मध्य प्रदेश में कांग्रेस के लिए मुश्किल होने वाली है मजबूत उम्मीदवार की तलाश

By : hashtagu, Last Updated : February 11, 2024 | 12:28 pm

भोपाल, 10 फरवरी (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस (Congress) को लग रहे लगातार झटकों ने पार्टी के भीतर चिंताएं बढ़ा दी हैं। बदले हालात में कांग्रेस के लिए लोकसभा चुनाव के लिए मजबूत उम्मीदवार की तलाश भी आसान नजर नहीं आ रही है। कांग्रेस आगामी लोकसभा चुनाव पूरी ताकत से लड़ने का दावा कर रही है और उसके नेता जमीनी तैयारी के साथ बेहतर उम्मीदवारों की तलाश में भी जुटे हुए हैं।

एक तरफ जहां पार्टी चुनाव की तैयारी में जुटी है, वहीं दूसरी ओर उसके कई बड़े नेता साथ छोड़कर भाजपा की तरफ रुख कर रहे हैं। बीते कुछ दिनों के दल-बदल पर गौर करें तो पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के करीबियों में जबलपुर के महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू, पूर्व महाधिवक्ता शशांक शेखर, मीडिया विभाग के पूर्व उपाध्यक्ष अजय सिंह यादव ने भाजपा का दामन थामा, वहीं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के करीबी सुमेर सिंह गढ़ा ने भी पाला बदल लिया है।

इसके अलावा जिला पंचायत के कई पदाधिकारी भाजपा में शामिल हो चुके हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा पहले ही इस बात का ऐलान कर चुके हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव में उनका लक्ष्य कांग्रेस मुक्त बूथ बनाना है। हाल ही में हुए दल-बदल को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है।

एक तरफ जहां कांग्रेस के तमाम नेता दल-बदल में लगे हैं, वहीं कई बड़े नेताओं ने आगामी लोकसभा चुनाव लड़़ने से ही इ़नकार कर दिया है। पार्टी के कार्यकर्ता दिग्गजों को चुनाव मैदान में उतरने की मंशा जता रहे हैं, मगर दिग्गज इसके लिए तैयार नहीं हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने तो अपने राज्यसभा के शेष बचे कार्यकाल का हवाला देते हुए चुनाव लड़ने में रुचि नहीं दिखाई, वहीं पूर्व नेता प्रतिपक्ष और विधायक अजय सिंह ने भी चुनाव न लड़ने का संकेत दिया है।

इसके अलावा भी कई बड़े नेता हैं जो लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ना चाहते।

दल बदल को लेकर कमलनाथ कह चुके हैं कि सब स्वतंत्र है, किसी को रोका नहीं जा सकता।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस वैसे भी संकट के दौर से गुजर रही है। हाल ही में उसे विधानसभा चुनाव में बड़ी हार का सामना करना पड़ा है और लोकसभा चुनाव से पहले दल बदल हो रहा है। इसके अलावा वरिष्ठ नेता चुनाव लड़ने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में कांग्रेस बेहतर तरीके से भाजपा का लोकसभा चुनाव में मुकाबला कर पाएगी, इस पर संशय है। कांग्रेस अगर वाकई में भाजपा को कड़ी टक्कर देना चाहती है तो उसे अपने नामचीन और दिग्गज नेताओं को मैदान में उतारना ही चाहिए। ऐसा नहीं होता है तो संदेश जाएगा कि कांग्रेस पहले ही हार मान चुकी है।

राज्य की वर्तमान स्थिति पर गौर करें तो लोकसभा की उनकी 29 यीटें हैं इनमें से 28 पर भाजपा का कब्जा है और सिर्फ एक सीट छिंदवाड़ा पर कांग्रेस काबिज है। भाजपा आगामी चुनाव में सभी 29 सीटें जीतने का दावा कर रही है।