अनियंत्रित मधुमेह गर्भस्थ शिशु के विकास को करता है प्रभावित : विशेषज्ञ

By : hashtagu, Last Updated : December 7, 2024 | 12:26 pm

नई दिल्ली, 7 दिसंबर (आईएएनएस)। मां बनना हरेक महिला का सपना होता है। 9 महीने का समय चुनौतियों से भरा भी होता है। खान पान के साथ ही कई ऐसी जरूरी बातें होती हैं जिनका खास ख्याल रखा जाना जरूरी है। वो इसलिए भी क्योंकि इससे गर्भस्थ शिशु का विकास प्रभावित होता है।

इन दिनों बदलता मौसम और उसके साथ बढ़ता प्रदूषण गर्भवती और उसके गर्भ में पल रहे शिशु के लिए काफी नुकसानदेह है। हाल ही में एक स्टडी में दावा किया गया कि खाना पकाने और गर्म करने के लिए कोयला या फिर लकड़ी जैसे ठोस ईंधन का उपयोग करने से जेस्टेशनल डायबिटीज (gestational diabetes) का खतरा काफी बढ़ सकता है। चीन में जुनी मेडिकल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन में 4,338 महिलाओं को शामिल किया गया था, जिनकी औसत आयु 27 वर्ष थी। इनमें से 302 महिलाओं में जीडीएम था।

तो ये हो गया प्रदूषण के कारण बढ़ने वाला खतरा। इसके अलावा भी कई फैक्टर्स हैं। आईएएनएस ने इस विषय पर स्त्री रोग विशेषज्ञों की राय जाननी चाहिए। जिन्होंने बताया कि गर्भस्थ शिशु के विकास पर ब्रेक मां के अनियंत्रित मधुमेह, धूम्रपान, हाई बीपी से लग सकता है तो वहीं आनुवांशिक कारण भी ग्रोथ को रोकते हैं।

प्रिस्टिन केयर की वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ और सह-संस्थापक डॉ. गरिमा साहनी कहती हैं, गर्भ में बच्चे का विकास कई कारकों से प्रभावित हो सकता है। एक मां में अनियंत्रित मधुमेह है। हाई ब्लड शुगर लेवल के कारण बच्चा बहुत बड़ा हो सकता है या जन्म के बाद स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।

एक अन्य कारक पोषण की कमी है। यदि मां संतुलित आहार नहीं लेती है, तो बच्चे को ठीक से बढ़ने के लिए आवश्यक पोषक तत्व नहीं मिल पाते और ये उसकी ग्रोथ रोकता है। वहीं गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान और शराब का सेवन भी बच्चे के विकास को धीमा कर सकता है और गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकता है।

इन दिनों तनाव भी एक बड़ा कारण बन गया है। तनाव बच्चे को भी प्रभावित कर सकता है, क्योंकि मां में उच्च तनाव का स्तर बच्चे में रक्त के प्रवाह को प्रभावित कर सकता है। वहीं कोई इंफेक्शन या हाई बीपी बच्चे के सामान्य रूप से बढ़ने में मुश्किल पैदा कर सकता है।

दिल्ली स्थित सीके बिरला अस्पताल (आर) के फीटल मेडिसिन विभाग की लीड कंसल्टेंट डॉ. मौलश्री गुप्ता आनुवांशिक कारकों के बारे में बात करती हैं। कहती हैं भ्रूण का विकास एक उल्लेखनीय प्रक्रिया है। यह एक जटिल प्रक्रिया है जो शिशु के विकास को आकार देता है।

पहली तिमाही के दौरान अनियंत्रित मधुमेह का स्तर गर्भपात और जन्म दोषों, जैसे हृदय दोष और तंत्रिका ट्यूब दोष के जोखिम को बढ़ा सकता है। उच्च रक्तचाप प्लेसेंटा में रक्त प्रवाह पर असर डालता है। उच्च रक्तचाप प्लेसेंटा में रक्त वाहिकाओं को सिकोड़ता है, जिससे भ्रूण में रक्त प्रवाह कम हो सकता है। इससे अन्य जटिलताएं हो सकती हैं।

अगर गर्भवती ऐसी स्थिति से गुजरे तो फिर उसे क्या करना चाहिए? डॉ मौलश्री के मुताबिक, अगर गर्भवती इन परेशानियों से गुजर रही हो तो तुरंत चिकित्सक के पास जाना चाहिए। आहार पर विशेष ध्यान और नियमित व्यायाम भी उसके लिए बेहतर साबित हो सकते हैं। वहीं सीरियल अल्ट्रासाउंड स्कैन सहित नियमित जांच से बच्चे के आकार, वजन और समग्र स्वास्थ्य का आकलन किया जा सकता है।