जबलपुर 18 जून (आईएएनएस)| यहां चंचल नाम की हथिनी की मौत (Death of an elephant named Chanchal) के बाद दी गई अंतिम विदाई ने ‘हाथी मेरे साथी’ फिल्म के उस गीत की याद ताजा कर दी, जिसमें नायक ‘खुश रहना मेरे यार’ गीत गाने के साथ हाथी को अंतिम विदाई देता है। बात मध्य प्रदेश जबलपुर (Jabalpur) की है, जहां चंचल नाम की हथिनी पिछले कुछ दिनों से बीमार थी और उसका इलाज जारी था, मगर उसकी सेहत नहीं सुधरी और बीती रात उसने दुनिया को अलविदा कह दिया। चंचल का अंतिम संस्कार सैकड़ों लोगों की मौजूदगी में जीसीएफ एस्टेट के राम मंदिर के पीछे स्थित सतपुला बाजार में किया गया। इससे पहले हथिनी को चाहने वालों ने पुष्प-मालाएं पहनाईं और विधिवत पूजा-अर्चना की। उस समय सभी की आंखें नम थीं।
चंचल हथिनी की मौत के बाद वन विभाग के निर्देश पर वेटरनरी कॉलेज के चिकित्सकों ने पोस्टमार्टम किया और उसके बाद अंतिम विदाई दी गई। चिकित्सकों का कहना है कि हथिनी को यूरिनरी इन्फेक्शन था, जिसका उपचार यहां की टीम द्वारा किया गया, मगर उसे बचाया नहीं जा सका।
महावत गोविंद गिरि ने बताया है कि लगभग ढाई माह पहले पनागर में पं.धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की कथा चल रही थी और वहां चंचल को बुलाया गया था। उस समय वह स्वस्थ थी और करीब महीने भर जबलपुर में घूमी, इसी बीच उसे डिहाइड्रेशन हो गया। उसका उपचार पशु चिकित्सा महाविद्यालय में कराया गया, कुछ दिनों में वह स्वस्थ हो गई। 16 मई को चंचल कुंडम की ओर जा रही थी, तभी रास्ते में पेशाब के साथ खून निकला। चिकित्सकों के परामर्श पर उसे उपचार के लिए जबलपुर लाया गया, जहां उसका लगातार उपचार चला। बीच में वह थोड़ा स्वस्थ भी हुई, मगर आखिरकार उसने दुनिया को अलविदा कह दिया।
यह भी पढ़ें : मोदी सरकार बेपरवाह है, सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को मणिपुर जाने की अनुमति देनी चाहिए: खड़गे