धीरेन्द्र शास्त्री केस में कोर्ट का बड़ा फैसला, ‘देशद्रोही’ बयान पर नहीं होगा मुकदमा

By : dineshakula, Last Updated : October 11, 2025 | 11:58 pm

शहडोल (मध्यप्रदेश): बागेश्वर धाम (Bageshwar Dham) के कथावाचक धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री को लेकर चल रहे विवादित बयान मामले में शहडोल जिला न्यायालय ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। अदालत ने उनके खिलाफ दायर परिवाद को प्रथम दृष्टया अपराध प्रमाणित नहीं होने के आधार पर खारिज कर दिया है।

इस मामले में शहडोल निवासी अधिवक्ता संदीप तिवारी ने धीरेन्द्र शास्त्री के खिलाफ परिवाद दायर किया था। उनका आरोप था कि शास्त्री ने महाकुंभ 2025 को लेकर एक बयान दिया था जिसमें उन्होंने कहा था –

“जो महाकुंभ में नहीं आएगा, वह पछताएगा और देशद्रोही कहलाएगा।”

परिवादी का कहना था कि इस कथन से वह आहत हुए हैं और इसे असंवैधानिक, आपत्तिजनक और भड़काऊ माना जाना चाहिए।

कौन-कौन सी धाराएं लगाई गईं थीं?

संदीप तिवारी द्वारा प्रस्तुत परिवाद में धीरेन्द्र शास्त्री के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 196, 197(2), 299, 352, 353, और आईटी एक्ट की धारा 66A, 67 के अंतर्गत मामला दर्ज करने की मांग की गई थी। उनका दावा था कि यह बयान न केवल भावनाएं आहत करता है बल्कि समाज में वैमनस्य फैलाने वाला है।


शास्त्री पक्ष ने क्या कहा?

धीरेन्द्र शास्त्री की ओर से वकील समीर अग्रवाल ने पक्ष रखते हुए अदालत को बताया कि बयान को संदर्भ से हटाकर देखा गया है। उनका कहना था कि यह कथन किसी वर्ग या समुदाय को उकसाने, अपमानित करने या हिंसा भड़काने के उद्देश्य से नहीं दिया गया था। उन्होंने इसे धार्मिक उत्साह और भावनात्मक प्रेरणा का हिस्सा बताया।

अदालत ने क्या कहा?

न्यायिक मजिस्ट्रेट सीताशरण यादव की अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि –

  • प्रस्तुत बयान से किसी समुदाय, वर्ग या व्यक्ति विशेष को सीधे तौर पर अपमानित या भड़काया गया हो, यह प्रथम दृष्टया प्रमाणित नहीं होता।

  • कथन से ऐसा कोई संकेत नहीं मिलता कि यह दुश्मनी, नफरत या हिंसा भड़काने के उद्देश्य से दिया गया हो।

  • इसलिए परिवाद पत्र को निरस्त किया जाता है और शास्त्री के खिलाफ कोई संज्ञान नहीं लिया जाएगा।

बागेश्वर धाम के धीरेन्द्र शास्त्री को ‘देशद्रोही’ बयान मामले में अदालत से राहत मिली है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उनके कथन को अपराध की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता और आरोपों को निराधार करार देते हुए मामला खारिज कर दिया।