देवास में किसानों को बड़ी सौगात: CM मोहन यादव आज 1.32 लाख किसानों के खाते में ट्रांसफर करेंगे 300 करोड़ रुपये

मुख्यमंत्री आज देवास जिले के कार्यक्रम में यह राशि वितरित करेंगे। इस योजना का उद्देश्य किसानों को उनकी उपज के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP - Minimum Support Price) का पूरा लाभ दिलाना है।

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  • Publish Date - November 13, 2025 / 12:09 PM IST

देवास। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के किसानों के लिए आज का दिन खुशखबरी लेकर आया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (Dr. Mohan Yadav) सोमवार, 13 नवंबर को भावांतर भुगतान योजना (Bhavantar Bhugtan Yojana) के तहत राज्य के 1 लाख 32 हजार से अधिक किसानों के बैंक खातों (bank accounts) में 300 करोड़ रुपये की राशि सीधे ट्रांसफर करेंगे। यह राशि किसानों की सोयाबीन फसल (soybean crop) के मूल्य अंतर की भरपाई के रूप में दी जा रही है।

मुख्यमंत्री आज देवास जिले के कार्यक्रम में यह राशि वितरित करेंगे। इस योजना का उद्देश्य किसानों को उनकी उपज के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP – Minimum Support Price) का पूरा लाभ दिलाना है। राज्य में अब तक 9.36 लाख से अधिक किसानों ने इस योजना में पंजीयन कराया है, जबकि सरकार ने लगभग 1.60 लाख किसानों से 2.70 लाख टन सोयाबीन की खरीद की है।

राज्य सरकार के अनुसार, इस वर्ष सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य ₹5,328 प्रति क्विंटल तय किया गया है, जबकि औसत मंडी दर ₹4,036 प्रति क्विंटल है। किसानों को यह मूल्य अंतर डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से उनके खातों में मिलेगा — यानी सरकार किसानों को ₹1,300 प्रति क्विंटल तक का अंतर सीधे देगी।

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि यह योजना किसानों की आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने और उनके मेहनत के उचित दाम दिलाने का बड़ा कदम है। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ‘समाधान योजना’ (Samadhan Yojana) के अंतर्गत उन 90 लाख नागरिकों को भी राहत दे रही है जो किसी कारण से अपने बिजली बिल (electricity bills) का भुगतान नहीं कर पाए हैं। तीन माह या उससे अधिक समय से बकाया रखने वाले घरेलू, गैर-घरेलू, कृषि और औद्योगिक उपभोक्ताओं को 100 प्रतिशत सरचार्ज माफी का लाभ मिलेगा।

मुख्यमंत्री यादव ने सितंबर में घोषणा की थी कि राज्य सरकार इस वर्ष सोयाबीन की फसल के लिए भावांतर योजना को लागू करेगी, ताकि किसानों को मंडी दर और समर्थन मूल्य के बीच का अंतर मिल सके। मध्य प्रदेश को देश का ‘सोया कटोरा’ (Soy Bowl of India) कहा जाता है, जिसमें मालवा क्षेत्र (Malwa Region) अपनी उपजाऊ काली मिट्टी के कारण सबसे बड़ा उत्पादन केंद्र है।

सरकार को उम्मीद है कि इस योजना से न सिर्फ किसानों की आमदनी बढ़ेगी, बल्कि कृषि क्षेत्र में विश्वास और निवेश भी मजबूत होगा।