केंद्र सरकार का बड़ा फैसला, सम्मेद शिखर पर नहीं होगी इको टूरिज्म एक्टिविटी
By : hashtagu, Last Updated : January 5, 2023 | 11:07 pm
मंत्रालय ने पिछले कुछ दिनों में पारसनाथ वन्यजीव अभयारण्य में होने वाली कुछ गतिविधियों से संबंधित मुद्दों के बारे में जैन समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले विभिन्न संगठनों से कई अभ्यावेदन प्राप्त करने के बाद यह कदम उठाया है। शिकायतों में झारखंड सरकार द्वारा पारसनाथ वन्यजीव अभयारण्य को इको सेंसिटिव जोन घोषित करने वाली अधिसूचना के प्रावधानों का दोषपूर्ण कार्यान्वयन शामिल था। कहा गया है कि राज्य सरकार की इस तरह की लापरवाही से जैन समुदाय की भावनाएं आहत हुई हैं।
इस संबंध में पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने जैन समुदाय के विभिन्न प्रतिनिधियों के साथ पूरे मामले पर चर्चा करने और संभावित समाधान निकालने के लिए एक बैठक बुलाई थी। प्रतिनिधि बड़ी संख्या में आए और उन्होंने सम्मेद शिखरजी की वर्तमान स्थिति और स्थान की पवित्रता बनाए रखने के लिए समुदाय की मांगों के बारे में बात की।
मंत्रालय ने कहा, 2 अगस्त, 2019 को जारी इको सेंसिटिव जोन अधिसूचना के संदर्भ में, पवित्र पाश्र्वनाथ पर्वत क्षेत्र से परे एक बफर जोन की रक्षा के लिए जारी किया गया, उक्त इको सेंसिटिव जोन अधिसूचना के खंड 3 के प्रावधानों के कार्यान्वयन पर तत्काल रोक लगाई जाती है, जिसमें अन्य सभी पर्यटन और इको-टूरिज्म गतिविधियां शामिल हैं। राज्य सरकार को ये सुनिश्चित करने के लिए तत्काल सभी आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया जाता है।
इसके अलावा केंद्र ने अपने निर्देश में कहा है, “पर्यावरण, (संरक्षण) अधिनियम, 1986 की धारा 3 की उप-धारा (3) के तहत इस अधिसूचना के प्रावधानों की प्रभावकारी निगरानी के लिए केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के खंड 5 के तहत एक निगरानी समिति गठित की गई है। राज्य सरकार को निदेश दिया जाता है कि वह इस समिति में जैन समुदाय से दो सदस्यों तथा स्थानीय जनजातीय समुदाय से एक सदस्य को स्थायी सदस्यों के रूप में आमंत्रित करे, ताकि ईको सेंसिटिव जोन अधिसूचना के प्रावधानों की प्रभावकारी निगरानी में स्थानीय समुदायों को भी शामिल किया जा सके।”
उल्लेखनीय है कि सम्मेद शिखरजी को पर्यटक स्थल घोषित करने के झारखंड सरकार के फैसले के विरोध में अनशन पर बैठे 72 वर्षीय जैन मुनि का मंगलवार को जयपुर में निधन हो गया।