मध्य प्रदेश में दिवाली पर ‘कार्बाइड गन’ बनी मौत का खेल: 14 बच्चों की आंखों की रोशनी गई, 122 घायल

सरकार ने 18 अक्टूबर को ही इन पर रोक लगाई थी, लेकिन दुकानों और मेलों में ये "टॉय कैनन" 150 से 200 रुपए में बिकती रहीं।

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  • Publish Date - October 23, 2025 / 02:26 PM IST

भोपाल: दिवाली की रौनक इस बार कई घरों के लिए मातम बन गई। पारंपरिक पटाखों की जगह इस बार बच्चों में ‘कार्बाइड गन’ या देसी फायरक्रैकर गन (fire cracker gun) का शौक जानलेवा साबित हुआ। महज तीन दिनों में मध्य प्रदेश के अलग-अलग जिलों से 122 से अधिक बच्चे गंभीर रूप से झुलसकर अस्पतालों में भर्ती हुए हैं, जिनमें 14 बच्चों की आंखों की रोशनी हमेशा के लिए चली गई है।

सबसे अधिक प्रभावित जिला विदिशा है, जहां प्रतिबंध के बावजूद बाजारों में खुलेआम ये देसी गनें बेची जा रही थीं। सरकार ने 18 अक्टूबर को ही इन पर रोक लगाई थी, लेकिन दुकानों और मेलों में ये “टॉय कैनन” 150 से 200 रुपए में बिकती रहीं।

घायल बच्चों की दर्दभरी कहानी

भोपाल के हमीदिया अस्पताल में भर्ती 17 वर्षीय नेहा ने रोते हुए बताया,

“हमने घर पर बनी कार्बाइड गन खरीदी थी। जैसे ही फटी, मेरी आंख जल गई… अब कुछ दिखाई नहीं देता।”

वहीं राज विश्वकर्मा नामक एक अन्य किशोर ने बताया,

“मैंने सोशल मीडिया पर वीडियो देखकर खुद कार्बाइड गन बनाई। वो मेरे चेहरे पर फट गई और मेरी एक आंख चली गई।”

क्या है ‘कार्बाइड गन’?

कार्बाइड गन एक देसी विस्फोटक खिलौना है जो प्लास्टिक या टिन पाइप से बनाई जाती है। इसमें गनपाउडर, माचिस की तीलियों का सिरा और कैल्शियम कार्बाइड भरा जाता है। एक छोटे छेद से आग लगाते ही इसमें रासायनिक प्रतिक्रिया होती है, जो जोरदार धमाका पैदा करती है।
यह विस्फोट गैस और धातु के टुकड़े सीधे आंखों व चेहरे पर मार देता है, जिससे बच्चे गंभीर रूप से घायल हो रहे हैं।

डॉक्टरों की चेतावनी

हमीदिया अस्पताल के सीएमएचओ डॉ. मनीष शर्मा ने बताया,

“यह खिलौना नहीं, बल्कि एक विस्फोटक है। इससे निकलने वाली गैस और धातु के कण रेटिना को जला देते हैं। कई बच्चों की पुतलियां फट चुकी हैं, जिससे स्थायी अंधापन हो गया है।”

अस्पताल के आईसीयू में कई बच्चे अभी भी जिंदगी और रोशनी के बीच जूझ रहे हैं।

पुलिस की कार्रवाई

विदिशा पुलिस ने अब तक छह लोगों को गिरफ्तार किया है जो बाजारों में अवैध रूप से ये गनें बेच रहे थे।
इंस्पेक्टर आर.के. मिश्रा ने कहा,

“इन खतरनाक देसी हथियारों को बेचने और प्रमोट करने वालों पर सख्त कानूनी कार्रवाई होगी।”

कहां-कहां से आए मामले

भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर के अस्पतालों में भी दर्जनों बच्चे भर्ती हैं। सिर्फ हमीदिया अस्पताल में 72 घंटे के भीतर 26 बच्चों का इलाज किया गया।

चेतावनी

डॉक्टरों और पुलिस ने माता-पिता से अपील की है कि वे बच्चों को इस तरह के देसी खिलौनों से दूर रखें। “कार्बाइड गन” दिखने में भले ही मनोरंजक लगे, लेकिन यह रासायनिक बम से कम नहीं।