महिला पुलिसकर्मी ने बाल पकड़कर छात्रा को घसीटा, वायरल वीडियो देख लोग गुस्से में
By : hashtagu, Last Updated : January 25, 2024 | 10:19 am
वीडियो में दिख रहा है कि स्कूटी पर सवार दो महिला पुलिसकर्मी एक युवती प्रदर्शनकारी का पीछा कर रही हैं और पीछे बैठी महिला उसके बाल पकड़कर खींच रही है, जिससे लड़की नीचे गिर जाती है और दर्द से रोने लगती है।
यह घटना प्रोफेसर जयशंकर तेलंगाना राज्य कृषि विश्वविद्यालय के परिसर में उच्च न्यायालय के निर्माण के लिए विश्वविद्यालय की भूमि के आवंटन के खिलाफ एक छात्र समूह के विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई।
इस वीडियो से लोगों में आक्रोश फैल गया।
विपक्षी बीआरएस और भाजपा ने घटना की निंदा की है और इसमें शामिल पुलिसकर्मियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की है।
साइबराबाद पुलिस ने घटना की जांच के आदेश दिए हैं। पुलिस आयुक्तालय के एक बयान के अनुसार, साइबराबाद पुलिस के संज्ञान में कुछ पुलिसकर्मियों द्वारा अनुचित कार्रवाई का एक वीडियो आया है।
इसमें कहा गया, ”मामले में उचित कार्रवाई करने के लिए विस्तृत जांच की जा रही है।” बीआरएस नेता के. कविता ने घटना की निंदा की है और मानवाधिकार आयोग से इसमें शामिल लोगों के खिलाफ त्वरित और सख्त कार्रवाई करने का आग्रह किया है।
एमएलसी ने एक्स पर पोस्ट किया, “तेलंगाना पुलिस से जुड़ी हालिया घटना बेहद चिंताजनक और बिल्कुल अस्वीकार्य है। एक शांतिपूर्ण छात्र प्रदर्शनकारी को घसीटना और प्रदर्शनकारी पर अभद्र व्यवहार करना पुलिस द्वारा ऐसी आक्रामक रणनीति की जरूरत पर गंभीर सवाल उठाता है। ऐसे अहंकारी व्यवहार को लेकर तेलंगाना पुलिस बिना शर्त माफी मांगेे।”
एक अन्य बीआरएस नेता दासोजू श्रवण ने प्रदर्शनकारी छात्र के खिलाफ पुलिस की बर्बरता की निंदा की है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की जमीन पर हाईकोर्ट का निर्माण कराना गलत है। उन्होंने कहा कि सरकार ने रियल एस्टेट कारोबार को बढ़ावा देने के लिए हाईकोर्ट भवन बनाने के लिए विश्वविद्यालय की जमीन जबरन छीन ली।
उन्होंने चेतावनी दी कि यह कदम पर्यावरण और जैव विविधता को नष्ट कर देगा और पक्षियों व पौधों की दुर्लभ प्रजातियों के अस्तित्व को खतरे में डाल देगा।
राज्य सरकार ने हाल ही में एक आदेश जारी कर राज्य उच्च न्यायालय की नई इमारत के निर्माण के लिए राजेंद्रनगर में विश्वविद्यालय की 100 एकड़ जमीन आवंटित की है। भाजपा ने भी घटना की निंदा की है और कहा है कि यह राज्य सरकार की अलोकतांत्रिक और छात्र विरोधी कार्रवाई को दर्शाता है।