नई दिल्ली, 1 जनवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के एक नए अध्ययन के अनुसार, हाथियों के झुंड (Herd of elephants) जंगलों की तुलना में मानवजनित रूप से निर्मित घास के मैदानों में भोजन के लिए अधिक प्रतिस्पर्धा करते हैं। घास के मैदानों में अधिक मात्रा में भोजन उपलब्ध होने के बावजूद हाथियों में यहां भोजन को लेकर अधिक संघर्ष (More conflict over food) होता है।
उनकी विखंडन-संलयन गतिशीलता उन्हें लचीले ढंग से छोटे समूहों में विभाजित होने और प्रतिस्पर्धा को कम करने का अवसर देती है। वे प्रादेशिक नहीं होते, और उनकी घरेलू सीमाएं बड़े पैमाने पर ओवरलैप कर सकती हैं। यह लक्षण समूह के बीच मुठभेड़ों के दौरान कम आक्रामकता से संबंधित होती है।
इन्होंने पता लगाया कि क्या कबीले के भीतर शत्रुतापूर्ण विवाद (एगोनिज्म), और कबीले के बीच एगोनिस्टिक मुठभेड़ हैं। हाथियों में इसकी दर और फैलाव, घास की प्रचुरता, घास के फैलाव और हाथियों के समूह के आकार पर निर्भर है।
उन्होंने काबिनी घास के मैदान और उसके पड़ोस में जंगल से हाथियों के व्यवहार के आंकड़ों का अध्ययन कर पाया कि जंगलों की तुलना में घास के मैदानों में, जहां भोजन की प्रचुरता होती है, हाथियों के झुंड के बीच प्रतिस्पर्धा अधिक होती है, उनके अध्ययन के निष्कर्ष आंशिक रूप से सामाजिक-पारिस्थितिक मॉडल, महिला सामाजिक संबंधों के पारिस्थितिक मॉडल (ईएमएफएसआर) की भविष्यवाणियों का समर्थन करते हैं, जो बताता है कि खाद्य वितरण मुख्य रूप से समूहों के बीच और भीतर प्रतिस्पर्धा (और शारीरिक संघर्ष) को निर्धारित करता है।
प्रचुर मात्रा में और एकत्रित खाद्य संसाधनों पर संघर्ष बढ़ने की उम्मीद होती है और उन पर समूहों या वैयक्तिक एकाधिकार हो सकता है। रॉयल सोसाइटी ओपन साइंस जर्नल में प्रकाशित अध्ययन से पता चलता है कि संसाधनों की उपलब्धता बढ़ने से अपेक्षा से विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। प्राकृतिक आवासों में तेजी से होने वाले मानवजनित परिवर्तनों, जैसे कि जंगली आबादी की सामाजिक व्यवस्था में मानव हस्तक्षेप, के संदर्भ में इसकी बहुत प्रासंगिकता है।