कलेक्टरेट में सिंधिया की वापसी से बीजेपी में दोफाड़
By : ira saxena, Last Updated : September 16, 2025 | 12:32 pm
ग्वालियर: ग्वालियर कलेक्टरेट में सोमवार को विकास कार्यों की समीक्षा बैठक एक साधारण सरकारी प्रक्रिया लग रही थी, लेकिन जैसे ही केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) करीब डेढ़ साल बाद मंच पर लौटे, यह बैठक सियासी अखाड़ा बन गई।
बैठक की औपचारिक अगुवाई मंत्री तुलसी सिलावट ने की, लेकिन असली केंद्र बिंदु सिंधिया ही रहे। ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, मंत्री नारायण सिंह कुशवाह, कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अशोक सिंह, कांग्रेस विधायक सुरेश राजे और मेयर शोभा सिकरवार मौजूद थे। लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा में रही बीजेपी सांसद भरत सिंह कुशवाह की खाली कुर्सी, जो सिंधिया विरोध का सबसे स्पष्ट संकेत बन गई।
सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री और पार्टी नेतृत्व ने खुद सिंधिया को संकेत दिया है कि उन्हें ग्वालियर-चंबल बेल्ट में फिर से पकड़ मजबूत करनी होगी। यह वही इलाका है जिसे वे कांग्रेस में रहते हुए अपराजेय किला कहा करते थे। भरत सिंह कुशवाह की खुली नाराजगी और बयान कि ‘सिंधिया ग्वालियर के सांसद नहीं हैं’ के बाद सिंधिया ने दूरी बना ली थी। लेकिन अब उन्होंने जोरदार वापसी की है।
ग्वालियर में बीते कुछ हफ्तों से सड़कें टूटी हैं, सीवर ओवरफ्लो कर रहे हैं, और सरकार की योजनाएं ठप हैं। यह आवाज सबसे पहले उठाई सिंधिया के करीबी और ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने, जिन्होंने कैबिनेट बैठक में यहां तक कह दिया कि ‘ग्वालियर नर्क बन गया है’। मुख्यमंत्री ने उन्हें रोकने की कोशिश की, लेकिन वे डटे रहे। तुलसी सिलावट ने भी उनका समर्थन किया।
सिंधिया की यह वापसी सिर्फ एक प्रशासनिक बैठक नहीं थी। इसके पीछे सियासी संदेश साफ था। तीन दिन पहले भरत सिंह कुशवाह ने जिन विकास कार्यों की समीक्षा की थी, उन्हीं पर सिंधिया ने अपनी बैठक की और सांसद गायब रहे।
कुछ दिन पहले ही सिंधिया ने मुरैना में बड़ी रैली की थी, जो विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर का गढ़ है। वहीं सिंधिया ने कहा था कि ‘बीजेपी पिछली विधानसभा में सिर्फ आधी सीटें जीत पाई थी’, और यह निशाना किस पर था, सभी जानते थे।
अब जब सिंधिया अपने पुराने तेवर के साथ लौटे हैं, तोमर के करीबी माने जाने वाले भरत सिंह कुशवाह भोपाल में शांत हैं, और इदल सिंह कंसाना भी अब तोमर खेमे में पूरी तरह नहीं माने जाते।




