Agni Prime: ट्रेन से दागी गई अग्नि-प्राइम मिसाइल, भारत को मिली नई स्ट्रैटजिक ताकत

भारत के पास पहले से ही सड़क और साइलो से लॉन्च होने वाली मिसाइलें हैं। लेकिन अब अग्नि-प्राइम जैसे हथियारों को ट्रेन से दागने की क्षमता भारत को अधिक लचीलापन और सुरक्षा देती है।

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  • Publish Date - September 25, 2025 / 01:03 PM IST

Agni Prime: भारत ने 2000 किमी रेंज वाली अग्नि-प्राइम मिसाइल का सफल परीक्षण ट्रेन से लॉन्च कर किया है। यह सिर्फ एक मिसाइल परीक्षण नहीं, बल्कि रणनीतिक क्षमता में एक क्रांतिकारी कदम है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसकी जानकारी गुरुवार सुबह सोशल मीडिया पर साझा की और इसके विस्फोटक लॉन्च का वीडियो भी पोस्ट किया।

यह पहला मौका है जब भारत ने रेल-आधारित प्लेटफॉर्म से मिसाइल लॉन्च की है। इससे भारत उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो गया है, जो चलती ट्रेन से मिसाइल दागने में सक्षम हैं।

क्यों खास है ट्रेन से लॉन्चिंग?

भारत के पास पहले से ही सड़क और साइलो से लॉन्च होने वाली मिसाइलें हैं। लेकिन अब अग्नि-प्राइम जैसे हथियारों को ट्रेन से दागने की क्षमता भारत को अधिक लचीलापन और सुरक्षा देती है।

देश में लगभग 70,000 किलोमीटर लंबा रेल नेटवर्क है। ऐसे में सेना अब देश के किसी भी कोने से बिना सड़क सुविधा के भी मिसाइल दाग सकती है।

क्या फायदे मिलते हैं इस तकनीक से?

  • सैटेलाइट से बचाव: ट्रेन सुरंगों में छिपाकर मिसाइलों को अंतिम समय तक दुश्मन की नजरों से बचाया जा सकता है।

  • ज्यादा लॉन्च पॉइंट्स: सीमित साइलो या बेस की बजाय देशभर में रेल ट्रैक से लॉन्च संभव है।

  • हमले के समय लचीलापन: युद्ध के समय दुश्मन मिसाइल बेस को टारगेट करता है, लेकिन मोबाइल लॉन्च सिस्टम से बचाव संभव है।

  • भंडारण की सुविधा: रेल डिपो और टनल में मिसाइल छिपाकर रखी जा सकती हैं, जिससे स्टैटिक टारगेट का खतरा कम होता है।

कुछ चुनौतियां भी हैं

  • ट्रैक पर निर्भरता: मिसाइल वहीं से दागी जा सकती है जहां रेलवे ट्रैक मौजूद हो।

  • सटीकता की कमी: लॉन्च के लिए जरूरी जियोग्राफिकल सटीकता ट्रेन से हमेशा नहीं मिलती।

  • सुरक्षा की चुनौती: वॉर टाइम में रेल ट्रैक को निशाना बनाना या नुकसान पहुंचाना आसान होता है।

अंतरराष्ट्रीय संदर्भ में भारत का कदम

भारत से पहले सोवियत यूनियन (अब रूस) ने 1980 के दशक में RT-23 Molodets मिसाइल को रेल से दागा था। बाद में रूस ने Barguzin नाम की रेल मिसाइल प्रणाली भी विकसित की, लेकिन हाल के वर्षों में वह प्रोजेक्ट निष्क्रिय हो गया।

अमेरिका ने भी 1980 के दशक में Peacekeeper Rail Garrison प्रोग्राम शुरू किया था, जिसमें ICBMs को ट्रेनों पर तैनात किया गया था। लेकिन 1991 में Cold War खत्म होने के बाद यह प्रोग्राम बंद कर दिया गया।

भारत की रणनीतिक मजबूती

भारत के लिए यह टेस्ट सिर्फ तकनीकी सफलता नहीं, बल्कि रणनीतिक मजबूती का प्रतीक है। यदि भारत के सभी मिसाइल लॉन्च सिस्टम साइलो में सीमित रहें, तो दुश्मन के सैटेलाइट उन्हें आसानी से ट्रैक कर सकते हैं। लेकिन रेल से दागी जाने वाली मिसाइलें भारत को surprise strike capability और mobility देती हैं — जो किसी भी संभावित परमाणु हमले की स्थिति में बेहद महत्वपूर्ण हो सकता है।

यह टेस्ट भारत की “second strike capability” को और मजबूत करता है।