‘1984 सिख दंगा तत्कालीन सरकार द्वारा था प्रायोजित, मोदी राज में मिला इंसाफ’…दर्दनाक दंश ‘झेलने’ वालों की जुबानी
By : hashtagu, Last Updated : April 7, 2024 | 9:07 pm
मैंने अपने पिता और चाचा को 1984 के दंगों में खो दिया : हरजीत सिंह
- तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद भड़के 1984 के दंगों की त्रासदी को याद करते हुए अशोक नगर, कानपुर निवासी हरजीत सिंह, जो उस समय सिर्फ 14 वर्ष के थे, ने कहा, “मेरे चाचा की शादी तय होने वाली थी। मेरे पिता उस समय अपनी दुकान से वापस आ रहे थे जब कानपुर के सिखों द्वारा दंगों के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध मार्च निकाला जा रहा था। भदौरिया चौराहे पर सिखों के विरोध मार्च पर भीड़ ने पथराव कर हमला कर दिया। मेरे पिता को चोट लगी और जब मेरे चाचा ने उनकी मदद करने की कोशिश की, तो भीड़ में से किसी ने उन पर गोली चला दी। अंततः मेरे पिता और चाचा दोनों को ट्रैक्टर के साथ जिंदा जला दिया गया।”
हरजीत सिंह ने सारा दोष कांग्रेस पर मढ़ते हुए कहा, “रात को भीड़ हमारा घर जलाने आई थी, लेकिन एक हिंदू परिवार जो हमारे किराएदार थे, उन्होंने हमें बचा लिया।”
उन्होंने आगे कहा, “मेरे दादाजी परिवार की देखभाल करते थे, लेकिन मुझे अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी और हमारे पारिवारिक व्यवसाय में शामिल होना पड़ा क्योंकि परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। मैंने 1989 में ब्रेन हेमरेज के कारण अपनी मां को खो दिया। वह दंगों में मेरे पिता की मृत्यु को सहन नहीं कर सकीं। कांग्रेस ने कभी भी हमें न्याय देने की कोशिश नहीं की, बल्कि उन्होंने केवल अपने उन नेताओं को बचाया जो दंगों में शामिल थे।”
हरजीत सिंह ने कहा, “हमने न्याय पाने की सारी उम्मीद खो दी थी लेकिन जब 2014 में पीएम मोदी आए तो चीजें काफी तेजी से आगे बढ़ीं। कानपुर दंगों के कई मामले सुलझ गए हैं। दोषियों को सलाखों के पीछे डाल दिया गया है और पीड़ितों को पांच-पांच लाख रुपये का मुआवजा मिला है।”
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सामाजिक कार्यकर्ता गुरिंदर सिंह वासु का आरोप, 1984 के सिख विरोधी दंगों की योजना कांग्रेस सरकार ने बनाई
श्री गुरु सिंह सभा कानपुर के महासचिव और सामाजिक कार्यकर्ता गुरिंदर सिंह वासु प्रिंस ने कहा कि 1984 के सिख विरोधी दंगों के समय वह दसवीं कक्षा में थे। उन्होंने कहा, “घटना के दिन मैं अपनी पांच बहनों और मां के साथ घर पर अकेला था। तभी हजारों लोगों की भीड़ ने हमारे घर पर हमला कर दिया। हमारा पूरा परिवार अंदर था, फिर भी दंगाइयों ने उसे जला दिया। मेरी बहन की शादी के लिए घर में रखा सामान लूट लिया गया। इलाके में तीन दिन तक हिंसा हुई। पड़ोसी जैन परिवार ने हमारी रक्षा की। ये दंगे पूर्व नियोजित थे, क्योंकि उनके पास सिखों के नाम और घरों की सूची थी। हमें अपनी जान बचाने के लिए शिविर में जाना पड़ा। मेरे पिता एक वरिष्ठ सिख नेता और 18 साल तक वार्ड कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष थे, लेकिन घटना के बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी।”
- उन्होंने कहा, “हमें खुशी है कि अब पीएम मोदी सरकार के दौरान जगदीश टाइटलर, सज्जन कुमार, ललित माकन जैसे दंगे के दोषियों को सजा मिल रही है।”
उन्होंने आगे कहा, “सिख समुदाय कांग्रेस को कभी माफ नहीं करेगा जो हमारी माताओं, पिताओं, भाइयों और बहनों के नरसंहार की तैयारी कर रहे हैं।”
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प्रधानमंत्री की तारीफ करते हुए गुरिंदर सिंह ने कहा, “पीएम मोदी को सिख धर्म का ज्ञान है। उन्होंने सिखों के लिए करतारपुर कॉरिडोर खोलना, छोटे साहिबजादों की शहादत को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाने जैसे कई काम किए हैं।”
कांग्रेस ने गुरुद्वारा सीस गंज साहिब में सिखों की निर्मम हत्याएं की : सिख दंगा पीड़ित देविंदर कौर
सिख विरोधी दंगों की एक अन्य पीड़िता देविंदर कौर ने कहा, “मासूम बच्चों को मार डाला गया, हमारी बेटियों के साथ बलात्कार किया गया, घर जलाए गए, लोगों का कत्लेआम किया गया और घरों को लूटा गया। यह सब कांग्रेस सरकार के संरक्षण में हुआ। सिख विरोधी दंगों के पीछे कोई और नहीं बल्कि कांग्रेस और उसके नेता थे। मानव इतिहास के सबसे जघन्य कृत्य के अपराधियों को बचाने के लिए कांग्रेस नेताओं द्वारा सुनियोजित साजिश रची गई थी।”
देविंदर कौर ने कहा, “सिख विरोधी दंगों के दौरान तो चांदनी चौक में गुरुद्वारा सीस गंज साहिब में सिखों का कत्लेआम किया गया था, जहां सिख गुरु तेग बहादुर ने हिंदुओं को बचाने और हिंदुस्तान की रक्षा के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया था। जब कांग्रेस सरकार ने ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान स्वर्ण मंदिर में सिखों को मारने का आदेश दिया, तो उस समय सिर्फ सिखों को ही नहीं बल्कि हिंदुओं को भी मारने का आदेश दिया गया था। सिखों पर किए गए सबसे जघन्य कृत्यों में से एक में, कांग्रेस सरकार ने सिख समुदाय के बीच डर फैलाने के लिए ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान सिखों के शवों को दरबार साहिब के परिसर में लटका दिया था।”
- उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की सराहना करते हुए कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने सिख-दंगों के मामलों को फिर से खोलकर न केवल पीड़ितों को न्याय प्रदान करके असाधारण काम किया है, बल्कि 2014 में सत्ता में आने के बाद सिख दंगा पीड़ितों को न्याय दिलाने के भी सराहनीय कदम उठाए हैं। वह सिखों के लिए मसीहा साबित हुए हैं। उन्होंने करतारपुर कॉरिडोर खोला है। यह मांग है 70 वर्षों से अधिक समय से लंबित थी।
उन्होंने कहा कि पीएम जब भी किसी सिख धर्म स्थल पर जाते हैं तो पगड़ी पहनते हैं। मोदी सरकार अपनी विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है, वह गरीब और जरूरतमंद परिवारों को भोजन भी उपलब्ध करवा रही है।
- उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री आज पूरे देश में सिखों और सभी समुदाय के लोगों के कल्याण के लिए काम कर रहे हैं, जिससे देश आगे बढ़ रहा है। मैं सभी सिखों से आग्रह करना चाहती हूं कि वह पीएम मोदी के पक्ष में अपना वोट डालें ताकि वह 2024 के चुनावों में जीत हासिल कर सकें और फिर से प्रधानमंत्री बन सकें। उन्होंने देश के लिए जो काम किए हैं किसी और प्रधानमंत्री ने नहीं किए। हम मोदी का परिवार हैं। हम उनके परिवार के सदस्यों की तरह ही हैं।”
कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के गैर-जिम्मेदाराना बयान से भड़का दंगा: मंजीत सिंह चावला
कानपुर में सिख विरोधी दंगों के एक अन्य पीड़ित मंजीत सिंह चावला ने कहा, ”जब इंदिरा गांधी की मौत की खबर फैली, तो अगली सुबह ही हमारे पड़ोसियों ने भीड़ के साथ दुकानों में तोड़फोड़ करना, लोगों पर हमला करना और घरों को लूटना शुरू कर दिया। दंगाई भीड़ ने सैकड़ों सिखों को मार डाला। पुलिस अधिकारियों, प्रशासन और कांग्रेस सरकार के नेताओं के संरक्षण के कारण भीड़ हत्या पर उतारू हो गई, हालांकि इस हत्याकांड में समाज के सभी अलग-अलग वर्गों के उपद्रवी तत्व शामिल थे पर पूरा खून-खराबा कांग्रेस सरकार के नेताओं और स्थानीय प्रशासन से लेकर गुंडों तक के राजनीतिक संरक्षण में हुआ। उन्हें स्पष्ट निर्देश थे कि किसी को भी छोड़ा न जाए और सभी सरदारों को मार डाला जाए।”
- उन्होंने आगे कहा, हमारे पड़ोस में ही रहने वाले लोग भी अचानक बदल गए और हम पर हमला करने लगे। यह उस समय की कांग्रेस सरकार की पूर्ण विफलता थी। क्योंकि, सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों के पुनर्वास के लिए कोई सहायता प्रदान नहीं की गई थी। हम सभी को फिर से अपने पैरों पर खड़े होने और अपने लिए आजीविका कमाने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा। इस नरसंहार में स्पष्ट रूप से उस समय की सरकार का हाथ था। कांग्रेस सरकार के शीर्ष नेताओं के गैर-जिम्मेदाराना बयानों के कारण दंगे भड़क उठे और भीड़ उग्र होती चली गई। ये घाव हमारी आत्मा पर जीवन भर के लिए अंकित हो गए हैं और इन्हें कभी भी ठीक नहीं किया जा सकता है।