ट्रम्प के दावे पर भारत की प्रतिक्रिया तेल आयात में उपभोक्ता हित सर्वोपरि बताया

ट्रम्प ने एक प्रेस वार्ता में कहा था कि भारत जल्द ही रूस से तेल खरीदना बंद कर देगा। उन्होंने कहा कि यह बदलाव तुरंत नहीं होगा, लेकिन जल्द ही लागू किया जाएगा।

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  • Publish Date - October 16, 2025 / 12:32 PM IST

नई दिल्ली / वॉशिंगटन डीसी अमेरिका:  अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प (Donald Trump) के इस दावे के बाद कि भारत रूस से तेल खरीदना बंद कर देगा, भारत ने गुरुवार को स्पष्ट बयान दिया है। विदेश मंत्रालय (MEA) ने कहा कि ऊर्जा आयात को लेकर भारत की नीति पूरी तरह उपभोक्ता हितों की रक्षा पर आधारित है और इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिए जाते हैं।

ट्रम्प ने एक प्रेस वार्ता में कहा था कि भारत जल्द ही रूस से तेल खरीदना बंद कर देगा। उन्होंने कहा कि यह बदलाव तुरंत नहीं होगा, लेकिन जल्द ही लागू किया जाएगा। साथ ही उन्होंने कहा कि चीन को भी इसी रास्ते पर लाया जाएगा।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा कि भारत तेल और गैस का एक बड़ा आयातक देश है और अस्थिर ऊर्जा बाजार में भारतीय उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा हमारी प्राथमिकता है। हमारी आयात नीति पूरी तरह इसी उद्देश्य से निर्देशित होती है। उन्होंने कहा कि भारत की ऊर्जा नीति के दो प्रमुख लक्ष्य हैं—स्थिर ऊर्जा कीमतों को बनाए रखना और आपूर्ति की सुरक्षा। इसी के तहत भारत अपने ऊर्जा स्रोतों का विविधीकरण कर रहा है।

जायसवाल ने अमेरिका के साथ ऊर्जा सहयोग पर भी कहा कि भारत पिछले कई वर्षों से ऊर्जा क्षेत्र में अपने आयात को बढ़ाने के लिए काम कर रहा है और पिछले एक दशक में इसमें लगातार प्रगति हुई है। मौजूदा अमेरिकी प्रशासन ने भारत के साथ इस सहयोग को और गहरा करने में रुचि दिखाई है। दोनों देशों के बीच इस मुद्दे पर बातचीत चल रही है।

हाल ही में अमेरिका के नामित राजदूत सर्जियो गोर ने भी संकेत दिए थे कि अमेरिका चाहता है कि भारत अमेरिकी क्रूड ऑयल और पेट्रोलियम उत्पादों के लिए अपना बाजार खोले। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच ऊर्जा व्यापार के क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं।

ट्रम्प प्रशासन ने रूस से तेल खरीद को लेकर भारत पर आयात शुल्क 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया है। ट्रम्प और उनके सहयोगी लंबे समय से भारत के रूस से तेल खरीदने पर आपत्ति जता रहे हैं।

भारत ने पहले भी स्पष्ट किया था कि उसका ऊर्जा आयात वैश्विक बाजार में उपलब्ध विकल्पों और हालात के अनुसार तय होता है। रक्षा और रणनीतिक मामलों में भी भारत अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक मूल्यांकन के आधार पर ही निर्णय लेता है।