मुंबई एयरपोर्ट पर करीब 1 घंटा बेवजह उड़ रही फ्लाइट्स, प्रति घंटे 2,000 किलो ईंधन खर्च

मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ''लंबे समय तक चक्कर लगाने के दौरान ईंधन की खपत में बढ़ोतरी ने चिंता बढ़ा दी है। एक औसत विमान प्रति घंटे लगभग 2,000 किलोग्राम ईंधन खर्च करता है।''

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  • Publish Date - February 14, 2024 / 03:31 PM IST

नई दिल्ली, 14 फरवरी (आईएएनएस)। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने बुधवार को मुंबई एयरपोर्ट (Mumbai Airport) पर उड़ान प्रतिबंध लगाने के पीछे का कारण स्पष्ट किया। मंत्रालय का कहना है कि रनवे पर भीड़भाड़ और अतिरिक्त क्षमता के कारण उड़ानों को लगभग 40-60 मिनट के लिए शहर के ऊपर मंडराने के लिए मजबूर होना पड़ता है, जिससे हवा में ट्रैफिक बढ़ जाता है और विमान का अतिरिक्त ईंधन खर्च होता है।

मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ”लंबे समय तक चक्कर लगाने के दौरान ईंधन की खपत में बढ़ोतरी ने चिंता बढ़ा दी है। एक औसत विमान प्रति घंटे लगभग 2,000 किलोग्राम ईंधन खर्च करता है।”

मंत्रालय ने कहा कि इस तरह की देरी से 1.7 से 2.5 किलोलीटर जेट ईंधन तक महत्वपूर्ण ईंधन की बर्बादी होती है, जिससे प्रति उड़ान लगभग 1.8 से 2.6 लाख रुपये का वित्तीय बोझ पड़ता है।

इस अतिरिक्त लागत का बोझ आखिरकार उपभोक्ताओं पर पड़ने की आशंका है, जिससे यात्रियों और एयरलाइनों दोनों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

इसके अलावा, एयरपोर्ट के संचालन में अक्षमता के कारण लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता है और अत्यधिक देरी होती है, जिससे इसमें शामिल सभी हितधारकों के लिए स्थिति खराब हो जाती है।

भारतीय एयरपोर्ट प्राधिकरण ने एक विश्लेषण किया, जिसमें व्यस्त घंटों के दौरान, विशेष रूप से सुबह 08:00 से 11:00 बजे और शाम को 5:00 से 8:00 बजे तक काफी ज्यादा उड़ानों का बोझ पाया गया।

इन छह घंटों के दौरान उड़ानों की संख्या शेष 18 घंटों के लगभग बराबर थी। सामान्य विमानन और सैन्य विमान संचालन ने विशेष रूप से पीक आवर्स (व्यस्त घंटों) के दौरान भीड़भाड़ को और बढ़ा दिया।

अधिकारी ने कहा कि लगातार भीड़भाड़ के मूल कारणों में एयरपोर्ट संचालक द्वारा सीमित समय मार्जिन के साथ अत्यधिक स्लॉट वितरण, एयरलाइंस द्वारा स्लॉट का पालन न करना और पीक आवर्स के दौरान गैर-निर्धारित संचालन को जिम्मेदार ठहराया गया था।

स्लॉट प्रदाता और प्रबंधक के रूप में एयरपोर्ट संचालक की दोहरी भूमिका के बावजूद, हवाई ट्रैफिक गतिविधियों को विनियमित करने के लिए सक्रिय उपायों की कमी थी।

अधिकारी ने कहा कि इसके बाद, नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने हस्तक्षेप करते हुए 2 जनवरी को भारतीय हवाईअड्डा प्राधिकरण (एएआई) के माध्यम से हवाईअड्डा संचालक को निर्देश जारी किए।

एयरपोर्ट संचालकों और एयरलाइनों की जरूरतों के बीच संतुलन बनाने की जरूरत को स्वीकार करते हुए भारत सरकार ने मुंबई एयरपोर्ट से प्रस्थान करने वाले यात्रियों के लिए एक सहज और संतुष्टिदायक उड़ान अनुभव प्रदान करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।