भी बताया कि अब कोलेस्ट्रॉल टेस्ट जल्दी करवाना चाहिए और जिनके परिवार में हार्ट प्रॉब्लम की हिस्ट्री हो, उन्हें Lp(a) टेस्ट भी कराना चाहिए, जो जेनेटिक रिस्क को पकड़ सकता है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि अचानक दिल के दौरे के पीछे सबसे बड़ी वजह जीवनशैली है, न कि COVID-19 वैक्सीन।
रोकथाम के लिए परिवार क्या कर सकता है:
रोजाना थोड़ी देर टहलना, घर का बना ताजा खाना खाना, नमक कम करना, धूम्रपान से दूर रहना और तनाव को मैनेज करना—ये सभी उपाय साधारण हैं लेकिन असरदार। ब्लड प्रेशर, शुगर और कोलेस्ट्रॉल की नियमित जांच जरूरी है। साथ ही, CPR सीखना भी आज के समय में बहुत जरूरी हो गया है, क्योंकि आपातकालीन स्थिति में ये किसी की जान बचा सकता है।
डॉ. कोहली का कहना है कि दिल की बीमारी सिर्फ एक व्यक्ति को नहीं, पूरे परिवार को प्रभावित करती है। लेकिन अगर समय रहते सावधानी बरती जाए तो इसे काफी हद तक रोका जा सकता है।
नोट: यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्य से है। किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।




