सिकल सेल रोग का उन्मूलन बहु-क्षेत्रीय मिशन : वी.के. पॉल

नीति आयोग (policy commission)  के स्वास्थ्य सदस्य डॉ. वी.के. पॉल (Health Member Dr. V.K. Paul) ने सोमवार को कहा

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  • Updated On - February 28, 2023 / 10:52 AM IST

नई दिल्ली, 28 फरवरी (आईएएनएस)| नीति आयोग (policy commission)  के स्वास्थ्य सदस्य डॉ. वी.के. पॉल (Health Member Dr. V.K. Paul) ने सोमवार को कहा कि सिकल सेल रोग को खत्म करने का अभियान एक बहु-क्षेत्रीय मिशन है, जिसका लाभ समुदाय की एकजुटता और हितधारकों के सहयोग का उठाया जा सकता है। बजट के बाद के वेबिनार ‘लीविंग नो सिटीजन बिहाइंड’ को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि बीमारी का उन्मूलन भारत में सभी के लिए स्वास्थ्य की समग्र दृष्टि को प्राप्त करने का एक अभिन्न अंग है।

पॉल ने सिकल सेल रोग के बारे में जागरूकता पैदा करने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा, “हमें जमीनी स्तर पर एक ऐसा तालमेल बनाना होगा जो प्रत्येक हितधारक को जोड़े। इससे बीमारी से पीड़ित लोगों के इलाज में तेजी आएगी।

उन्होंने प्रभावित जनजातीय क्षेत्रों तक पहुंचने के लिए माध्यम और तरीकों को परिभाषित करने में सामुदायिक लामबंदी और हितधारक सहयोग में जनजातीय मामलों के मंत्रालय की भूमिका पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, “यह व्यापक रूप से ज्ञात होना चाहिए कि प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना सिकल सेल रोग के लिए मुफ्त में पूर्ण उपचार प्रदान करती है।”

पॉल ने स्वास्थ्य सेवा पेशेवर साझेदारी बनाने की वकालत की जो व्यापक आत्मसात करने और राष्ट्रव्यापी स्तर पर ज्ञान साझा करने की सुविधा प्रदान करेगी। उन्होंने गर्भावस्था जांच को शामिल करने के साथ-साथ हाइड्रोक्सी यूरिया और न्यूमोकोकल वैक्सीन की आसान पहुंच के महत्व पर जोर दिया।

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने सामूहिक कार्रवाई की जरूरत की बात दोहराई। उन्होंने कहा, “एक निश्चित समय सीमा के भीतर देश से इस बीमारी को खत्म करने के लिए सरकार और पूरे समाज का दृष्टिकोण आवश्यक है।”

उन्होंने कहा कि सिकल सेल रोग प्रबंधन पर पोर्टल पहले ही स्थापित किया जा चुका है और एक मोबाइल एप्लिकेशन भी चल रहा है, जिसके लिए राज्य सरकारों के लिए प्रशिक्षण और उन्मुखीकरण शुरू हो गया है।

अपने मंत्रालय की भूमिका पर स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि वह वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के माध्यम से राज्य सरकारों का समर्थन करेगा। राज्य सरकारें स्क्रीनिंग का स्तर चुन सकती हैं, यानी एक स्तर या दो स्तर की स्क्रीनिंग, जो उन्हें ठीक लगे।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसके अलावा, तकनीकी मार्गदर्शन के संदर्भ में आईसीएमआर, एम्स और मेडिकल कॉलेजों को सभी राज्यों के लिए नोडल एजेंसी के रूप में नियुक्त किया है।