महाकाल मंदिर गर्भगृह में VIP दर्शन का मामला: हाईकोर्ट ने आम श्रद्धालुओं की याचिका की खारिज, प्रवेश का अधिकार सिर्फ कलेक्टर के पास

महाकाल लोक बनने से पहले मंदिर में रोजाना लगभग 30,000 श्रद्धालु आते थे। अक्टूबर 2022 में महाकाल लोक बनने के बाद यह संख्या बढ़कर 1.5 से 2 लाख प्रतिदिन तक पहुंच गई है।

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  • Publish Date - September 1, 2025 / 10:19 PM IST

उज्जैन, मध्य प्रदेश: विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर (Mahakaleshwar temple) के गर्भगृह में आम श्रद्धालुओं को प्रवेश देने की मांग पर दायर याचिका को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति देने का अधिकार केवल ज़िला कलेक्टर के पास रहेगा और इसमें न्यायालय हस्तक्षेप नहीं करेगा।

यह जनहित याचिका इंदौर निवासी दर्पण अवस्थी की ओर से दायर की गई थी, जिसमें प्रदेश सरकार, मंदिर समिति, उज्जैन कलेक्टर और एसपी को पक्षकार बनाया गया था। याचिकाकर्ता के वकील चर्चित शास्त्री ने कोर्ट में तर्क दिया था कि या तो गर्भगृह को सभी के लिए खोला जाए या फिर VIP समेत सभी के लिए बंद किया जाए।

कोर्ट की डबल बेंच, जिसमें न्यायमूर्ति विवेक रूसिया और न्यायमूर्ति विनोद कुमार द्विवेदी शामिल थे, ने कहा कि यह मामला व्यक्तिगत हित का प्रतीत होता है और इसमें दखल देने का कोई आधार नहीं है। इस फैसले के बाद याचिका खारिज कर दी गई।

सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी

याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि यह मामला लाखों श्रद्धालुओं की आस्था से जुड़ा है, लेकिन कोर्ट ने इसे व्यक्तिगत माना। अब वे पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे और ज़रूरत पड़ने पर सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे।

गर्भगृह में प्रवेश पर क्यों लगा प्रतिबंध?

सावन मास के दौरान श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए 4 जुलाई 2023 को महाकाल मंदिर का गर्भगृह आम श्रद्धालुओं के लिए 11 सितंबर 2023 तक बंद कर दिया गया था। मंदिर समिति ने उस समय कहा था कि सावन के बाद गर्भगृह फिर से खोल दिया जाएगा। लेकिन दो साल से अधिक समय (25 दिन सहित) बीत जाने के बाद भी गर्भगृह आम भक्तों के लिए नहीं खोला गया है।

गर्भगृह में प्रवेश क्यों संभव नहीं?

महाकाल लोक बनने से पहले मंदिर में रोजाना लगभग 30,000 श्रद्धालु आते थे। अक्टूबर 2022 में महाकाल लोक बनने के बाद यह संख्या बढ़कर 1.5 से 2 लाख प्रतिदिन तक पहुंच गई है। इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को गर्भगृह में प्रवेश देना प्रबंधन के लिए संभव नहीं है, इसी कारण आम श्रद्धालुओं का प्रवेश सीमित किया गया है।