नेताओं की खींचतान से निराश हैं कांग्रेस कार्यकर्ता

By : hashtagu, Last Updated : December 15, 2022 | 8:53 pm

भोपाल, 15 दिसंबर (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश में एकजुटता लाने के लिए चल रहे प्रयासों के बीच पूर्व मंत्री राजा पटेरिया की हुई गिरफ्तारी और उसके बाद नेताओं की आपसी खींचतान में निचले स्तर के कार्यकतार्ओं को निराश कर दिया है, कार्यकर्ताओं के लिए आपसी खींचतान एक अबूझ पहेली बन गई है।

राज्य में कांग्रेस और गुटबाजी एक दूसरे के लंबे अरसे तक पर्याय रहे हैं, मगर जब गुटबाजी पर विराम लगा तो कांग्रेस सत्ता में आई। उसके बाद आपसी टकराव बढ़ा दो कांग्रेस को महज 15 माह बाद ही सत्ता गवाना पड़ गई। अब एक बार फिर कांग्रेस में सब ठीक नहीं चल रहा है। इस बात से पार्टी हाईकमान भी वाकिफ है। यही कारण था कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा जब मध्य प्रदेश से विदा हो रही थी, तो उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को गले मिलवाया था।

राहुल गांधी भले ही दोनों नेताओं को गले मिलवा गए हो मगर दोनों के दिल मिले हैं यह सवाल कार्यकर्ताओं के बीच उफान मार रहा है। पिछले दिनों कांग्रेस के पूर्व मंत्री राजा पटेरिया ने पन्ना जिले में हुई कांग्रेस कार्यकर्ताओं की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर विवाद पर टिप्पणी की थी। इस विवादित टिप्पणी को किसी ने भी नहीं स्वीकारा, निंदा हुई, आलोचना हुई। इसके बाद राजा पटेरिया ने माफी भी मांग ली। इसके बावजूद कांग्रेस ने पटेरिया को कारण बताओ नोटिस जारी किया तो नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह ने राजा पटेरिया का बचाव किया।

इस तरह पार्टी की ओर से नोटिस जारी किया जाना दूसरी ओर नेता प्रतिपक्ष द्वारा राजा पटेरिया को जेल भेजने का विरोध करना और भाजपा पर हमला करना। उसके बाद से पार्टी के अंदर खाने ही सवाल उठ रहे हैं। कई नेताओं का तो यहां तक कहना है कि जब राजा पटेरिया ने माफी मांग ली थी और उन्होंने अपने ही बयान में स्थिति स्पष्ट कर दी थी, तो पार्टी को पटेरिया के बयान की निंदा करने के बाद उनके साथ खड़े होना था। पार्टी की ओर से ऐसा नहीं किया गया तो सवाल उठ रहे है कि ऐसे में जमीनी कार्यकर्ता आखिर लड़ाई कैसे लड़ेगा, क्योंकि उसे इस बात का भरोसा ही नहीं है कि बड़े नेता उसका साथ देंगे और पार्टी एकजुट होकर उसके लिए खड़ी रहेगी।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस ने अपनी एकजुटता दिखाने का एक बेहतर मौका गवा दिया है। यह बात सही है कि राजा पटेरिया के बयान को न तो सही ठहराया जा सकता है और न ही कोई समर्थन कर सकता है, मगर पार्टी की एकजुटता को तो प्रदर्शित किया ही जा सकता है। इस मामले में भी पार्टी बड़ी चूक कर गई है जिसका उसे आगे खामियाजा भी भुगतना पड़ जाए तो अचरज नहीं होगा।