IAF: आंध्र प्रदेश में हाइवे पर उतरे वायुसेना के लड़ाकू विमान

हाइवे पर उतरते विमानों को देखने के लिए आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में लोग जमा हो गए थे। आपात स्थिति में लड़ाकू विमानों को सुरक्षित लैंड कराने के लिए हाईवे पर 4.1 किमी लंबा और 60 मीटर चौड़ा इमरजेंसी लैंडिंग रनवे (ईएलआर) बनाया गया है।

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  • Updated On - December 29, 2022 / 04:47 PM IST

अमरावती, 29 दिसम्बर (आईएएनएस)| भारतीय वायु सेना (आईएएफ) (IAF) के लड़ाकू विमानों ने गुरुवार को आंध्र प्रदेश के बापटला जिले में चेन्नई-कोलकाता राष्ट्रीय राजमार्ग पर सफल आपातकालीन लैंडिंग की। दो प्रकार के लड़ाकू विमानों सहित चार विमान कोरिसापाडु मंडल के पिचुकलागुदीपाडु गांव में राष्ट्रीय राजमार्ग 16 पर रनवे पर 45 मिनट के अंतराल में उतरे। जमीन से 100 मीटर की ऊंचाई पर उड़ते हुए विमानों ने रनवे को छुआ और फिर उड़ गए।

एक अधिकारी ने कहा कि परीक्षण के लिए सुखोई 30, दो तेजस एलसीए और एक परिवहन विमान एएन32 का इस्तेमाल किया गया। बापतला जिला प्रशासन ने आंध्र प्रदेश में अपनी तरह के पहले अभ्यास के लिए व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की थी। बापतला के पुलिस अधीक्षक वकुल जिंदल के साथ भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन आर.एस. चौधरी ने व्यवस्थाओं का जायजा लिया। आईएएफ ने ट्रायल रन के लिए लैंडिंग स्ट्रिप के पास आपातकालीन आधार शिविर स्थापित किए।

अधिकारियों ने अभ्यास को सफलतापूर्वक करने के लिए राडार और अन्य तकनीकी उपकरण स्थापित किए थे। वायुसेना के अधिकारियों ने ट्रायल रन की सफलता पर संतोष जताया। मौके पर सुरक्षा व्यवस्था के तहत लगभग 200 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था, जबकि राजमार्ग के दोनों ओर भारी वाहनों का आवागमन रोक दिया गया था। दोनों तरफ के ट्रैफिक को अलग-अलग प्वाइंट से डायवर्ट किया गया।

हाइवे पर उतरते विमानों को देखने के लिए आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में लोग जमा हो गए थे। आपात स्थिति में लड़ाकू विमानों को सुरक्षित लैंड कराने के लिए हाईवे पर 4.1 किमी लंबा और 60 मीटर चौड़ा इमरजेंसी लैंडिंग रनवे (ईएलआर) बनाया गया है। अधिकारियों ने कहा कि इसी तरह की सुविधा प्रकाशम जिले में राजमार्ग पर विकसित की जाएगी। अधिकारियों के मुताबिक यह सुविधा युद्ध और अन्य आपात स्थितियों के समय उपयोगी होगी। रनवे की तरह विकसित इस पट्टी को आधे घंटे में तैयार किया जा सकता है।

हवाई पट्टियों का उपयोग रणनीतिक उद्देश्यों के साथ-साथ प्राकृतिक आपदाओं के दौरान बचाव और राहत कार्यों के लिए भी किया जा सकता है। 86 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित यह दक्षिण भारत में पहला ईएलआर है और उत्तर प्रदेश और राजस्थान के बाद भारत में तीसरा है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने नवीनतम जर्मन तकनीक का उपयोग करके भारी वजन और उच्च दबाव का सामना करने के लिए हवाई पट्टी का निर्माण किया।

2018 में केंद्र सरकार ने विभिन्न राज्यों में राष्ट्रीय राजमार्गों पर 19 हवाई पट्टियों को विकसित करने का निर्णय लिया था।